बिना योजना के जल्दबाजी में क्यों प्रारंभ हुआ सड़क निर्माण का कार्य ?
घरघोड़ा बस स्टैंड शहीद स्मारक कारगील चौक से बाईपास मार्ग तक लगभग दो किलोमीटर सड़क बुरी तरह से जर्जर हो चुकी है, लंबे समय से स्थानीय लोग सड़क निर्माण के मांग लिए संघर्षरत फिर भी शासन-प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। छाल रोड में बने बड़े बड़े गड्डो में आए दिन लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं, पीडब्लूडी विभाग कार्यालय के बगल से यह सड़क गुजरती है फिर भी अपनी आंखे मूंदे बैठी है इस पर आमजनता समझ सकती है विभाग अपनी जिम्मेदारी के प्रति कितनी सजग है। आपको बता दें कुछ महीने पूर्व छाल रोड निर्माण के लिए सी.एस.आर. मद से प्रशासनिक स्वीकृति लगभग 90.00 लाख रुपए हुआ था, इस निविदा पर रायगढ़ निवासी ठेकेदार को सड़क निर्माण का कार्य मिला है, संबंधित ठेकेदार द्वारा बरसात पुर्व कार्य प्रारंभ भी हुआ था जिस पर स्थानीय नेताओं व पार्षदों द्वारा वाहवाही लुटी गई व संबंधित वार्ड पार्षद द्वारा निर्माण कार्य पर सवाल खड़े करते राजनीति भी किया गया,जिस पर रोड का की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े किए गए थे जिसकी वजह से काम रोक दिया गया। आज वर्तमान में इस सड़क पर हजारों की संख्या में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए जिसकी पीडब्ल्यूडी मरम्मत भी नहीं करा रही है जिसके कारण आए दिन साइकिल, मोटरसाइकिल व छोटी कार सवार दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। यह मार्ग नगर के व्यस्ततम मार्गों में से एक है जहां स्कूल व सरकारी कार्यालयों के साथ मंदिर व बड़ी संख्या में आबादी क्षेत्र है इस सड़क से रोजाना हजारों ग्रामीण क्षेत्रों के लोग आना जाना करते है जिसके कारण पुर्व में दुर्घटनाओं व धुल धुआं से बचने के लिए स्थानीय लोगों ने चक्का जाम कर भारी वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने के लिए प्रशासन से मांग किया था, जिस पर एसडीएम द्वारा इस सड़क पर भारी वाहनों का पुर्ण रूप से प्रतिबंध का आदेश तत्काल प्रेषित कर भारी वाहनों के आने जाने पर रोक लगा दिया था, परंतु समय गुजरने के बाद इस आदेश का अव्हेलना करते हुए फिर से सैकड़ों भारी वाहन इस मार्ग से शहर के अंदर चलने लगे, जिसपर पुलिस प्रशासन व स्थानीय प्रशासन दोनों ही आंखें बंद कर ली, जिसके कारण बरसात में इस आधे अधूरे सड़क पर हजारों तलाब जैसे गढ्ढे बन गये और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं रहा ना स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने रूचि दिखाई ना शासन प्रशासन के नौकरशाहों ने अपनी जिम्मेदारी समझनी चाही , आज इस सड़क की दुर्दशा के कारण सबसे ज्यादा आमजन व स्कूली बच्चे प्रभावित हो रहें हैं, अपनी जान जोखिम में डालकर कर सड़क पर चलने को मजबूर हैं सड़क पर पसरा गन्दे पानी की वजह से राहगीरों के कपड़े खराब हो रहे हैं फिर भी मजबूरी के कारण इस सड़क पर रोज आना जाना करते हैं, आसपास के वार्डवासियों के लिए एकमात्र साधन है जहां से होकर वह अपनी दिनचर्या के हर कार्य करते हैं फिर भी स्थानीय नगरपंचायत के पदाधिकारियों द्वारा इस ओर मुखर होकर कोई ध्यान ना देना दुखद है।
आज की वर्तमान स्थिति में महीनों से जर्जर बदहाल सड़क चलने लायक नही है फिर भी जिम्मेदार लोग अपने आंखों पर पट्टी कानो में रूई डाले किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं या जनता के सयंम की परीक्षा लेकर बड़े आन्दोलन हो तब कुछ करने की मंशा बनाये बैठे हैं? बरसात अपने अंतिम चरण में है अब देखना होगा शासन प्रशासन की आंख कब तक खुलती है या राम भरोसे इस सड़क को छोड़ दिया जाता है, जबकि समय रहते अगर सड़क के इन गड्ढों को नहीं पटा गया व भारी वाहनों पर पुर्ण रूप से प्रवेश वर्जित नही होता है, तो पुर्व कि भांति इस सड़क पर किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।