खदान में चलने वाली गाड़ियों के कारण ध्वनि प्रदूषण से बरघाट, कुडुमकेला, टेरम के रहवासी व्यवसायी हलाकान व परेशान !!

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एसईसीएल जामपाली ,बरौद ,बिजारी खुली खान परियोजना से निकलने वाली कोयला लदी भारी-भरकम वाहनों के कुडुमकेला ,बरघाट ,फगुरम मोड़,टेरम के राज्य मार्ग से चलकर अपने गतंव्य को जाती वाहनों के हॉर्न की आवाजों के अतिरिक्त कोयला परिवहन के कारण हो चुके सैकड़ों हजारों गड्ढोऔर उभर आये असंख्य मिट्टी के लोधों की वजह से निरंतर चल रही वाहनों से उठ रही आवाजों के कारण मुख्य मार्ग में अपने प्रतिष्ठाने खोल व्यवसाय कर रहे व्यापारियों की कानों में सुबह से संध्या तक आ रही आवाजों से हलाकान व परेशान हो उठे हैं बताया जाता है कि हजारों वाहनों के शोर से वह दिन दूर नहीं जब व्यापारी व रहवासी पूरे परिजनों को ऊंची आवाज में सुनने के आदी हो जाए कहना यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि लोकजीवन अस्वस्थ होते चली जा रही है विभिन्न शारीरिक बीमारियों में शोर एक नई बीमारियों में शुमार होते चली जा रही है जो अदृश्य है कोयलांचल के इस उपक्षेत्र जामपाली ,बरघाट ,कारीछापर रेल्वे सायडिंग ,फगुरम मोड़ ,टेरम व कंचनपुर का खासकर मुख्य राजमार्ग के निकठस्थ रहवासी दिन रात के शोर से अब हलाकान व परेशान हो उठे है | ध्वनि प्रदूषण के कारण इस क्षेत्र के लोग दिमागी प्रदूषण का चौबीसों घंटे सामना करने को विवश व लाचार प्रतीत होते हैं आने वाले समय में इस शोर को नियंत्रित नहीं किया गया तब अनेकों व्यवसायी और रहवासी दिमागी असंतुलन भी खो ना बैठे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है !


वायु प्रदूषण से उपक्षेत्र सराबोर :

   कुडुमकेला पंचायत जनसंख्या के दृष्टिकोण से घरघोड़ा तहसील ब्लाक मुख्यालय से कोई कम नहीं है जहां की एक बड़ी संख्या के साथ ही बरघाट के समीपस्थ ग्रामों में प्रमुख रूप से अंवरामुड़ा,बिजारी,पतरापाली,फगुरम, कारीछापर,टेरम, कंचनपुर के रास्ते इन तमाम ग्रामों में कोयला लदी वाहनों के उड़ते धूल डस्ट से वायुमंडल में अत्याधिक प्रदूषण फैल चुका है रहवासी प्रदूषण से परेशान हो उठे है, परिणाम स्वरूप लोगों का जीवन जीना मुश्किल सा हो गया है मनुष्य पृथ्वी और आकाश इस क्षेत्र का प्रदूषित हो चुका है एसईसीएल का विभागीय आवासीय परिसर उपक्षेत्रीय कार्यालय हो या निकठस्थ कोई भी ग्राम और प्रतिष्ठान इस प्रकृति विनाश से अछूता नहीं रह गया है, सब्जी फल जल अनाज सभी प्रदूषित हो चुके हैं इस पर्यावरणीय संकट को बचाने प्रबुद्धजनों को सामने आने की आवश्यकता है अन्यथा आने वाले वर्षों के बाद यह उपक्षेत्र रहवासियों के लिए रहने लायक नहीं रह जाएगा !

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