रायगढ़ शहर की बेपटरी हुई यातायात की दुरुस्ती ही प्राथमिकता – माहेश्वर नाग एएसपी रायगढ़

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कला एवं संस्कारधानी से औद्योगिक नगरी के रूप में तेजी से विकसित रायगढ़ में पटरी से उतरकर समस्या बनी यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने जल्द ही मुहिम छिड़ेगी वहीं लोगों को भी ट्रैफिक नियमों के ईमानदारी से पालन करने के लिए जागरूक होना बेहद जरूरी है, ताकि सड़क हादसों का ग्राफ कम होते ही किसी घर के चिराग पर आंच न आ सके। यह कहना है अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (यातायात) माहेश्वर नाग का।

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मूलतः धमतरी जिले के नगरी ( सिहावा ) के रहने वाले हैं ट्रैफिक एएसपी माहेश्वर नाग रिटायर्ड रेंजर ए.एल. नाग और श्रीमती तुलसी देवी के घर 26 जुलाई 1979 को माहेश्वर का जन्म हुआ , दो भाई और 2 बहनों में मंझले माहेश्वर के भैया रुद्रनारायण नाग वर्तमान में नगरी के विधायक प्रतिनिधि हैं। गृहग्राम के सरकारी प्रायमरी स्कूल में कक्षा पहली से पांचवीं तक पढ़ाई के बाद माहेश्वर ने छठवीं से बारहवीं तक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय माना कैम्प रायपुर में ली। फिर छत्तीसगढ़ कॉलेज रायपुर में वर्ष 2000 में बीएससी के बाद सालभर पीएससी की तैयारी करते हुए 2003 में एमएससी भी पूरी की। चूंकि घरेलू माहौल पढ़ाई का रहा, इसलिए कुशाग्र बुद्धि के धनी माहेश्वर ने 2005 में पीएससी एग्जाम में किस्मत आजमाईश की, जिसमें कामयाबी भी मिली और डीएसपी में इनका चयन हुआ।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हुई पहली पोस्टिंग

पीएससी परीक्षा का प्रोसेस होते-होते 2007 में चंदखुरी में ट्रेनिंग के बाद अम्बागढ़ चौकी, मोहला (राजनांदगांव) के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एसडीओपी के रूप में पहली पदस्थापना हुई। नक्सली गतिविधियों के बीच 3 वर्ष तक खट्टे-मीठे अनुभव हासिल करने के पश्चात नगर पुलिस अधीक्षक के रूप में बालोद के दिल्ली राजहरा में सवा साल, एसडीओपी भानुप्रतापपुर (अंतागढ़) में 6 माह तक सेवा देने वाले माहेश्वर प्रमोशन पाकर कोंडागांव में 3 बरस तक एडिशनल एसपी रहे। तदुपरांत, कवर्धा में तकरीबन 9 माह और एंटी करप्शन ब्यूरो रायपुर में 3 वर्ष तक खाकी वर्दी की शान बढ़ाते हुए अब बीते 19 जनवरी से ये रायगढ़ में बतौर ट्रैफिक एएसपी की कमान सम्हाल रहे हैं।

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सृष्टि के संग रचाया प्रेम विवाह, बगिया में पुष्प रूपी दो बेटी

पीएससी में सलेक्शन के बाद 2008 में डीएसपी की ट्रेनिंग के दौरान माहेश्वर का एआईसी (सेंट्रल गवर्नमेंट) की प्रशासनिक अधिकारी रहीं सृष्टि चंद्राकर से नजरें ऐसी मिली कि दोनों एक दूजे को अपना दिल दे बैठे और उन्होंने लव मैरिज कर ली। माहेश्वर और सृष्टि की घरेलू बगिया में पुष्प रूपी दो बेटी अनन्या तथा अलायना हैं जिनकी शरारतों से नाग परिवार की खुशी दुगुनी हो जाती है।

चीला और टमाटर चटनी है फेवरेट डिश

बड़े पुलिस अफसर बनने के बाद भी चीला और टमाटर की चटनी माहेश्वर का पसंदीदा व्यंजन है। सेवानिवृत्त वन अधिकारी पिता एएल नाग को अपना रोड मॉडल मानने वाले माहेश्वर को आमिर खान और माधुरी दीक्षित की फिल्में देखना काफी पसंद है। आडम्बर झूठे लोगों से परहेज करने वाले माहेश्वर को सच्चे एवं साफ दिल के शख्स खूब भाते हैं। पीएससी में चयन इनकी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी वाला ऐसा लम्हा है, जी ताउम्र यादगार रहेगा।

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मल्टी टैलेंटेड युवा अफसर हैं माहेश्वर

ट्रैफिक एएसपी की जिम्मेदारी निभा रहे माहेश्वर नाग को एक नहीं, बल्कि अनगिनत ऐसे शौक हैं जो उनको मल्टीटैलेंटेड बनाता है। जैसाकि ये फुटबाल के नेशनल प्लेयर रह चुके हैं तो गिटार बजाना, परिवार के संग लॉन्ग ड्राईव में जाना, गीत – कहानी लिखना, फ़िल्म स्क्रिप्ट टाइये करना, शार्ट मूवी बनाना इनका शगल है। कोंडागांव में सेवा के दौरान इन्होंने नक्सली समर्पण पर आधारित 5 शॉर्टमूवी लिखते हुए डायरेक्शन भी किया। नवाबिहान को लेकर ये 5 गानों का एल्बम भी बना चुके हैं। वहीं, कवर्धा में गन्ना परिवहन और यातायात जागरूकता विषय को लेकर 2 शॉर्टमूवी डायरेक्ट कर चुके हैं। नशा मुक्ति-स्वस्थ भारत पर एक वीडियो सांग तैयार कर चुके हैं। मल्टीटैलेंट से भरे माहेश्वर देशभक्ति गीत प्रस्तुत करते हुए अभिनय भी कर चुके हैं। यही नहीं, इनके लिखी एक हिंदी और छत्तीसगढ़ फ़िल्म की स्टोरी की शूटिंग भी हो चुकी है, जो 2-4 महीनों में ही टॉकीज में आएगी।

सुलझे हुए पुलिस कप्तान की कार्यशैली के मुरीद

माहेश्वर बताते हैं कि पुलिस कप्तान अभिषेक मीणा बेहद सुलझे हुए और बुद्धिमान अधिकारी हैं, जो शॉर्प मेमोरी के हैं। वहीं, एडिशनल एसपी लखन पटले उनके बैचमेट हैं। एसपी और एएसपी की जोड़ी से मोबाइल चोरी और संगीन वारदातों का जिस तरह खुलासा हो रहा है, उससे मातहत वर्दीधारियों का हौसला भी बढ़ता है। यही कारण है कि एसपी की उम्दा कार्यशैली के ये दीवाने हैं।

काफी कुछ सीखा गया कोरोना काल

एएसपी माहेश्वर नाग भी मानते हैं कि कोरोना काल का संकट भरा दौर काफी कुछ सीखा गया। साथ ही यह सबक भी दे गया कि मुश्किल में अपने ही काम आते हैं और धन-दौलत की अहमियत वैसी नहीं, जैसा हम सोचते हैं। कोरोना काल में दौरान माहेश्वर एसीबी रायपुर में होने के कारण घर में कैद थे। ड्यूटी नहीं लगी, फिर भी जरूरतमंदों के लिए प्लाज्मा और रेमडेशिविर इंजेक्शन की व्यवस्था कर इनको जनसेवा का जो सुख मिला, उसे शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता। कोरोना काल मे सेल्फ डिसिप्लिन और सीमित संसाधनों के बूते जीवन जीने का तरीका भी सीखा।

लचर यातायात को सुधारने चलेगा अभियान

माहेश्वर भी स्वीकारते हैं कि लचर यातायात रायगढ़ की जितनी छोटी समस्या है, वह उतनी ही बड़ी विडंबना भी है। बाईकर्स से लेकर बड़े वाहन चालकों में ट्रैफिक नियमों के पालन का अभाव देखा गया है। अभी ऑटो चालकों की क्लास लेने के बाद वे वर्दी पहनकर अपनी गाड़ी में साफ नंबर प्लेट लगाते हुए नियम फॉलो कर रहे हैं। ठीक इसी तरह अब भारी वाहन के चालकों और मालिकों को कानून का पाठ पढ़ाने की योजना को मूर्तरूप देने अगले महीने अभियान चलाया जाएगा। वहीं, उन्होंने आम जनता से भी अपील की है कि वे यातायात नियमों का पालन करें ताकि सड़क दुर्घटना के बढ़ते आंकड़ों पर लगाम लग सके। वहीं, माहेश्वर ने यह भी बताया कि अगर वे पुलिस अधिकारी नहीं बनते तो स्पोर्ट्स मैन होते।

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