गोबर खाद के गड्डे मे 4 लोगो मिली लाश , चार कत्लों की गुत्थी सुलझाने जुटी पुलिस

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खबर खुलेआम

रायगढ़ / ठुसेकेला गांव में घटित चार हत्याओं ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है। एक ही परिवार की चार जिंदगियों का बेरहमी से अंत समाज के लिए दर्दनाक सदमा बनकर सामने आया है। इस सनसनीखेज कांड ने न केवल ग्रामीणों की नींद हराम कर दी है, बल्कि पुलिस विभाग के सामने भी चुनौती खड़ी कर दी है। पुलिस अधीक्षक दिव्यांग कुमार पटेल के नेतृत्व में विशेष जांच दल गठित किया गया है। फोरेंसिक विशेषज्ञ, साइबर सेल और खोजी कुत्तों की मदद से हर सुराग को बारीकी से तलाशा जा रहा है। अपराध के हर पहलू को परखा जा रहा है ताकि सच की परतें जल्द खुल सकें।प्रारंभिक जांच में स्पष्ट हुआ है कि चारों हत्याएं धारदार हथियारों से की गईं। आशंका जताई जा रही है कि इस रक्तपात के पीछे जमीन से जुड़ा विवाद और पाँच लाख रुपए के मुआवजे का लालच प्रमुख कारण है। विशेषज्ञों का मानना है कि जर, जोरू और जमीन ही अधिकतर हत्याओं की जड़ होते हैं। ठुसेकेला हत्याकांड भी इन्हीं कारणों से जुड़ा प्रतीत हो रहा है। हत्या के बाद शवों को गोबर खातू में छिपाने की कोशिश, यह दर्शाती है कि हत्यारे मृतकों के परिचित ही रहे होंगे। अपराधियों ने कितनी भी चतुराई दिखाई हो, लेकिन यह सच है कि वे घटनास्थल पर अनजाने में कुछ न कुछ सबूत अवश्य छोड़ जाते हैं।रायगढ़ पुलिस का इतिहास बताता है कि उसने पहले भी गन्धरी पुलिया हत्याकांड, हटरी का दोहरा हत्याकांड, पुसौर का मामला और छाल थाना क्षेत्र का चर्चित केस सफलतापूर्वक सुलझाया है। इन्हीं अनुभवों के बल पर विश्वास जताया जा रहा है कि यह ब्लाइंड मर्डर मिस्ट्री भी शीघ्र ही सुलझ जाएगी।आज जब उरांव परिवार की दुनिया अंधकार में डूबी है, तब पुलिस का संकल्प है कि न्याय की रोशनी वहाँ तक पहुँचाई जाएगी। अपराधियों की गिरफ्तारी और उन्हें उचित दंड दिलाना ही नहीं, बल्कि समाज को यह संदेश देना भी आवश्यक है कि काले षड्यंत्र कभी सफल नहीं होते।

यह संघर्ष केवल एक केस का समाधान नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा है कि सच की जीत होती है और न्याय की रोशनी हर अंधकार को मिटा देती है।

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