रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ में प्रदूषण का स्तर यूं ही नहीं बढ़ रहा है। गाड़ियों का धुआं, कोयला ट्रांसपोर्टिंग,सड़क पर उड़ रहे धूल के साथ ही एक बड़ा कारण हरे-भरे पेड़ों की कटाई भी है। प्रदूषण को कम करने, कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने और धूल कण को खत्म करने में बहुत बड़ी भूमिका पेड़ निभाते हैं।
और इन पेड़ो की रखवाली की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है।लेकिन इलाके में जिस स्तर पर तेजी से जंगलों का सफाया हो रहा है उसी तरह नगर के भीतर भी एक के बाद एक इमारती और फलदार वृक्षों को निर्ममता पूर्वक बलि चढ़ाई जा रही है।जबकि सरकार प्रतिवर्ष कई लाखों रुपए केवल वन मंडल धरमजयगढ़ में वृक्षारोपण के नाम पर पानी की तरह बहा रही है।और दूसरी तरफ इन वृक्षों को बेरहमी से काटा जा रहा है।ऐसा ही एक मामला धरमजयगढ़ नगर में इन दिनों देखा जा रहा है।जिसमे हॉस्पिटल के पास स्थित पीडब्लूडी के बंगले मे बड़े बड़े पेड़ो को बेदर्दी के साथ काट दिया गया जिसमे बताया जा रहा है की इन पेड़ो से उनके भवन और जान को खतरा था।जबकि इन वृक्षों की परवरिश में कई साल लगे और जब यह बड़े हुए तो इनकी बलि चढ़ा दी गई। हालाकि इन पेड़ो के कटाई की अनुमति ली गई थी किंतु कई बार यह देखा गया है की एक पेड़ को बचाने के लिए भवनों के निर्माण स्थल ही बदल दिया जाता है।लेकिन यहां ऐसा नहीं है।यहां इन वृक्षों को बचाने ना तो वन विभाग सामने आया और ना ही किसी पर्यावरण प्रेमी ने इनके बलिदान पर आपत्ति जताई।
ऐसे में पर्यावरण संरक्षण जैसी सरकार की तमाम बाते ढकोसला साबित होते देखी जा रही है।बहरहाल इस खबर में हमारा उद्देश्य उन पर्यावरण प्रेमियों को आइना दिखाना था जो निजी कंपनियां आते ही विरोध का स्वर ऊंचा करके अपना पर्यावरण के प्रति प्रेम जाहिर करते है।तथा वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियो को उस नारे की याद दिलानी थी जो पर्यावरण दिवस के दिन इनके स्टेट्स पर डला होता है।