2013 से रुके हुए बाधित नहर निर्माण कार्य को जिला प्रशासन द्वारा बलपूर्वक पूर्ण कराने की आखिर कैसी जिद्द ??

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किसान अड़े – तहसीलदार से भिड़े…!!

किसानों ने तानाशाह जिला प्रशासन को हिटलर की दी संज्ञा।

महिलाओं से अभद्र व्यवहार करने पर जब आक्रोशित लोगों ने तहसीलदार को मारने के लिए दौड़ाया….

जूटमिल पुलिस के के पटेल एंड टीम ने काफी सूझ बूझ से स्थिति पर पाया नियंत्रण।

उच्च शिक्षा मंत्री के किसानों को निःशर्त रिहाई करने के निर्देश पर जब एसडीएम पहुंचे केआईटी कॉलेज तो किसानो ने रिहाई से किया इनकार…!!

रायगढ़। किसानों ने कहा कि नहर में पानी के औचित्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं, किसान मुआवजे की जगह 12 माह नहर में पानी रहने का लिखित आश्वासन के साथ विशेषज्ञों से नहर में पानी की उपलब्धता की जांच करने की मांग थी जिस पर जिला प्रशासन द्वारा विशेषज्ञों से जांच कराकर नहर में पानी की उपलब्धता का निष्कर्ष प्रमाण आते तक नहर निर्माण कार्य को स्थगित रखने का किसानों को आश्वासन दिया गया था किंतु आज अचानक सोमवार को जिला प्रशासन द्वारा जल अधिकार आंदोलन कर रहे नेतनागर किसानों को बलपूर्वक गिरफ्तार कर किसानों के आंदोलन को कुचलने का कुत्सित प्रयास किया गया जो कथित किसान हितैषी सरकार की कथनी , करनी व नियत का प्रमाण है।।

ज्ञात हो कि उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने किसानों की गिरफ्तारी के मामले को तत्काल संज्ञान में लेते हुए जिला कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा से संपर्क किया कर किसानों को निःशर्त रिहाई करने के निर्देश दिए. आंदोलनकारी महिला पुरुष किसानों को गढ़ उमरिया के पास स्थित केआईटी कॉलेज में रखा गया था जहां प्रशासनिक आदेश पर एसडीएम गगन शर्मा केआईटी कॉलेज पहुंचे तथा उन्हें रिहा करने की बात कही जिस पर किसानो ने रिहाई से इनकार कर दिया हैं।

देर साम तहसीलदार का आया बड़ा बयान।

पुसौर तहसीलदार नंद किशोर सिन्हा ने अपना पक्ष रखते कहा कि केलो प्रोजेक्ट के तहत ग्राम नेतनागर में नहर का कार्य 2013 से प्रभावित था। किसानों को बार-बार समझाया गया कि केलो नहर किसानों के हित के लिए बनाया जा रहा है,किंतु वहाँ के ग्रामीणों ने कार्य को बाधित रखा।अंततः प्रशासन ने पुलिस हस्तक्षेप की सहायता से किसानों के हित में आज बाधित केलो नहर का कार्य शुरू किया गया जिससे धरने पर बैठे किसान उग्र हो गए। हमने धैर्य के साथ सुना हमने किसी के साथ बदतमीजी नहीं की और ना ही किसानों के साथ कोई गाली गलौज किया किसानों का शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन था, विरोध था। इसमें उनके प्रति गाली गलौज करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। किसानों ने प्रशासन की खीझ मुझपर उतारी तथा उग्र होकर अपशब्दों का प्रयोग किया जबकि मैंने धैर्य के साथ सुनकर किसानों के नाराजगी को भी सम्मान दिया।

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