भारतीय ज्योतिष में 27 नक्षत्र की गणना की जाती है। जिसमें आठवें क्रम में आने वाले नक्षत्र “पुष्य नक्षत्र “को सभी नक्षत्रों में शीर्ष एवं सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।इस बार दिवाली उत्सव से पूर्व “गुरु पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है ; जो अत्यंत शुभ माना जा रहा है। इस नक्षत्र में नवीन कार्य करना शुभ माना जाता है एवं शुभ सिद्ध कार्य की प्राप्ति होती है। पुष्य नक्षत्र को “तिष्य” और “अमरेज्य” भी कहा जाता है। तिष्य का अर्थ मंगल प्रदान करने वाला नक्षत्र एवं वहीं अमरेज्य का अर्थ देवताओं के द्वारा पूज्य नक्षत्र।पुष्य नक्षत्र में जन्म व्यक्ति भी प्रतिभाशाली एवं आकर्षक व्यक्तित्व के देखे गए हैं। पुष्य नक्षत्र में शादी व्याह के कार्य को त्यागकर अन्य सभी स्थायी कार्य किए जाते हैं। इसमें गणना को चिंतन करने की आवश्यकता नही की जाती है।पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर 2021, गुरुवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है एवं इस दिन पुष्य नक्षत्र है। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेगा। 28 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र प्रात: 09 बजकर 40 मिनट से होगा और 29 अक्टूबर शुक्रवार को प्रात: 11 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है, इसलिए इसे “गुरु – पुष्य नक्षत्र” भी कहा जाता है।इस नक्षत्र में खरीदारी करना एवं स्थायी कार्य करना बहुत ही शुभकारी माना गया है। 28 अक्टूबर गुरुवार – 2021को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। ऐसा पूण्य संयोग काफी वर्षो पश्चात बनने के कारण लोगों के लिए हितकर एवं उत्साहजनक होगा। पुष्य नक्षत्र के स्वामी श्री शनिदेव हैं एवं मकर राशि मे स्थित हैं ; जो इस राशि के स्वामी ग्रह भी हैं।वर्तमानगो गोचर में मकर राशि मे बृहस्पति एवं शनि स्थित हैं।2021 में पंच दिवसीय महापर्व में दीपावली महोत्सव से पूर्व यह संयोग राष्ट्र के समस्त वर्ग के लिए शुभ संयोग साबित होगा।
आज होंगे शुभ गुरु पुष्यामृत योग , बन रहे हैं विशेष संयोग : विजय ।
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