
डेस्क खबर खुलेआम
तमता l पत्थलगांव विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत पंडरीपानी पकरीपारा का जो कि पूर्वजों से यहां के रहने वाले लोगों द्वारा हर साल लकड़ी का पुलिया बना कर आवाजाही करते हैं lआपको बता दें कि आजादी 76 साल बाद भी कुछ ग्राम पंचायतो में अभी भी सड़क , बिजली, पुलिया जैसे मूल भूत सुविधाओं से वंचित हैं जिसमें पंडरी पानी पकरीपारा के ग्रामीण राम केवल पैकरा, उतम यादव ने बताया कि तमता, डूमर बहार मुख्य मार्ग से 4 किलोमीटर सड़क जो अभी भी कच्चे है और बरसात के दिनों में इस सड़क पर चलना दूभर हो जाता है और इसी सड़क के बिच में बूढ़ानदी पड़ता है जो बेलघाट के नाम से जाना जाता है।
जहा बरसात के दिनों मेंनदी में पानी का तेज हो जाने से आवाजाही में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है और वहां रहने वाले सभी लोग दूसरे रास्ते में होकर गुजरना पड़ता है lसुखी राम पैकरा ने बताया कि लकड़ी की पुलिया हम लोग पिछले साल बनाए थे और वह टूट गया था जिसको लेकर सभी गांव वाले मिलकर फ़िर से नए लकड़ी लगाकर पुलिया शुक्रवार को बनाया गया है और पुलिया में चार पहिया वाहन नहीं होती है।

ऐसे में नदी में पानी कम रहने से नदी में जान जोखिम में डाल कर पार किया जाता हैं lउन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में बच्चों को स्कूल छोड़ने, या राशन सामग्री लेने के लिए चंद्रपुर होकर लगभग 6 किलोमीटर सफर कर पंडरीपानी पहुंच ते हैं और हम लोगों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है lरामदेव पैकरा ने बताया हमारे मोहल्ले में लगभग 50 परिवार निवासरत है और हम लोगों ने कई बार पंचायत में एवं शासन प्रशासन को लिखित आवेदन दिया गया था परंतु अभी तक किसी प्रकार सहयोग नहीं किया गया l उन्होंने बताया कि अस्थाई पुलिया बना कर आवाजाही तो हो रही है लेकिन कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है और इसकी जिम्मेदारी कौन होगा l
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में कई बार ऐसी छोटी मोटी दुर्घटना हो चुकी है और लोग घायल हो चुके हैं और हम लोग पुलिया, व सड़क निर्माण के लिए शासन से मांग कर रहे हैं ल योगदान कर बनाया पुलिया पुलिया बनाने में इन्होंने दिया सहयोग चेपा राम, मोहन साय, उदयनारायण पैकरा, सुमित साय, मनबोध पैकरा, सदानंद पैकरा, सुनिल कुमार, एवं अन्य ग्रामीण व महिलाएं उपस्थित थीं l क्या कहते है जनप्रतिनिधि सरपंच पंडरीपानी गीता पैकरा ग्राम सभा में प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है और अपने लेटर पैड में भी दिख के शासन को भेजी हु लेकिन किसी प्रकार का सहयोग तो नहीं मिला है और अधिकारी कहते हैं कार्ययोजना में भी शामिल किया गया है लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी इस परेशानी का हल नहीं निकला।
ग्रामीणों ने अगर जल्दी ही प्रशासन समस्या का हल नहीं निकालती है तो हम ग्रामीणों को आंदोलन के लिये बाध्य होने को मजबूर होना पड़ेगा। और हम ग्रामीण बड़े आंदोलन कि तैयारी कर रहे।