लैलूंगा के ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का बिछा जाल, जांच के नाम पर हो रही लीपापोती

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ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का

ऐसे कई अन्य पंचायत में अनियमितता पर किस पे करे जांच पर भरोसा

लैलूंगा 👉 इन दिनों लैलूंगा जनपद के कई ग्राम पंचायतों में बिना कार्य किये राशि आहरण व पुराने कार्यो के नाम पर राशि आहरण का मामला थमने का नाम नही ले रहा है ऐसे दर्जनों पँचायत है जहां भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला जा रहा है वही इन सभी मामलों पर जांच के नाम लीपापोती किया जा रहा है। पंचायत में गड़बड़ी पाए जाने के बाद भी भ्रष्टाचार करने वाले को बचाने का पूरजोर कोशिश किया जा रहा है।

इन पंचायतों में हुआ शासकीय राशि का दुरुपयोग

ग्राम पंचायत तारागढ़ में निर्माण कार्य व साफ सफाई सहित स्ट्रीट लाइट व बोरिंग मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये गबन करने का मामला सामने आया है जिसमे उपसरपंच सहित पन्चो ने जनपद सीईओ को कार्यवाही के लिये आवेदन दिया गया था जिसके बाद वहां तीन सदस्य जांच टीम बनाकर भेजा गया जांच टीम को बरगलाते देख पंच सहित ग्रामीण उग्र होते दिखे तब जाकर जांचकर्ता स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने की बात कह कर पूरे गांव में भ्रमण किये परन्तु एक सप्ताह बीतने के बाद कोई जांच रिपोर्ट सामने आया न दोषियों पर कार्यवाही की गई जिससे तारागढ़ के उप सरपंच सहित पंचगण जांच टीम व प्रभारी सीईओ वीरेंद्र राय के कार्य प्रणाली से असंतुष्ट है। बताया जा रहा है कि सीईओ व जांच टीम भ्रष्टाचार करने वाले सरपंच सचिव प्रयाप्त समय देकर मामले को सुलझाने में भरपूर मदद किया जाता है जिसके बाद दिखावे के लिए जांच टीम भेजा जाता है और जनपद में रखे रद्दी टोकरी में कागजो को फेंक दिया जाता है।

दूसरा मामला ग्राम पंचायत टटकेला

इसी तरह दूसरा मामला ग्राम पंचायत टटकेला का है जहां सरपंच सचिव ने 5 माह पहले सीसी रोड़ के नाम पर तीन लाख रुपये आहरण कर लिया गया है मामला समाचार पत्रों में खूब सुर्खियां बटोरीं जिसमे प्रभारी सीईओ ने कहा था जांच करके कार्यवाही करेंगे पर न जांच हुआ न कार्यवाही हुई बल्कि सलाह देते हुए कार्य शुरू करने की नसीहत दे दिया गया जिसके बाद आनन फानन में सरपंच सचिव ने सीसी रोड़ का निर्माण शुरू कर दिया अब इस मामले को किस नजरिया से देखा जाए 5 माह पहले राशि गबन करने वाले सरपंच सचिव पर कार्यवाही के वाजये उन्हें सह देकर साढ़े पांच महीने बाद कार्य को शुरू करा दिया गया अगर इस मामले को अखबारों व न्यूज़ चैनल के माध्यम से उजागर नहीं किया जाता तो सीसी रोड के नाम पर आहरित राशि का पता ही नही चलता परंतु जनपद में बैठे अधिकारी इसी तरह भ्र्ष्टाचार करने वाले संरक्षण देकर बचाया जाता है जिससे और तेज गति से सरपंच सचिव जमकर भरष्टाचार का खेल खेलते है। जिले में बैठे अधिकारी भी आज तक दर्जनों मामला उजागर हुआ लेकिन एक भी सरपंच सचिव पर कार्यवाही नही हुआ बताया जाता है कि गड़बड़ी में पकड़े गए सरपंच सचिव अधिकारी के पास धन का चढ़ावा नही करते है उस पर त्वरित कार्यवाही कर दी जाती है सेटिंग बाज सचिव सरपंच पर अधिकारी दोनों हाथों से आशीर्वाद देते है।

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना पर लगा है ग्रहण शासकीय राशि का जमकर हुआ है दोहन

तीसरा मामला ग्राम पंचायत भूईयापानी का जहां सरकार की गोधन न्याय योजना का बंटाधार करने ।के कोई कसर नही छोड़े है गोधन न्याय योजना के नाम पर शासकीय राशि का दोहन किया गया है गांव से दो किलोमीटर दूर बंजर भूमि पर गौठान निर्माण कराया गया जहां एक बूंद पानी नही है दो बार बोर बोरिंग के नाम पर खर्च किया जा चुका है पर पानी एक बूंद नही वही वर्मी टांका सेड निर्माण दिखावे के लिए बनाकर छोड़ दिया गया है ओ भी जर्जर होने लगे है न वहां पैंरा है न होता है गोबर खरीदी समूह का काम भी ठप गौठान के सम्बंध में पूछने पर सरपंच कहता है गाँव से दूर होने के कारण मवेशियों को ले जाना नही चाहते है वहा पानी की सुविधा नहीं है दो वार बोर खनन कराया गया लेकिन पानी व्यवस्था नही हुआ सरपंच का ये भी कहना है कि गौठान में लगभग 40 लाख खर्च किया जा चुका है। अब ये तो हो गई सरपंच की बताई हुई बात लेकिन समझने वाली बात ये है कि जब सरकार की इतनी महत्वाकांक्षी योजना को ग्राम पंचायत में संचालित करना है गायों को वहां रखना है चारा पानी का व्यवस्था करना है केंचुआ खाद का निर्माण करना है समूहों को लाभ देना है पैरा रखना है गोबर का खरीदी करना है जहां सबसे ज्यादा जरूरी पानी तो क्या वहाँ निर्माण करने से पहले जगह का चयन ऐसे ही कर दिया गया सारी व्यवस्था को नजरअंदाज करते हुए गौठान निर्माण सिर्फ शासकीय राशि का दुरुपयोग करने निर्माण कराया गया सरकार की इतनी महत्वकांक्षी योजना को पलीता लगाने में सरपंच सचिव नही बल्कि सम्बंधित अधिकारी की भी लापरवाही को दरसाता है निर्माण से पहले जगह का चयन सही होता तो आज गौठान में सारा व्यवस्था होता और सुचारू रूप से संचालित होता दो किलोमीटर दूर जंगल मे गौठान का निर्माण जहां कोई व्यवस्था नही जिसमे सरपंच कहते है 40 लाख खर्च हो चुका है इसको किस नजरिये से देखें सरकार की योजना का लाभ ग्रामीणों के लिए या सरपंच सचिव सहित संबधीत अधिकारी को लाभ पहुचाने के लिए तैयार किया गया योजना कहे इतना ही नही यहां सरपंच सचिव ने कागजो में कार्य दिखा कर राशियों का बंदरबाट किया गया है लेकिन यहाँ भी कोई कार्यवाही नही हुई बल्कि अधिकारी इन्हें बल देने में भलाई समझ रहे है ।

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