डेस्क खबर खुलेआम
जमीन संबंधी फर्जीवाड़ा जैसे समस्याओंं पर ब्रेक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने नया रास्ता निकाला है। सरकार अब राष्ट्रीय दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) के जरिए ऐसे मामलों में कमी लाने के प्रयास में है। ये प्रणाली देशभर में लागू होगी। वहीं छत्तीसगढ़ में आज से रायपुर जिले में इसे लागू किया जा रहा है।
अधिकारियों की मानें तो इस नई प्रणाली के जरिए जमीनों के फर्जीवाड़े के मामले में कमी आएगी और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। संपत्ति के अधिकारी और स्वामित्व की जांच के लिए राजस्व विभाग के भुइंया पोर्टल से इंटीग्रेशन किया गया है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध जमीन विवाद को लेकर होते है। दलालों की भूमिका के चलते किसानों की जमीन गलत हाथों में चले जाने को लेकर केंद्र सरकार ने गंभीरता दिखाई है। पूरे भारत में जमीन से जुड़े मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आए दिन जमीन की हेराफेरी या इसमें फर्जीवाड़ा होने का मामला सामने आता है।
नई प्रणाली में आधार, पैन नंबर इंटीग्रेशन के साथ ही बैंकों से आनलाइन भुगतान की सुविधा मिलेगी. पंजीयन, राजस्व के साथ आयकर का जुड़ाव होने से किसी प्रकार के भ्रम पर संपत्तियों का खाका साफ्टवेयर पर तत्काल दिखाई देगा। जो लोगों के लिए एक बड़ी सुविधा होगी।
NIC ने तैयार किया सॉफ्टवेयर
एनजीडीआरएस (NGDRS) प्रणाली वर्तमान में देश के 11 राज्यों में लागू है. केंद्र सरकार के भूमि संसाधन विभाग की देख-रेख में एनआइसी (NIC) ने इसका सॉफ्टवेयर तैयार किया है. जिसमें सभी राज्यों का डेटा एनआइसी के क्लाउड सर्वर में सुरक्षित रखा होता है. आम लोगों के लिए इस सिस्टम में आइडी-पासवर्ड की सुविधा है. इसके जरिए आम लोग ऑनलाइन भुगतान के साथ जमीनों के दस्तावेजों की जांच भी कर सकते हैं.
लोगों को होगी सहुलियत
पंजीयन में लगने वाला अतिरिक्त समय बचेगा। ऑनलाइन अपॉइंटमेंट पेमेंट की सुविधा मिलेगी। राजस्व विभाग के साथ इंटीग्रेशन होने पर विक्रयशुदा खसरे और मालिकाना हक की जांच। पक्षकार द्वारा ऑनलाइन सभी जानकारी स्वत: प्रविष्टि किए जाने से गलती की संभावना कम रहेगी। मोबाइल पर SMS के जरिए मिलेगी पंजीयन की तारीख की जानकारी।
वेबसाइट www.NGDRS.gov.in के सिटीजन पोर्टल में लॉग इन के लिए यूजर मैनुअल की होगी सुविधा।
फर्जीवाड़े के मामले में आएगी कमी।