ग्राम बरौद के भू- प्रभावित पुनर्वास एवं रोजगार की समस्या को लेकर चिन्तित

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अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे ग्रामीण  मांग   पूरी नही होने पर आंदोलन की तैयारी !!

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खुली खदान बरौद प्रबंधन की मनमानी नियम शर्त पर उलझे ग्रामीण नौकरी को लेकर किसान लामबंद 


घरघोड़ा…ग्राम बरौद थाना तहसील घरघोड़ा के भू प्रभावित ग्रामीण की नौकरी एवं पुनर्बसाहट की गंभीर समस्या को लेकर बरौद के सार्वजनिक मंच पर समस्त प्रभावित ग्रामीणों की आम बैठक में तय निर्णय लिया गया । विदित हो कि ग्राम बरौद के किसानों की जमीन एस.ई.सी.एल द्वारा अर्जन एवं विकास अधिनियम 1957 की धारा 9 ( 1 ) की अधिसूचना SO . 3133 का राजपत्र में प्रकाशन दिनांक 25.12.2010 के तहत अधिग्रहित की गई है , पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना नीति 2012 के अनुशार प्रभावित व्यक्तियों के लिये अधिग्रहित भूमि के एवज में सृजित 488 नौकरियों में से महज लगभग 30 से 40 नौकरी ही दी गई है । विस्थापित ग्राम के लिये कोई पुनर्बसाहट व्यवस्था नही है जो कि आदिवासी बहुल ग्राम बरौद के लिये दुर्भाग्य है , भू अर्जन के 11 वर्ष अंतराल में नौकरी व पुनर्बसाहट व्यवस्था नही होने से प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति के लिए क्षति है जिस कारण जीवन स्तर बद्तर है । कुछ किसानों की जमीन व मकान की मुआवजा भी लंबित है जिसे प्राप्त करने के लिए प्रबंधन को अवगत करायी गई है जिसका निराकरण होना बाकी है वर्तमान समय में बरौद खुली खदान का विस्तार गांव से दूरस्त क्षेत्र को छोड़कर ग्राम के निकटस्थ 100 से 200 मी . के दूरी पर खदान खोलने से रहन बसन की दोहरी समस्या है पूर्व में प्रबंधन के आला अधिकारियों एवं किसानों के बीच ग्राम के मंच में ग्रामीणों को बेहतर लाभ देने की जो सहमति बनी थी वह आज प्रभावित किसान ठगे महसूस कर रहे है । खदान का विस्तार ग्राम पंचायत बरौद को भी पता नही है तेज ब्लासटिंग से पूरा गांव दहल जाता है पत्थर घर के आंगन में गिर रहे है चारों तरफ कोई सुरक्षा व्यवस्था नही है जिस कारण ग्रामीणों की जीवन असुरक्षित एवं भयावह है । सारे सहमति ताक में रखकर मनमाने तरीके से नये- नये नियम व शर्ते रखकर नौकरी करने वाले , नौकरी पाने वाले एवं समस्त ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है , वर्तमान में ग्रामीण किसानों की विभिन्न समस्याएं है जिसका निराकरण करना प्रबंधन का दायित्व है , अतः ग्रामीणों की मांगें निम्नांकित बिन्दुओं में समस्या का समाधान हेतु सभी अधिकारियों और प्रशासन को सूचना दे दी गई है

जमीन के एवज में सृजित नौकरियां शीध्र दें एवं वर्तमान में नौकरी की नियुक्ति पत्र बिना मकान तोड़े प्रदान करें ।

 नौकरी करने वालों की नौकरी सुरक्षित रखें निलंबन की कार्यवाही स्थगित रखें ।

“पुनर्बसाहट व्यवस्था नही होने व सृजित नौकरियां कम से कम 50 प्रतिशत नही होने तक ग्रामीण गांव नही छोड़ पायेंगे तब तक जन जीवन के लिए मूल भूत संसाधन सड़क , पानी , बिजली , स्कूल , मुक्तिधाम , चारागाह एवं अन्य निस्तारी क्षेत्र सुरक्षित रखी जाए ।” रायगढ़ जिले के अर्न्तगत खुली खदानों में नौकरी देने की प्राथमिकता हो । 

 वर्तमान की स्थिति में परिवार सूची में संशोधित कर लाभ दी जाये । वर्तमान पुनर्वास नीति के तहत लाभ दी जाये एवं लाभ की राशि एकमुस्त प्रदान की जाये । छुटा हुआ मकान का सर्वे व लंबित जमीन मकान का मुआवजा शीध्र प्रदान करें । खदान का विस्तार गांव की ओर न की जावे एवं अन्यत्र मकान बनाने हेतु पर्याप्त समय दी जाये ।

भूमिहीन परिवारों को वैकाल्पिक रोजगार प्रदान किया जावें एवं जीवन यापन के साधन प्रदान किया जावें । वही सरपंच रथमिला सनतकुमार  राठिया ने कहा की ग्राम बरौद के प्रभावित किसान  विभिन्न समस्याओं से ग्रसित है  एवं मांग  लामबंद है मांगे नही सुनने पर भविष्य में ग्रामीण एवं ग्राम पंचायत पदअधिकारी  जन आंदोलन के लिये मजबूर होगें जिसका पूर्ण जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन की होगी तथा कोरोना वायरस प्रकोप , एवं धारा 144 का भू-प्रभवितों पर गलत उपयोग करना बदं करें।  

वही सतोषी राठिया जनपद पंचायत सदस्य क्षेत्र क्रमांक 02 ग्राम बरौद के भू -अर्जन सम्बंधित रोजगार ,पुनर्वास ,लबित मकान मुआवजा ,छुटे मकान सव्रे ,परिवार सव्रे में संसोधन कर लाभ देना ,खुली खदानों में रोजगार की प्रथमिकता , छोटी छोटी समस्याओं का हल करें नहो तो एस ई सी एल के खिलाफ हल्ला बोल कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा ।

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