धर्मजयगढ़ …….चुनाव आते ही चर्चाएं गर्म हो चुकी है धर्मजयगढ़ विधानसभा में कुछ ऐसा हो रहा है धर्मजयगढ़ मे इस बार चुनाव रोचक होता जा रहा है गुटबाजी चरम सीमा पर है जहां एक तरफ जिला के नेता की मनमानी करने के कारण कार्यकर्ताओं मे रोष व्याप्त है वही जिले से अपना नाम स्वयं अपना नाम भेज कर खुद बन जाना स्वयं विधानसभा प्रभारी बन जाना वरिष्ठ कार्यकर्ताओ में रास नहीं आ रहा है वही आदिवासी लोकप्रिय नेता राधे श्याम राठिया को टिकट नहीं देने जाने पर कार्यकर्ताओं मे विरोध हो रहा है विधानसभा में राधेश्याम टिकट के प्रबल दावेदार थे लगातार दो विधानसभा से टिकट की मांग करते आ रहे थे अभी तीसरी बार पुरी उम्मीद थी कि इस बार पार्टी उन्हें ही प्रत्याशी बनायेगी परंतु किस्मत ने उनका फिर साथ नही दिया और हरिश्चंद राठिया को मौका दिया , राधे श्याम की लोकप्रियता का पैमाना यह है कि पूरे विधानसभा के सभी मंडल अध्यक्ष लोगो ने एक स्वर से उन्हें संचालक बनाने की मांग की थी परंतु पार्टी द्वारा जिला महामंत्री अरुण धर दीवान को संचालक व राधेश्याम राठिया को सहसनचलक बना दिया था जिससे पार्टी के कार्यकर्तओं मेंआक्रोश फैल गया था मीडिया में मुद्दा छाने के बाद पार्टी ने आनन फानन कल रात प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप के हस्ताक्षर से संचालको की संसोधित सूची जारी करते हुये राधेश्याम राठिया को संचालक की जिम्मेदारी दी गयी है ।
सह संचालक किसी को नही बनाया गया है तब जाकर विधानसभा के कार्यकर्ताओं का आक्रोश शांत हुआ है समय रहते धर्मजयगढ़ विधानसभा में चल रही गुटबाजी पर रोक ओर सर्वमान्य नेताओ की स्वीकार्यता को अगर पार्टी नही समझेगी तो निसंदेह भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।