प्रदेश के हजारों मनरेगा कर्मचारी महासंघ नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ दंतेश्वरी का आशीर्वाद लेकर प्रदेश के समस्त ब्लॉक एवं जिला स्तर पर मनरेगाकर्मी द्वारा महात्मा गांधी जी के छायाचित्र में तिलक लगाकर धरना स्थल में राष्ट्रगान से अनिश्चितकालीन हड़ताल का आगाज किया। जिसमें सर्वप्रथम कांग्रेस सरकार के जन घोषणा पत्र में जो नियमितीकरण का वादा किया गया हैं, जो आज दिनांक तक पूर्ण नहीं किया गया, उसका समस्त मनरेगाकर्मी द्वारा पूर्वजोर विरोध किया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 की समाप्ति की स्थिति में प्रदेश में 28 लाख 48 हजार 792 परिवारों के 54 लाख 92 हजार 693 श्रमिकों को मांग के आधार पर महात्मा गांधी नरेगा से रोजगार उपलब्ध कराया गया था।
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ की 4 अप्रेल से शुरु हुई हड़ताल के कारण इन 54 लाख 92 हजार 693 श्रमिकों के समक्ष रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। राज्य सरकार की नरवा,गरुवा,घुरुवा,बाड़ी योजना में प्रदेश में 9 हजार 364 गौठान है, जहाँ की गतिविधियों के संचालन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ग्राम रोजगार सहायकों के कंधे पर होती है, उनके हड़ताल पर चले जाने के कारण ये सारे गौठान लगभग ठप्प पड़ जाएँगे। नरवा पुनरुद्धार कार्यक्रम के अंतर्गत एक बड़ी राशि महात्मा गांधी नरेगा से आती है, जिसमें मनरेगा श्रमिकों को रोजगार भी मिलता है।दिनांक 4-4-2022 की स्थिति में सुराजी गाँव योजना की प्रगति रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार नरवा – पुरुद्धार के अंतर्गत 50 हजार 454 निर्माण कार्य प्रगतिरत है, जो इस हड़ताल के कारण प्रभावित होने वाले हैं। हड़ताल के पहले दिन ही मजदूरों की संख्या 2 हजार 344 पर आ गई है, जबकि इसी अवधि में पिछले साल नियोजित श्रमिकों की संख्या 12 लाख 26 हजार 508 थी। मनरेगा कर्मियों के अपने नियमितीकरण सहित रोजगार सहायकों के वेतनमान निर्धारित कर 1966 अधिनियम लागू करने की मांगों के लिए अनिश्चित कालीन आन्दोलन करने बाध्य हैं। क्यों कि मुख्यमंत्री एवं टी.एस. सिंहदेव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंन्त्री एवं अन्य कांग्रेस वरिष्ठ जनप्रतिनिधि संघर्ष के दिनों में मंच में आये और उनकी सरकार बनाने पर हमें 10 दिवस में नियमित करने का वादा किया| वादे के अनुरूप हमारी मांगों को कांग्रेस के जन-घोषणा (वचन) पत्र “दूर दृष्टि, पक्का इरादा, कांग्रेस करेगी पूरा वादा” के बिंदु क्रमांक 11 एवं 30 में कर्मचारियों के नियमितीकरण करने, छटनी न करने तथा आउट सोर्सिंग बंद करने को स्थान दिया था अद्यतन 3 वर्ष से अधिक समय व्यतीत होने के उपरांत भी सरकार द्वारा नियमितीकरण की कार्यवाही नहीं की जा रही है। अनिश्चितकालीन आन्दोलनरत मनरेगा अधिकारी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार हमारी मांगो पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए अतिशीघ्र नियमितीकरण की सौगात दे , अन्यथा उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी।।