कांग्रेस ने किसानों के सम्मान में मनाया विजय दिवस

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रिषभ तिवारी की रिपोर्ट : 

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कैंडल जलाकर शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

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धरमजयगढ़ :- पिछले करीब एक साल से विवादों में घिरे कृषि कानून को पी एम नरेंद्र मोदी द्वारा वापस लिए जाने की घोषणा के बाद इसे किसानों की जीत मानते हुए देश भर में खुशियां मनाई जा रही हैं। हालांकि कानून वापस लिये जाने के फैसले के संबंध में अलग अलग तर्क दिये जा रहे हैं। 

एआईसीसी व प्रदेश कांग्रेस के निर्देशानुसार प्रदेश भर में 20 नवंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया गया। इस कड़ी में धरमजयगढ़ में भी ब्लॉक कांग्रेस के द्वारा कृषि कानून के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के सम्मान में विजय दिवस मनाया गया। इसके साथ ही आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों तथा मणिपुर के नक्सली हमले के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।    

ब्लॉक कांग्रेस द्वारा धरमजयगढ़ विधायक निवास से कैंडल मार्च निकाला गया। इस दौरान किसानों के सम्मान में कांग्रेस मैदान में का नारा बुलंद करते हुए रैली नगर के बस स्टैंड होते हुए गांधी चौक पहुंचीं। जहाँ मणिपुर में शहीद हुए रायगढ़ के सपूत कर्नल विप्लव त्रिपाठी सहित सभी शहिदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी गई। 

इस दौरान ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष रितुराज सिंह ने कहा कि किसानों के अभूतपूर्व आंदोलन के कारण ही सरकार ने तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि यह पूरे देशवासियों की जीत है। इसके साथ ही उन्होंने मणिपुर नक्सली हमले में अपनी जान गवांने वाले शहीदों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।

विदित हो कि कई किसान संगठन पिछले करीब एक साल से तीन कानूनों- किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, 2020 के पारित होने का विरोध कर रहे थे।

बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की और कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा।            


कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसानों को अपनी जान गवानी पड़ी। विवादित कृषि कानून वापसी की घोषणा को कोई अहंकार की हार बता रहा है तो कोई किसान आंदोलन की जीत। ऐसे में एक मशहूर हिंदी फ़िल्म का एक संवाद बरबस ही जेहन में आता है-‘जंग कोई भी हो, नतीजा कुछ भी हो, एक सिपाही अपना कुछ न कुछ खो ही देता है।’

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