
खबर खुलेआम
रायगढ़/लैलूंगा राजस्व विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है, जहां कानून, नियम और प्रक्रिया को ताक पर रखकर तहसीलदार द्वारा एक ऐसा फैसला सुनाया गया जिसने न केवल न्याय की मूल आत्मा को रौंदा, बल्कि बुजुर्ग पीड़ित को अपमान और पीड़ा के दलदल में धकेल दिया।

जानिए क्या है पूरा मामला….
ग्राम बगुडेगा, प.ह.न.01, तहसील लैलूंगा, जिला रायगढ़, छ.ग. में स्थित भूमि खसरा नंबर 01 कुल रकबां 9.133 हे.भूमि आवेदक एवं अन्य के भूमि स्वामी हक अधिकारी की भूमि है। जिसे ग्राम बगुडेगा के रहने वाले 75 वर्षीय हीराराम और उनके सहखातेदारों ने भूमि बंटवारे के लिए विधिवत आवेदन दिया था। जिसका राजस्व प्रकरण कमांक 202406040900028/1-27/2023-24 आवेदिका – तिलोत्तमा पत्नि दुलेश्वर एवं अन्य 15 जाति महकुल अनावेदक – पुस्तम पिता गुरूबारू जाति महकुल है। पर आश्चर्य की बात यह है कि बंटवारा करने की बजाय तहसीलदार ने सीधे पीड़ित और अन्य का नाम ही रिकॉर्ड से विलोपित किये जाने का विधि विरुद्ध आदेश पारित किया गया है। यह आदेश न केवल कानून की खुली अवहेलना है, बल्कि इसे जानबूझकर किया गया सत्ता का दुरुपयोग माना जा रहा है, जिसके विरूद्ध पीड़ित हीराराम और अन्य के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी लैलूंगा के समक्ष राजस्व अपील प्रकरण क्रमांक अपं. अ-27/2025 प्रस्तुत किया गया है जिसमे तहसीलदार द्वारा की गई कार्यवाही को स्थागित रखा गया है।
तहसीलदार ने निभाई ‘किसी खास’ की दलाली ?
स्थानीय ग्रामीणों और सूत्रों का आरोप है कि तहसीलदार ने यह आदेश पारित कर, किसी ‘प्रभावशाली व्यक्ति’ के इशारे पर पीड़ितों के हक को रौंदा है। इतना ही नहीं, मामला जब एसडीएम कोर्ट में अपील में गया और स्थगन आदेश भी दे दिया गया, तब भी विपक्षी पक्ष द्वारा जमीन बेचने की धमकियां दी जा रही हैं — जो कि न्याय व्यवस्था और प्रशासनिक नियंत्रण पर करारा तमाचा है।
राजस्व विभाग की चुप्पी या मौन स्वीकृति?…
अब हीराराम और उनके साथियों ने राजस्व मंत्री, सचिव, कलेक्टर और एसडीएम तक को लिखित शिकायत भेजकर तहसीलदार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
बहरहाल अब देखना होगा कि इस मामले में अधिकारी पर कार्यवाही होती है या पीड़िता किसान को ठेंगा दिखाने का काम किया जाता है ।