रिषभ तिवारी की रिपोर्ट:
धरमजयगढ़ :- शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता के सरकारी दावों और कवायदों के बावजूद भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहराई तक जमी हुई हैं कि इसे अंजाम देने के तरीके नियम कानून बनने के साथ ही ईजाद कर लिए जाते हैं। तमाम सरकारी निगरानी की आंखों में धूल झोंकते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले आवास का निर्माण कागजों में ही करा दिया गया है। इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस सपने पर धरमजयगढ़ जनपद पंचायत के अधिकारी पानी फेर रहे हैं , जिसमें उन्होंने हर ग्रामीण को आवास देने के लिए योजना बनाई थी। जनपद पंचायत धरमजयगढ़ के अंतर्गत आने वाले कई ग्राम पंचायतों से कथित ठेकेदार ग्रामीणों के खातों में आए पैसों को निकलवाकर फरार हो गए हैं, जिसके कारण पीएम आवास के नाम पर आधे अधूरे मकान बने हुए हैं। अब ग्रामीणों के समक्ष अपना घर का सपना चकनाचूर हो गया है। ऐसे ग्रामीण झुग्गी झोपड़ियों में रहने के लिए मजबूर हैं। ऐसा ही एक मामला जनपद पंचायत धरमजयगढ़ के ग्राम गेरसा का है। जहां प्रधानमंत्री आवास योजना का हितग्राही ठेकेदार और जिम्मदारों की सांठगांठ का शिकार हुआ है। कथित ठेकेदार द्वारा सीधे साधे ग्रामीणों के खातों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आई राशि को निकलवा लिया गया और उस राशि से घर बनवाने की बात कहकर आधा अधूरा बनाकर छोड़ दिया गया। जबकि सरकारी रेकॉर्ड में यह आवास 2018 में ही पूर्ण हो गया है। गेरसा निवासी जयराम यादव के नाम पर 2018-19 में पी एम आवास स्वीकृत हुआ। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त 2018 में पहली किस्त की राशि का भुगतान किया गया और कागजों में आवास पूर्ण बताते हुए मई 2019 में अंतिम क़िस्त की राशि जारी कर दी गई। लेकिन आज भी यह आवास अधूरा है और धूप, बारिश और ठंड से बचने के लिए एक अदद छत का इंतजार कर रहा है। जिओ टैगिंग एवं हर स्तर पर सरकारी निगरानी के बावजूद कागजों में आवास का निर्माण पूर्ण होना जिम्मदारों और कथित ठेकेदार की मिलीभगत का जीता जागता उदाहरण है।
इस संबंध में हितग्राही के परिजनों ने बताया कि ठेकेदार को पीएम आवास निर्माण कराने के लिए खातों में आए पैसे को दिया था। ठेकेदार पैसे लेकर फरार हो गया है और आधे अधूरे मकान छोड़ दिया है और छत ना होने के कारण बारिश में मकान गिर न जाये इसलिए ऊपर प्लास्टिक ढंककर दिवारों को बचाने का प्रयास किया गया है। आपको बता दे कि यह आवास ग्राम पंचायत के सरपंच के घर के ठीक सामने है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता कि पंचायतों में पीएम आवास की क्या स्थिति होगी।
आवास घोटाले का यह पहला और आखरी मामला नहीं है। पहले भी ऐसे मामले उजागर हुए हैं। कुछ मामलों में कार्रवाई भी हुई है लेकिन अब भी ऐसे कई घोटालों की जानकारी होने के बाद भी जिम्मेदार मूकदर्शक बने हुए हैं। बहरहाल इस मामले के सामने आने के बाद दोषियों पर किस तरह की और कब कार्रवाई होगी इसके बारे में सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है।
इस संबंध में सीईओ डॉ आज्ञा मणि पटेल ने बताया कि मामले की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। हितग्राही मूलक योजना है, राशि सीधे हितग्राही के खाते में जाती है। जांच कराकर फर्जी जिओ टैगिंग करने वाले पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी और हितग्राही को आवास पूरा करने के लिए कहा जायेगा।