रायगढ़ विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवारों में जोर आजमाइश जारी है। कोई दिखा रहा तो कोई छिपा रहा। सीटिंग विधायक प्रकाश नायक के अलावे डॉ राजू अग्रवाल, अनिल अग्रवाल चीकू, विभाष सिंह ठाकुर, संगीता गुप्ता,जयंत ठेठवार और हां अरुण गुप्ता जो संगठन नहीं उद्योगपति से अपनी लॉबिंग करा रहे। टिकट फाइनल होने में अभी बहुत समय है शायद दीवाली के आसपास।
फिलवक्त चर्चा विभाष सिंह ठाकुर की है। उनको आप रायगढ़ में आसानी से देख सकते हैं, बीते 2 दशक से उनके नाम की चर्चा, पोस्टर, बैनर आपको दिख रहे हैं। विभाष को देखकर कोई उनके कद का अंदाज़ा लगाए यह बेवकूफी होगी। बेफिक्री से वह युवाओं के साथ होते हैं पर संदेश गंभीर देते हैं। जैसे मज़ाक मज़ाक में 1 साल पहले ही उन्होंने रायगढ़ विधानसभा के 292 बूथ नाप दिए। बीते चुनाव में हंसते-मुस्कुराते हर घर दस्तक दी। विभाष,कांग्रेस की सेकंड लाइन के बड़े नेता हैं जिनकी पहुंच देख फर्स्ट लाइन के नेता असहज हो जाते हैं।
45 वर्षीय विभाष सिंह ठाकुर रायगढ़ की राजनीति में किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। विभाष रायगढ़ विधानसभा से कांग्रेस टिकट के प्रबल दावेदार हैं। बीते चुनाव में वे जोगी कांग्रेस से लड़े और नतीजा आने के बाद फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। 25 साल से कांग्रेस संगठन में एनएसयूआई अध्यक्ष, युवा कांग्रेस अध्यक्ष, प्रदेश सचिव जैसे कई अहम पदों पर संगठन की राजनीति की। इसी का परिणाम यह है कि चाहे जोगी हों या भूपेश बघेल विभाष मुख्यमंत्री से अपनी नजदीकियां बना ही लेते हैं।
3 दिन पहले ही कांग्रेस संगठन ने उन्हें लैलूंगा विधानसभा चुनाव प्रभारी बनाया है ऐसे में उनके विरोधियों ने उनका रायगढ़ सीट से पत्ता कटने की हवा उड़ाई। जब हमनें संगठन में पता किया तो यह तथ्य सामने आया कि पीसीसी ने अपने 140 प्रदेश सचिवों में से 90 को विधानसभा प्रभारी और बाकियों को अन्य जिम्मेदारी सौंपी है। जिम्मेदारी से कतई अर्थ यह नहीं है कि उनकी दावेदारी खत्म हो गई। रायगढ़ से लगते लैलूंगा विधानसभा के 40 बूथों में विभाष की हनक है इसी कारण उन्हें यहां का प्रभारी बनाया गया है। 2008 में कांग्रेस उम्मीदवार हृदयराम राठिया को जिताने में विभाष की बड़ी भूमिका थी। उस समय भी वही विधानसभा प्रभारी थे। धरमजयगढ़ प्रभारी होते हुए बीजेपी में सेंधमारी करते हुए विभाष ने बीडीसी, ईडीडीसी समेत पार्षद तक को सीएम के सामने कांग्रेस प्रवेश करवाया।
बीते 3 विधानसभा चुनाव यानी 2008 से विभाष सिंह ठाकुर कांग्रेस से टिकटाकांक्षी रहे हैं। कभी उम्र कम,कभी सीनियर के नाम पर तो कभी अगली बार पिंकी प्रॉमिस कहकर उन्हें टाला गया। इस बार विभाष के ग्रह नक्षत्र ठीक रहे और कका ने उनकी दावेदारी और 25 साल की मेहनत देखी तो टिकट संभव हैं।
विभाष के लिए रोड टू टिकट
राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में विभाष और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की एक साथ की कई तस्वीरें वायरल हुईं। जन्मदिन सीएम का हो या फिर विभाष का केक दोनों साथ काटते हैं। मुख्यमंत्री के मंशा अनुरूप सभी विधानसभा में टिकट दिया जा रहा है कई जगह बाबा भी निर्णायक भूमिका में हैं। रायगढ़ में मंत्री उमेश पटेल टिकट दिलाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। विभाष सीएम के खास तो हैं ही उमेश से भी उनके बेहतर संबंध हैं। 1 साल जोगी कांग्रेस में रहने के बाद उनकी कांग्रेस वापसी उमेश ने ही कराई थी। कांग्रेस मारवाड़ी वर्ग से जय सिंह अग्रवाल को ही इस बार कोरबा से फिर टिकट देगी फिर रायगढ़ का प्रत्याशी गैर मारवाड़ी होना तय है ऐसे में विभाष की आशायें बलवती हो चली हैं।
युवाओं की राजनीति में माहिर
विभाष सिंह के साथ युवाओं की फ़ौज चलती है। उनके संपर्क में कम से कम 10,000 युवा हैं। जो एक आवाज़ पर विभाष के लिए कहीं भी खड़े हो जाते हैं। विभाष ने समय-समय पर अपनी शक्ति का एहसास करवाया है। युवा नेता होने का उनसे कोई टाइटल नहीं छीन सकता। आखिर युवाओं में विभाष की इतनी लोकप्रियता क्यों हैं पर एक युवा कार्यकर्ता बताते हैं कि यंग ब्लड उनका इसलिए फैन या फॉलोवर है कि हर जरूरत पर और हर जगह विभाष सिंह ठाकुर या फिर उनके लोग युवाओं के लिए मौजूद हैं। 45 के होने के बाद आज भी विभाष 30 वर्षीय युवा की तरह दिखते हैं यह बात भी उनके फेवर में जाती है। एक ऐसा कारण बताएं कि विभाष को टिकट क्यों नहीं मिले?
इस बार विभाष को मिल सकती है टिकट
कांग्रेस से जुड़े विश्लेषक बताते हैं कि कांग्रेस अब युवाओं को आगे ला रही है और जो संगठन से लंबे समय से जुड़ा है उसे जरूर मौका मिलेगा। टिकट देने का यही आधार है। 1 महीना पहले तक रायगढ़ सीट से एकमात्र नाम सिटिंग एमएलए प्रकाश नायक का नाम तय था। फिर पीसीसी को जिला कांग्रेस ने हर विधानसभा से 5 दावेदार भेजे, रायगढ़ से विभाष का भी नाम उन 5 में था पर उनकी प्रोफाइलिंग जानकर खराब की गई। 4 दिन पहले इसे ठीक करने जिला कार्यालय पीसीसी ने फोन कर मौखिक रूप से विभाष के बारे में डिटेल मांगा। इसी बीच प्रकाश नायक की विरोध की खबरें जिसमें दो बार उनका पुतला फूंका जाना वो भी सरिया बेल्ट के ग्रामों में प्रकाश के लिए शुभ संकेत नहीं है।
ओपी चौधरी का किया विरोध
सवा साल पहले जिला भाजपा अध्यक्ष पर एफआईआर दर्ज होने के विरोध में पूर्व आईएएस व भाजपा नेता ओपी चौधरी की अगुवाई में भाजपाइयों ने कोतवाली का घेराव किया था। ओपी ने मुख्यमंत्री मुर्दाबाद के नारे लगाए। इसके कुछ दिन बाद विभाष सिंह ठाकुर ने 200 गाड़ियों की रैली निकाली और ओपी के खिलाफ नारेबाजी की। अंत में ठीक उसी जगह जहां ओपी ने नारा लगाया था वहां विभाष ने मुख्यमंत्री जिंदाबाद के नारे लगाए और ओपी चौधरी का जबरदस्त विरोध किया। विभाष के अलावे फिलहाल कांग्रेस में ओपी का विरोध किसी ने नहीं किया। हां सोशल मीडिया में भड़ास निकालने से कोई टिकट नहीं पा जाता।