कम निवेश कर ज्यादा मुनाफा कमाने का यह तरीका अपना रहे लोग, रातों रात हो रहा….

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कृषि भूमि में रातों रात शेड निर्माण आखिर क्यूं…..

नावापारा :- हॉल ही में धरमजयगढ़ के एक गांव में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत सर्वे कार्य किया गया, जिसके बाद आसान तरीके से जल्दी और ज्यादा पैसा कमाने की होड़ में कुछ लोग निवेश कार्य में लग गए जिससे कि कम खर्च कर ज्यादा मुनाफा कैसे कमाया जाए।रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक के बजरमुड़ा, मिलुपारा में भी ग्रामीणों द्वारा यही तरीका अपनाया गया था जिसके बाद मुआवजा का बड़ा खेल खेला गया वही शिकायत जांच के बाद छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही तो हुई पर बड़े अधिकारियों पर अब तक कार्यवाही नहीं हो सकी, जिस वजह से धरमजयगढ़ में लोगों के हौसले बुलंद है।

आपको बतादे कि भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बिलासपुर से पंतोरा होते हुए उरगा-धरमजयगढ़ तक फोरलेन सड़क निर्माण कार्य प्रगति पर है। पहले चरण में बिलासपुर से उरगा तक 70 किलोमीटर सड़क लगभग 1500 करोड़ रुपए में बनेगी। वही दूसरे चरण में उरगा से पत्थलगांव, कुनकुरी तक 105 किलोमीटर की सड़क लगभग 1275 करोड़ रुपए की लागत से बनेगी।आखिर कैसे हुई शेड निर्माण कार्य शुरू।धरमजयगढ़ ब्लॉक के बायसी कॉलोनी के आश्रित ग्राम मेढ़रमार में भारतमाला परियोजना का सर्वे कई बार हो चुका था पर कंपनी द्वारा किस जगह से मार्ग को लेकर जाना है जगह फाइनल नही हो पा रहा था। वही अचानक एक बार फिर सर्वे होने के बाद ग्रामीणों ने उसे फाइनल सर्वे मानकर जिस जगह सर्वे किया गया उसके अंतर्गत आने वाले किसानों के जमीन में अब रातों रात शेड निर्माण कार्य शुरू हो गया ।कौन कर रहे शेड निर्माण, इसके पीछे क्या है मकशदकम लगात में शॉर्टकट पैसे कमाने का आसान तरीका……सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जिन किसानों के जमीन के पास सर्वे किया गया था, जिन किसानों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है रसखुदार उनकी जानकारी निकालकर उनके कृषि भूमि में अपना धन निवेश करने में लग गए जिससे कि अगर प्रोजेक्ट अंतर्गत किसानों की जमीन जाती है तो किसान को मोटी रकम मुआवजा के तौर पर मिलेगा जिससे किसानों के साथ साथ रसूखदारों को भी फायदा होगा।अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि सर्वे के बाद किसानों की कृषि भूमि पर लगातार शेड का निर्माण किया जा रहा है अगर वाकई इन किसानों के जमीन प्रोजेक्ट अंतर्गत जाती है तो शासन को कितने भाड़ी भरकम रकम मुआवजे के तौर पर देना पड़ेगा, जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान इंगित करने की जरूरत है।किस उद्देश्य से किसानों द्वारा कृषि भूमि पर लगातार शेड निर्माण किया जा रहा है सोचनीय विषय है क्योंकि कोई शेड का निर्माण 1 वर्षों से होकर पड़ा है तो कई शेड 6 माह से निर्माण होकर पड़े है वही कुछ का हालही में किया जा रहा है आखिर कही शासन से मोटी रकम मुआवजा के तौर पर उठाने के लिए तो नही….

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