गारे पलमा कोल माइनिंग के लिए अधिग्रहित क्षेत्र वाले किसानों से दलालों के माध्यम से सेटिंग बैठाकर करोड़ों रुपए की गलत भुगतान कर दिए जाने की जानकारी सामने निकल कर आ रही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार बताया जा रहा है कि दूसरे मद के लगभग 25 करोड़ की राशि मोटी कमीशनखोरी कर 6 महीने पहले ही बाँटा जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि सीएसपीजीसीएल को आवंटित गारे-पेलमा-3 कोल माइन के खनन का ठेका अदानी कंपनी के पास है। यह माइंन दूसरे माइंस से छोटा होने के कारण इसके भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया 2 साल पहले ही पूरी हो चुकी है। लेकिन कोरोनाकाल में आर्थिक संकट के कारण मुआवजा राशि सीएसपीजीसीएल ने रोक रखा था, जो अब जाकर गत सप्ताह लगभग ढाई सौ करोड़ की राशि राजस्व विभाग को आबंटित किया गया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि लगभग 10-12 हितग्राहियों को 6 महीने पहले ही मुआवजे का भुगतान कर दिया गया है ?? अब यह सवाल उठना लाजमी है कि जब कंपनी से पैसा अभी मिला है तो 6 महीने पहले किस मद के पैसे का भुगतान कर दिया गया ? इस पर जब स्थानीय आरटीआई कार्यकर्ताओं ने जानकारी मांगी तो अधिकारी बगलें झांकने लगे और जानकारी देने में अब तक टालमटोल कर रहे हैं। आपको बता दें सूत्रों के हवाले व स्थानीय स्तर में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि लगभग 25 करोड़ की राशि के भुगतान में करोड़ों की कमीशन खोरी की गई है। अब जब कंपनी से राशि प्राप्त हो गई है तो उसका समायोजन किया जा रहा है ।
उल्लेखनीय है कि दूसरे मद का पैसा दूसरे कार्य के उपयोग में लेना गंभीर आर्थिक अनियमितता की श्रेणी में आता है। यह भी चर्चा है कि इस मामले की भनक जिला कलेक्टर को पहले ही लग चुकी है। अब आगे यह देखना बाकी है कि प्रशासनिक परफारमेंस के लिए पूरे प्रदेश में अव्वल माने जाने वाले कलेक्टर भीम सिंह इस अनियमितता की जांच कर दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हैं या उनको यूँ ही बख्श देते हैं ?