आदिवासी माँझी समाज के लोगो द्वारा शुभ कार्य करने से पहले पुराने रीति रिवाजों में अपनी पुरानी परंपरा अनुसार सर्वप्रथम समाज के ठाकुरदेव की पूजा करने के बाद शुभ कार्य का आयोजन किया जाता है । देवता की शादी करने की अवधि लगभग 5 से 7 साल में 1 बार होती है ।
पहाड़ों और जंगलों से घिरे ग्राम पंचायत पुरी में मांझी आदिवासी समुदाय के द्वारा देवता ठाकुरदेव की शादी करने का तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसका रीति रिवाजों के साथ शुरुआत कर दी गई है । अंतिम दिन बकरा बलि दिया जाता है और भंडारा का आयोजन किया जाता है । मानव शादी की तरह देवी देवता शादी में तेल मड़वा , तेलवाहि , बरात जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । शादी मंडप के पास एक झूला बनाया जाता है जिसमे कील लगी होती है बताया गया जिस ब्यक्ति में देवता आते है उस झूले में झूला झूलते है झूला झूलने में बच्चे बूढ़े सभी शामिल थे । देवी देवता की शादी के लिए अगल बगल में कपड़े से घेर कर दो कमरे बनाये जाते है जहाँ से शादी की रश्म पूरी की जाती है
माँझी समाज के लोगो का मानना है कि ठाकुरदेव की शादी समारोह लोगो के दुख दर्द को दूर करने के साथ शुभ कार्य की शुरुआत करने के लिए की जाती है जिन लोगो की मन्नत पूरी होती है सभी इसी शादी में अपना मन्नत पूरी होने पर बोला हुआ पूरा करते है । शादी कार्यक्रम में आसपास के 10 से 15 गाँव के लगभग 10 बैगा शामिल होते है साथ ही देवता शादी देखने के लिए 10 हजार महिला पुरुष बच्चे शामिल होते है देवता की शादी धूमधाम से किया जाता है ।