लैलूंगा विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस की जातिगत समीकरण को लेकर एक नजर
लैलूंगा : लैलूंगा विधान सभा के पूर्व विधायक हृदय राम राठिया को यदि कांग्रेस पार्टी टिकिट देती है तो वे बहुत आसानी से विधान सभा चुनाव जीत सकते हैं । क्योंकि क्षेत्र में उनकी पकड़ बहुत अच्छी है । वे जिस राठिया कंवर जनजाति समाज से तालुक रखते हैं । उनकी जन संख्या लैलूंगा विधान सभा क्षेत्र में लगभग एक लाख से भी अधिक मात्रा में निवास करते हैं । जो कि राठिया कंवर समाज के मतदाताओं कि संख्या नव मतदाताओं को मिलाकर लगभग 70 हजार से 75 हजार मतदाता हैं । वहीं यदि बात कि जाये क्रिश्चियन उराँव आदिवासी समाज से यानी ईसाई सामुदाय के लोगों की जनसंख्या भी लगभग 40 से 45 हजार हैं । जहाँ क्रिश्चियन व्होटरों की यानी ईसाई महासभा के मतदाताओं संख्या लगभग 25 से 30 हजार है । जो कि कांग्रेस पार्टी के पारंपरिक मतदाता कहलाते हैं । और यदि बात कि जाये हिन्दू उराँव आदिवासियों कि तो हिन्दू उराँव दो भागों में बंटे हुए हैं । जैसे कि कुछ हिन्दू उराँव भारतीय जनता पार्टी के कट्टर समर्थक हैं तो कुछ हिन्दू उराँव कट्टर कांग्रेसी हैं, जिन्हें स्पष्ट रूप से पहचान कर पाना संभव नही है । रही बात अन्य समाज के व्होटरों की तो हृदयराम राठिया सब पर भारी पड़ेंगे क्योंकि उनकी एक अलग ही जनाधार है । वहीं हृदय राम राठिया की साफ सुथरी छवी और उनकी दरिया दिली व बेदाग, बेबाक, सौम्य, सरल, कर्मठ, मिलनसार तथा दबंग नेता के स्वाभाव से हर कोई उन्हें आसानी चाहते हैं । क्या युवा, क्या बुजुर्ग, क्या छोटा, क्या बड़ा सभी के लिए एक समान व्यवहार करने वाले हृदय राम राठिया के हर कोई कायल हैं । उसका एक कारण है हृदय राम राठिया को कोई भी व्यक्ति कहीं पर भी मिले वे सभी से हंसमुंख होकर बहुत ही अच्छे ढंग से कुछ भी समस्या हो वे तुरंत ऑन द स्पॉट हल करने में माहिर हैं । लैलूंगा विधान सभा के अब तक के सबसे अधिक किसी समाजिक कार्यक्रमों हिस्सा लेने वाले विधायकों में से एक हैं । जो प्रत्येक दिन अनेकों कार्यक्रम में भाग लेने के बाद देर रात तक घर वापस होने के बाद भी सुबह फिर तैयार होकर अगले पड़ाव के लिए निकल पड़ना हर किसी नेता की बस की बात नहीं है । हृदय राम राठिया के में जो क्वालिटी है ऐसा लैलूंगा विधान सभा के किसी नेता के में नही है । उन्हें एक दबंग आदिवासी नेता के रूप प्रसिद्धी प्राप्त हैं । ऐसा माना जाता है कि रायगढ़ जिले भर के किसी नेता में उनके जैसा गुण नही । यह भी कहा जाता है कि उनके कार्यकाल में कभी अधिकारी राज हावी नहीं हुआ । अजीत जोगी के साथ उनका व्यक्तिगत लगाव होने के कारण वे उनकी पार्टी में चले गये थे वह एक अलग बात है । नही तो वे आज भूपेश बघेल कैबिनेट में बतौर मंत्री मण्डल में कार्य कर रहे होते । आखिरकार समय के अनुसार सुबह का भुला शाम तक घर वापस आ ही जाते हैं । उनके साथ भी कुछ यूँ ही हुआ जो कि हृदय राम राठिया का कांग्रेस पार्टी में पुन : वापसी होने से लैलूंगा विधान सभा मे़ कांग्रेस पार्टी में एक जबरदस्त मजबूती आयी है, इसमें कोई दो मत नही है । वहीं विभिन्न सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान विधायक चक्रधर सिंह सिदार का पूरे विधान सभा क्षेत्र में बहुत ज्यादा विरोध देखने को मिल रहा है । ऐसे में यदि कांग्रेस पार्टी पुन : उनके ऊपर विश्वास करके टिकिट देकर चुनाव लड़ाती है तो लैलूंगा विधान से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है । क्योंकि लैलूंगा विकास खण्ड के सरपंच – सचिवों का कहना है कि लगभग 40 से 45 ग्राम पंचायतों में विधायक मद से इनके कार्यकाल में एक ईंट तक नसीब नहीं हुई तो आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं । आखिर प्रत्येक वर्ष का लगभग पांच करोड रूपये की विधायक मद की राशि आखिर गया तो गया कहाँ ? इसे लैलूंगा विकास खण्ड ही नही अपितु पूरे विधान सभा की जनता विधायक चक्रधर सिंह सिदार से पूछना चाहती है ? क्षेत्र की अधिकांश सड़कें इतनी अधिक खराब है कि उनके विकास की बात करने पर जनता थूकती है । चारों ओर भ्रष्टाचार का बोल बाला है । किसी पर कोई अंकुश लगा पाने में नकाम विधायक की कार्यशैली को लोग निष्क्रियता ठप्पा लगा चुके हैं । तो ऐसे में कैसे होगा लैलूंगा में कांग्रेस का बेड़ापार । हालांकि इस बीच यह स्पष्ट हो चुका है कि कांग्रेस यदि चेहरा नही बदलती है तो लैलूंगा सीट को खोने को तैयार रहना चाहिए ।