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रायगढ़ नगर निगम में बंपर जीत के बाद यह तो साफ तौर पर स्पष्ट हो गया है कि, महापौर के बाद सभापति की गद्दी पर भी बीजेपी का कब्जा होगा। यह बंफर जीत लैलूंगा विधानसभा के कांग्रेस प्रभाव वाले 5 वार्डो में भाजपा का झंडा बुलंद हुआ है। इससे भाजपा के चिर-परिचित तमाम चेहरे पार्षद बन चुके हैं। इसलिए सभापति पद के लिए भाजपा में प्रतिस्पर्धा मचने वाली है। इसके लिए तीसरी बार और वार्ड नंबर 45 से निर्विरोध पार्षद शहरी ग्रामीण क्षेत्र से जीत कर आए नारायण पटेल का नाम शुमार है। सभापति चुनाव के लिए, लेकिन इतना स्पष्ट है कि, भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।दरअसल 33 पार्षद बीजेपी के जीतकर आए है। इसमें वरिष्ठ पार्षद भी शामिल है।
भाजपा में सभापति पद के लिए इस बार आधा दर्जन से अधिक पार्षद रेस में शामिल हैं, जिनमें भूतपूर्व सभापति सुरेश गोयल, आशीष ताम्रकार, अशोक यादव, मुक्तिनाथ प्रसाद, बबुआ, डिग्रीलाल सहू व नारायण पटेल के नाम शामिल हैं। इस बार रायगढ़ में नगर निगम सभापति का चुनाव एकदम नीरस होने वाला है। इसका सबब है- भाजपा को रिकार्ड तोड़ ऐतिहासिक बहुमत मिलना। दूसरे शब्दों में यह कहना गैर वाजिब नहीं होगा कि, सभापति का निर्वाचन महज रस्म अदायगी तक सीमित हो जाएगा।
इधर वार्ड पार्षद में कोई खुद को दूसरे से कमतर नहीं आंक रहा है। इसमें नारायण पटेल का नाम भी तेजी से राजनीतिक गलियारों में उभर रहा है यह वह नाम है जो निर्विरोध है।इसके अलावा राजनीतिक पकड़ है। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल वार्ड होने का लाभ भी उन्हें मिल सकता है, आंकलन यह भी किया जा रहा है कि शहर से महापौर तो ग्रामीण शहरी क्षेत्र से सभापति की कमानपार्टी सौंप सकती है। बहरहाल ओपी की पंसद ही आखिरी मुहर सभापति के चयन पर होगा, जो आने वाले दिनों में स्पष्ट होना तय है।
पटेल का ऐसे है राजनीतिक सफ़रनामा
ग्रामीण अंचल को शहरी क्षेत्र से जोड़कर नया परिसीमन बनाया गया। इसमे भगवानपुर भी शामिल किया गया। यहां से नारायण पटेल की राजनीति में युवा वर्ग के रूप में आगमन हुआ। इसके पश्चात 2014 से लगातार 3 बार पार्षद बने है। 2025 में निर्विरोध दर्ज किए है। इसके अलावा पार्षद 2018 से 2024 तक मंडल सम्बलपुरी महामंत्री 2014 से 2018 तक मंडल विशेष आमंत्रित सदस्य भी रहे है। नारायण पटेल की दावेदारी इसलिए है मजबूतनिकाय चुनाव में राज्य गठन के बाद रायगढ़ नगर निगम में एक साथ दो- दो पार्षद निर्विरोध चुने गए है।इसमें वार्ड नंबर 45 भी शुमार रहा है। नारायण खुद तो जीते उसके बाद पार्टी ने लैलूंगा विधानसभा से जुड़े नगर निगम की सीमा में आए 5 वार्ड में जीत दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनके प्रभार में दो वार्ड दिया गया उक्त दोनों वार्ड में कांग्रेस का कब्जा 10 वर्षो से रहा था। कांग्रेस के नेताओं के वर्चस्व को तोड़ते हुए भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाये है। इसके अलावा राजनीति में सबसे मजबूत पकड़ एवं तत्कालीन निगम प्रशासन, शहर सरकार की पोल खोलने के साथ नियमों की जानकारी बनाती है।













