लैलूंगा..विश्व्यापी महामारी कोरोना का प्रकोप प्रदेश समेत पूरे जिले में अपने चरम पर है।जिस पर काबू पाने प्रशासनिक अमला ऐड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है।संक्रमण के खतरों के मद्देनजर
जिले में पिछले 14 अप्रैल से लॉकडाउन जारी है।जिसमें अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़कर 6 मई तक सम्पूर्ण गतिविधियों पर एहितयातन ताला बंदी का निर्णय लिया गया है।बावजूद इसके लैलूंगा ब्लॉक में संक्रमण अब गांव गांव में फैल गया है।जिसका कारण लॉकडाउन में अवैध रूप से चल रही कुछ अनावश्यक गतिविधियो की रोकथाम मे विफलता को भी बताया जा रहा है।जिसमे शिकवे शिकायतों और मामलों के संज्ञान में होने के बाद भी सरकारी महकमा इन मामलों में ठोस कार्य वाही नही कर पा रहा। ऐसा ही मामला विकासखण्ड लैलूँगा के ग्रामीण इलाकों में अवैध रूप से चल रही महुवा खरीदी का है।आरोप है कि सीमावर्ती जिले के साथ स्थानीय कोचियों का समूह लॉकडाउन के नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए लगातार ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर अवैध रूप से महुवा खरीदी का काम कर रहा है।जिसमे उनके द्वारा पसरो के माध्यम से भीड़ भाड़ इकट्ठी कर ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के खतरे को बढ़ाया जा रहा है वही ग्रामीणों का कहना है कि महुवा कोचिये लॉकडाउन के नियमों को ताक पर रखकर सीमावर्ती राज्य एवम अन्य जिलों से आकर अवैध रूप से महुआ की खरीदी कर रहे है।और इनके द्वारा सुबह से लेकर देर रात तक गांव में पसरे के माध्यम से बिना मास्क और सेनेटाइजर सोशल डिस्टेंसिंग के भीड़ इकट्ठी कर लाकड़ाऊंन के इस कठिन समय मे महुआ की खरीदी की जा रही है।और इस खरीद बिक्री की प्रक्रिया में हो रही भीड़ भाड़ में मास्क सेनेटाइजर को दरकिनार किए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ गया है।
महुआ कोचिया लॉकडाउन में भीड़ लगाकर धारा 144 का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करते हुए महुआ की खरीदी कर रहे हैं । जिसकी कोई समय सीमा भी नहीं है यह सुबेरे 5:00 बजे से रात के 11:00 बजे तक गांव में ही घूमते नजर आते हैं इसका एक नुकसान यह भी है कि लॉकडाउन का फायदा उठाकर यह औने पौने दाम में महुआ खरीदी कर रहे हैं जिससे मुनाफाखोरी बढ़ रही है साथ ही इस कठिन परिस्थिति में गरीब ग्रामीणों को कोरोना जैसी महामारी के मुंह में धकेलने जैसी स्थिति बना कर उनको बेबस बना रहे हैं।बताया जा रहा है कि गांव में स्थानीय कोचियो के साथ दीगर जिले के कोचिए भी सक्रिय हैं जो प्रतिदिन सुबह से गांव में पहुंच कर पसरा लगाते हैं । जिसमे इन्हें बिना मास्क के भी घूमते देखा जाता है।
(खबर छापने से बौखलाये अधिकारियों ने बनाया पत्रकार को निशाना)
14 अप्रैल से लगाए गए लाकड़ाऊंन के बाद के बाद जिले के लैलूँगा थाना क्षेत्र के गांवों और सीमावर्ती राज्य एवम जिलों से महुवा कोचियों द्वारा पसरे लगाकर भीड़भाड़ इकट्ठा करने की खबर आ रही थी।और लॉकडाउन के इस समय में सरहदी इलाकों में चल रही इस प्रकार की गतिविधियों से ग्रामीण इससे संक्रमण फैलने का अंदेशा जताते हुए काफी डरे हुए थे।जिसे संज्ञान में लेकर दैनिक पत्रिका के प्रतिनिधि आशुतोष मिश्रा ने मौका मुआयना कर इस पूरे मामले से जिला पुलिस अधीक्षक को अवगत कराते हुए।18 अप्रैल के अंक में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था।जिसके बाद उसी रोज लैलूँगा तहसीलदार द्वारा अवैध रूप से महुआ से लदी एक पिकअप वाहन और उसके मालिक की धरपकड़ कर एफआईआर दर्ज कराई गई।जो कि 14 अप्रैल को लगे लॉकडाउन के बाद इस मामले में अधिकारियों की पहली कार्यवाही थी। बताते चले कि खबर में वाहनों की धरपकड़ कर उन्हें छोड़े जाने का उल्लेख किए जाने से बौखलाकर तहसीलदार द्वारा संबंधित पत्रकार को एसडीएम आफिस बुलाकर काफी खरी खोटी सुनाई थी।जबकि 15 अप्रैल को अवैध महुवे से लदा एक वाहन थाने तक लाकर उसे बिना किसी कार्यवाही के छोड़ दिया गया था।वही इसी बात की खुन्नस निकलते हुए एक दूसरे मामले से जोड़ कर सबंधित पत्रकार के खिलाफ झूठी रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है।
एक एफआईआर दर्ज कर की गई खाना पूर्ति
जिले में 14 अप्रैल से लगाए गए लॉकडाउन के बाद से सरहदी इलाको के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध रूप से महुआ खरीद का ये खेल बदस्तूर जारी है।इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन को कई बार आगाह किए जाने के बाद 18 अप्रैल को की गई एक कार्यवाही के बाद दूसरी कोई कार्यवाही नही हुई।जिसका फायदा उठाकर महुवा व्य्यापारी बेधड़क अपनी चार चक्का वाहनों में गांव में घूमकर खरीदी करते हुए आसानी से नजर आ जाते है। कार्यवाही में निरन्तरता का अभाव व्यपारियों के हौसले बढ़ा रहा है। कुछ व्यापारी तो इसे अपने लिए अच्छा संदेश मानकर घर पर बैठ गए हैं। परंतु कुछ कोचिया पहले से ज्यादा सक्रिय हो गए अब वह न सिर्फ सुबह बल्कि शाम में भी गांव में पसरा लगा रहे हैं।
(सीमाओं पर दिख रही लापरवाही)
जिले कि सीमाओं को लेकर जिला कलेक्टर के सख्त निर्देशो के बावजूद सरहदी क्षेत्रों में बिना किसी रोकटोक लोग इधर से उधर आवाजाही कर रहे है।जिसका मुख्य कारण महुआ व्य्यापारी है।विकासखण्ड लैलूँगा के जमुना,तोलमा,हाड़ीपानी सरहदी गांव है जो उड़ीसा बार्डर से लगे हुए है।
इन सरहदी गांव में अन्य जिलों के कोचिया ज्यादा सक्रिय हैं जो प्रतिदिन सुबह से गांव में पहुंच कर पसरा लगाते हैं स्थानीय व्यापारी अपनी जिम्मेदारी बहुत हद तक निभाते दिख रहे हैं परंतु अन्य जिलों से कोचीया इस जिम्मेदारी से परे हटकर दिन रात लॉक डाउन का उल्लंघन करते हुए नजर आते हैं। जिन्हें बिना मास्क के भी घूमते देखा जाता है।
हमारी टीम जब गांव में इस संबंध में पता लगाई तो हमने 7 कोचिए को अलग अलग गांव में मौजूद पाया जिनमे से मास्क लगाए सिर्फ 3 लोग मिले बाकी या तो मास्क को पॉकेट में या बैग में रखे थे। कैमरा देखते ही पलट कर मास्क लगाने लगे थे । सेनेटाइजर तो किसी के पास उपलब्ध भी नही था।
(कलेक्टर एसपी की अपील का भी नही हो रहा कोई असर)
कलेक्टर एवं एसपी द्वारा कई बार वीडियो जारी कर मार्मिक अपील करते नजर आए हैं जिसमें उन्होंने स्पष्ट नियमों का पालन करने लोगों से अपील की है। जिसमें वीडियो के माध्यम से जिले के इन आला अधिकारियों द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को अति आवश्यक ना होने पर घर के बाहर ना निकलने के साथ मास्क एवम सेनेटाइजर का भरपूर प्रयोग करने की दिशा में जोर दिया जाता रहा है।पर यहाँ जिलास्तर के इन अधिकारियों की अपील खुलेआम नजरअंदाज की जा रही है। उल्टे यहां बेरियर के आसपास वाले गांव में बेरियर में मुस्तैद कर्मचारियों के कारण इन कोचियों ने चोर रास्ता बना लिया है जो बेरियर के उस पार निकले । इस तरह से काम करके ये लोग न सिर्फ स्वयं को खतरे में डाल रहे हैं बल्कि पूरे ग्रामीण इलाकों में खतरा बढ़ा रहे हैं ।
गांव से निकल कर आ रहे हैं कोरोना के भयावह आंकड़े
रायगढ़ जिले में कोरोना के लगातार भयावह आंकड़े सामने आ रहे हैं कुछ लोगों की वजह से इस महामारी का परिणाम हमें किस ओर ले जाएगा इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अत्यंत आवश्यकता नजर आ रही है आज कोई भी गांव इस महामारी से शायद ही अछूता रहा होगा जिसके कारण आज हमें लॉकडाउन का सामना दूसरी बार करना पड़ रहा है इन जैसे लोगों पर यदि कड़ाई न हो तो इस लॉकडाउन का अगर कोई सही परिणाम नहीं निकल कर सामने आता है तो उस के सबसे बड़े कारण इस तरह की लापरवाही ही होगी।
असल में सरहदी इलाकों की सही तरीके से मॉनिटरिंग नही हो पा रही।जिसका फायदा उठाकर महुवा व्य्यापारी लॉकडाउन के नियमों से खिलवाड़ कर रहे है।महुवा पसरो पर ना चाहते हुए भीड़ भाड़ इकट्ठी हो जाती है।जिसमें किसी अज्ञात संक्रमित व्यक्ति के जरिए अन्य लोगो मे संक्रमण के खतरे से इनकार नही किया जा सकता।
दशरथ यादव ग्रामीण
यदि इस लॉक डाउन को सफल बनाना है।तो ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही इस प्रकार की गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाने की आवश्यकता है।व्यापारियों द्वारा अंजाम दिए जा रहे इस प्रकार के क्रियाकलापों से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। स्थानीय प्रशासन को मामले में संज्ञान लेना चाहिए।
रामप्रसाद ग्रामीण
लाकडाउन लगने के बाद भी लैलूंगा तथा जशपुर जिला व ओड़िसा के व्यापारी गांव गांव घूमकर महुआ नपा रहे है प्रतिदिन सुबह से लेकर देर रात तक दर्जनों वाहनों में महुआ लोड होकर गुजरती हैं ।
अमर साय ग्रामीण
इस संबंध में एसडीएम लैलूंगा से संपर्क साधने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया