जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में विकास के राशियों का किया गया जमकर बंदरबाट

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डेस्क खबर खुलेआम

ग्राम विकास छोड़ सरपंच लगा अपनों का विकास में

रायगढ़ = जनपद पंचायत रायगढ़ के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंचायतो में विकास कार्यों में मनमाने तरीके से अनियमितता और अनुपयोगी कार्य के तहत सरकारी बजट को चूना लगाया जा रहा है। वहीं पंचायत प्रतिनिधि हर काम में कमाई के चक्कर में कानूनों को ताक पर रखकर बेपरवाह हैं। उन्हें न जांच की चिंता है, न अधिकारियों का डर है।केंद्र की मोदी सरकार द्वारा भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए ग्राम पंचायतों का ऑनलाइन पेमेंट शुरू किया गया है लेकिन ग्राम पंचायत के सचिव उसका भी हल निकाल लिए हैं। कोई भी फर्म का फर्जी बिल लगाकर राशि आहरण कर लेते हैं। इस प्रकार का खेल रायगढ़ ब्लॉक के कई ग्राम पंचायतों में चल रहा है। अगर इसकी गहराई से जांच किया जाए तो कई सरपंच-सचिव पर गाज गिर सकती हैं।मामला जनपद पंचायत रायगढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत देवरी का है जहां सरपंच श्रीमती कमला सिदार व सचिव दिनेश कुमार डंगसेना के द्वारा 15 वित्त की राशि का सरपंच पति दिलीप कुमार सिदार को ही वेंडर बनाकर कई कार्यो के नाम से 3 लाख 11 हजार 290 का आहरण किया गया है। जनपद पंचायत के अंतर्गत शासन द्वारा लगातार ग्राम पंचायतो में तरह-तरह की योजनाएं लागू करके सर्व सुविधायुक्त ग्राम पंचायत बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास किया जा रहे हैं चाहे वह नाली, पुल, सड़क, पानी,स्वच्छता का ही हो किंतु इस बीच ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव एवं जिम्मेदार की मिली भगत से तरह-तरह के नए भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकारी योजनाओं का गला घोट रहे हैं जिसके चलते वे लगातार भ्रष्टाचार करते रहे और जनपद के जिम्मेदार अधिकारी उसको लगातार संरक्षण देते रहे। जिसकी वजह भी जाहिर है कि उक्त सचिव अपने बचाव के लिए तमाम जिम्मेदार की जेबे भरता चला आ रहा है और बिकाऊ अमला मौन बना हुआ हैमजे की बात यह है कि सचिव दिनेश कुमार डंगसेना को पंचायती राज अधिनियम की पूरी जानकारी होने के बावजूद भी शासन के नियमों को ताक पर रखते हुए सरपंच के साथ मिली भगत कर सरपंच पति को वेंडर बनाकर लाखों रुपए का आहरण किया गया इसे पूर्व सीईओ. का आशीर्वाद कहे या संरक्षण इतनी बड़ी राशि का आहरण बिना सीईओ के जानकारी के मुमकिन नहीं है अब आने वाला वक्त ही बताएगा किन-किन अधिकारियों ने आर्थिक लाभ लेकर इस सरपंच व सचिव के हौसले बुलंद किए हुए हैं

वेंडर बनाने के नियम = जब भी व्यक्ति या फर्म अपनी दुकान की सामग्री यदि ग्राम पंचायत में सप्लाई करना चाहता है तो उसे सबसे पहले जीएसटी नंबर लेना पड़ता है उसके बाद जिला पंचायत मे आवेदन होता है फिर वह आवेदन जनपद आता है यहां जनपद के अधिकारी उनकी सामग्री का सत्यापन करते हैं वही पंचायती राज अधिनियम के अनुसार ग्राम पंचायत के सरपंच के रिश्तेदार किसी तरह का आर्थिक लाभ नहीं ले सकते हैं. आगे भी देवरी व और भी कई पंचायतो की भ्रष्टाचार की इसी तरह की खबरें अगले अंक मे कौन सा ग्राम पंचायत होगा?

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