घरघोड़ा उप वनमंडल अंतर्गत समारूमा हाथी प्रभावित संरक्षित वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाला अमलीडीही सुमड़ा रिजर्व कक्ष क्रमांक 1275 रायगढ़ डीविजन में आता है। वर्तमान परिदृश्य में हांथी व जंगली जानवरों के शिकार के मामले में रायगढ़ – धरमजयगढ वनमंडल के सभी रेंज अधिकारी अपनी कमजोरियां छुपाने के लिए छोटे वन्य कर्मचारियों के उपर गुनाहों का ठीकरा फोड़ रहे हैं, वनपाल बिट गार्ड जैसे फिल्ड कर्मचारी इनके कार्यों से परेशान होकर नौकरी तक छोड़ने की बात कर रहे हैं।
गलती नहीं होने पर भी बिट गार्ड खड़िया पर कार्रवाई?
करेट लगने से हथनी की मौत के खबर के बाद वन विभाग में हड़कम मच गया था, आनन फानन में दो व्यक्तियों को पकड़ कर अपनी लापरवाही छुपाने में विभाग लगा रहा अखबारों में वन विभाग के खिलाफ खबर आने के बाद विभागीय कार्यवाही शुरू हुई तो परिसर में कार्यरत कर्मचारी सुशीला खड़िया द्वारा वन परीक्षेत्र अधिकारी को बिना सूचना दिए, कार्यस्थल से अनुपस्थित पाए जाने पर डीएफओ ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है। जबकि हर कोई जानता है इस तरह की घटना होने पर विभाग के उच्च अधिकारी पत्रकारों को जंगल में पैर रखने नहीं देते हैं आखिर क्या छुपाने की कोशिश होती है कारण आज तक किसी को नहीं पता, इस घटना पर पत्रकारों ने मौके पर पुछ पड़ताल किया विभाग के कर्मचारियों से संपर्क कर जानकारी हासिल करना चाहा तो डर से कोई कुछ बताना नहीं चाह रहा था दबे स्वर में सिर्फ यह जानकारी मिला की अधिकारी का सख्त निर्देश है कोई किसी से कुछ नहीं बोलेगा ना किसी को पास जाने की अनुमति होगा, अधिकारी आ रहें हैं उसके बाद ही पता चलेगा पर किसी अधिकारी ने कोई जानकारी साझा नहीं किया? तब स्थानीय वन ग्राम के ग्रामीणों ने बताया कि डिप्टी रेंजर मुख्यालय में नही रहते है और महिला बीटगार्ड छुट्टी पर हैं, गांव में किसी तरह का सहयोग नहीं किया जाता ना हमारी कोई सुनता है, ग्राम वन समिति वन मित्र का अता-पता नहीं। बताना लाजमी होगा कि ग्रामीण सर्किल के डिप्टी रेंजर भगत पर गंभीर आरोप लगाया जा रहा है जिसमे जंगली जानवरों शिकार वन पेड़ों की कटाई कर लकड़ी चोरी में हाँथ होने की बात दबी जुबान कही जा रही है?
डिप्टी रेंजर भगत ऑन ड्यूटी के समय कहां था ? क्यों विभागीय ट्रेनिंग पर गये महिला कर्मचारी पर कार्रवाई किया जा रहा है ?
ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसारअमलीडीह क्षेत्र के डिप्टी रेंजर कार्यस्थल पर नहीं होते है, अपने निजी कार्यों के लिए रायगढ़ क्षेत्र के ग्राम सरायपाली में होना बताया जा रहा है, जबकि घटना के समय भगत का ड्युटी था ? लाजमी है वन परिक्षेत्र में हाथियों का विचरण लगातार हो रही है किसानों का फसल कटाई का समय है फिर भी वन क्षेत्रों में उप वनमंडल अधिकारी रेंजर की जावाबदेही अधिक होनी चाहिए, परिक्षेत्र में स्थित क्या है इसकी खबर रखने के बजाय निष्क्रिय रहते हैं, जिसका खामियाजा कमजोर महिला बीटगार्ड सुशीला खड़िया जैसे नव पदस्थ कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है? हाथी विचरण क्षेत्र होने के कारण पुरा एरिया विशेष वन परिक्षेत्र में आता है, विभागीय रूप से शासन द्वारा संरक्षित घोषित है लाखों रूपए फंड आबंटित करने के बाद भी यह आलम है कि घरघोडा उप वनमंडल अधिकारी व रेंजर को कोई सरोकार नहीं होता है बार बार के लापरवाही पर सिर्फ खानापूर्ति कर छोड़ दिया जाता है जबकि अधिकारी कभी भ्रमण नहीं करते। करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी वन परिक्षेत्र में किसी भी तरह का कार्य नही दिखता है बिना उच्च अधिकारियों के सह पर इस तरह का खुला छुट नहीं मिल सकता, वन विभाग के कर्मचारी कार्य करना चाहते हैं पर अधिकारी ही जब काम चोरी कर रहे है हो तो उस क्षेत्र की दशा व दिशा छोटे कर्मचारी नहीं बदल सकते ?
रायगढ़ – धरमजयगढ वन मंडल में वन्य जीवों को सुरक्षित रखने की कवायद जमीनी स्तर पर दम तोड़ती नजर आ रही है। गौरतलब है कि शासन द्वारा वन्यजीवों को जंगल में सुरक्षा प्रदान करने के लिए वन विभाग के माध्यम से कई तरह की योजनाएं व रणनीति बनाती है। इसमें कई तरह की योजनाएं जमीनी स्तर पर पहुंचने से पहले ही फाइलों में ही धूल फांकते रहते है। बीते पांच वर्षों में धरमजयगढ व रायगढ़ वन मंडल में ही करीब 60 से अधिक वन्य जीवों की मौत के मामले सामने आ चुके हैँ। वन्यजीवों की मौत के मामले में धरमजयगढ़ वनमंडल शीर्ष पर हैं। आलम यह है कि जंगल में क्षेत्रीय अधिकारी कर्मचारी गस्त के नाम पर खानापूर्ति करते है। वहीं दूसरी ओर बड़ी आसानी से शिकारी तरह तरह के उपाय कर वन्यजीवों का शिकार कर रहे है। बीते पांच वर्षों में जंगली सुअर, चीतल, भालू, कोटरी, सांभर सहित हाथी की मौत के मामले अधिक हैं।