डेस्क खबर खुलेआम
हीरालाल राठिया
झारसुगुड़ा जिले के रेंगाली थाना अंतर्गत सरधा डेम में पिकनिक मनाने के लिए करीब 50 लोगों का एक समूह नाव से पत्थरसेनी मंदिर गया था। इसी बीच नाव नदी में डूब गई। इस नाव में करीब 20 से 25 लोग कोतरलिया के थे। बताया जा रहा है कि यह घटना शाम करीब 4 बजे घटित हुई है। सूचना मिलने के बाद झारसुगुड़ा एसपी, रेंगाली थाना प्रभारी सहित एक दर्जन से अधिक रेक्स्यू टीम मौके पर पहुंची है। सभी मृतक रायगढ जिले के बताए जा रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ जिले के कोतरलिया निवासी गंगाराम लोहर के यहां खरसिया से 50 लोग पहुंचे थे, जहां से सभी एक साथ ओडिशा के पंचगांव स्थित पत्थरसेनी मंदिर दर्शन करने के लिए निकले। वहां पहुंचने के बाद नाव में घूमने के दौरान बीच नदी मे नाव पलट गई और उसमें सवार 70 लोग महानदी में समा गए। अफरा तफरी के माहौल के बीच समाचार लिखे जाने तक 4 शव बरामद किए जा चुके हैं, वहीं एक दर्जन लोग अभी भी लापता है। शेष लोगों को बचा लिया गया है। सूचना मिलने के बाद रायगढ़ पुलिस भी गोताखोरों की टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंच कर ओडिशा पुलिस के साथ मिल कर रेक्स्यू आपरेशन में जुट गई है।
मछली पकड़ने वाली नाव में थे सवार
समाचार लिखे जाने तक इस दुर्घटना में 4 लोगों की मौत होने की बात सामने आ रही है। झारसुगुड़ा पुलिस ने प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां सरधा महानदी डेम के तट पर स्थित पत्थरसेनी देवी मंदिर में डूबे नाव से करीब 40 लोगों को नदी से निकाल लिया गया है। हालांकि अब तक कई लोगों के लापता होने की बात सामने आ रही है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक वे लोग जिस नाव से मंदिर दर्शन करने के लिए जा रहे थे, वह मछली पकड़ने वाली सामान्य नाव थी। जिसमें लाइफ जैकेट सहित अन्य जीवन रक्षक उपकरण का अभाव था। वहीं एक नाव में क्षमता से अधिक लोगों को बैठाया गया था।
लापरवाही पर आक्रोश
स्थानीय जानकारों की मानें तो इससे पहले भी इस तरह की एक घटना हुई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में इस घटना के बाद शासन ने नाव में लाइफ जैकेट सहित अन्य सुरक्षा उपकरण अनिवार्य कर दिया था। किंतु इसके बाद लापरवाही बरती गई। जिसके कारण अब घटना स्थल पर काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है।
नाव में सवारी ले जाने की अनुमति नहीं
कुछ स्थानीय सूत्रों की मानें तो जिस नाव पर वे लोग सवार थे, उन्हें नदी पार कराने या दर्शन कराने लेकर जाने की अनुमति न तो ग्राम पंचायत की ओर से दी गई थी और न ही जनपद पंचायत या किसी प्रशासनिक संस्था की ओर से। ऐसी स्थिति में यह भी एक बड़ी लापरवाही के रूप में सामने आ रहा है।