सरकारी जमीन की लूट कि खुली छूट , प्रशासन की चुप्पी संदिग्ध

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डेस्क खबर खुलेआम

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फर्जी दस्तावेजों से हो रही शासकीय भूमि की अवैध बिक्री, ऊँची पहुँच वाले और सरकारी अधिकारी-कर्मचारी भी खरीद रहे जमीन

धरमजयगढ़। क्षेत्र में शासकीय भूमि की अवैध खरीद-बिक्री का गोरखधंधा अपने चरम पर है। बांसजोर, गवारघुटरी, मिरिगुडा, लक्ष्मीपुर सहित कई इलाकों में गांव जमीन को फर्जी कागजातों के आधार पर निजी संपत्ति दिखाकर बेचा जा रहा है। इस गड़बड़झाले में सिर्फ दलाल और रसूखदार लोग ही नहीं, बल्कि खुद सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं, जो बेखौफ होकर इन जमीनों को खरीद रहे हैं। प्रशासन की खामोशी इस पूरे मामले को और भी संदिग्ध बना रही है।

कैसे चल रहा यह गोरखधंधा?

सूत्रों के अनुसार, इस अवैध धंधे में कुछ प्रभावशाली लोगों ने दलालों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार कर लिया है। सबसे पहले शासकीय भूमि की पहचान की जाती है, फिर अधिकारियों की मिलीभगत से उसे निजी स्वामित्व वाली जमीन के रूप में दिखाने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर किया जाता है। बाद में ये जमीन ऊँची पहुँच वाले लोगों और सरकारी अफसरों को बेची जाती है, जिससे इस अवैध सौदे पर कोई सवाल न उठे।सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी खरीद रहे जमीन!

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस अवैध खरीद-फरोख्त में वही लोग शामिल हो रहे हैं, जिन्हें कानून लागू करवाना चाहिए। प्रशासनिक अधिकारी, राजस्व विभाग के कर्मचारी और अन्य सरकारी अफसर खुद इन जमीनों को खरीद रहे हैं, जिससे साफ है कि पूरा खेल सिर्फ भूमाफियाओं तक सीमित नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम के भीतर से ही इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।प्रशासन की चुप्पी – आखिर क्यों?धरमजयगढ़ में शासकीय भूमि की इस खुलेआम लूट पर प्रशासन की चुप्पी कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है। क्या यह पूरा खेल बिना सरकारी तंत्र की मिलीभगत के संभव है?

क्या प्रशासन जानबूझकर इस घोटाले से नजरें फेर रहा है? या फिर रसूखदार लोगों के दबाव में कार्रवाई करने से बच रहा है?

जनता में रोष, उच्चस्तरीय जांच की मांग

इस घोटाले की खबर जैसे-जैसे फैल रही है, वैसे-वैसे आम जनता में गुस्सा बढ़ रहा है। लोग प्रशासन से तुरंत इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। अगर जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया, तो जनता सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेगी।धरमजयगढ़ में सरकारी जमीन की इस खुली लूट पर अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, या फिर पैसे और रसूख के आगे कानून एक बार फिर बौना साबित होगा?

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