घरघोड़ा 1958 से संचालित क्षेत्र का सबसे पुराना विद्यालय जिसने हजारों छात्रों को योग्य बना कर उनके मुकाम तक पहुंचाया शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घरघोड़ा का अंतिम शैक्षणिक परिवार आज विद्यालय से विदाई हुआ पूरे व्याख्याता शिक्षक लिपिक एक साथ स्कूल से विदा होने का शायद यह पहला अवसर होगा। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल को यहां पर स्थापित करने के पश्चात हिंदी माध्यम के पूरे स्टाफ को 4 फरवरी 22 को इस विद्यालय से स्थानांतरित कर दिया गया था, उसी के परिपालन में धीरे धीरे पूरा स्टाफ कार्यमुक्त होता रहा । आज 7 मई 22 को पूरा विद्यालय परिवार को एस शिव शर्मा अध्यक्ष शाला विकास समिति एवम राजेश मिश्रा प्राचार्य द्वारा एक साथ विदाई दी गई।
1958 से 2022 तक यह विद्यालय अपने गौरवशाली इतिहास को लेकर आज अंतिम सांस लिया। इस विद्यालय में अमृत सिंह चड्ढा डॉक्टर राम जन्म पांडे पीके अंबस्ट जैसे प्राचार्यों ने अपनी सेवाएं दी हैं व्याख्याता में ठाकुर विजय सिंह जितेंद्र शुक्ला श्रीमती मैथिली बारीक श्रीमती रूबी वर्गिस श्रीमती शैलबाला कर्ण शैलेंद्र करण पचौरी सर डीपी चौधरी एवं विद्वान शिक्षकों सुरेंद्र दुबे एसके तिवारी एसपी पटेल धीरेन पंडा टिकेश्वर मिश्रा अपनी सेवाएं दी है खेल शिक्षक के रूप में सीएम पटेल को कौन भूल सकता है अनेकों विद्यार्थी यहां से डॉक्टर प्रोफेसर इंजीनियर एसडीएम एवं कलेक्टर भी निकले हैं जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन में सेवाएं दे रहे हैं विदाई सह सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि शिव शर्मा ने इस विद्यालय को बचाने के लिए अपना पूरा योगदान देने की बात कही प्राचार्य राजेश मिश्रा ने ऐसे विद्यालय एवं स्टॉप मिलना सौभाग्य की बात है संतोष पांडे व्याख्याता ने बताया कि इस विद्यालय से मेरा कक्षा छठवीं से अब तक का नाता रहा है मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरा घर छूट रहा है श्रीमती शैलबाला करण भागीरथी प्रधान बी पी सिदार सुधीर तिवारी शिव प्रसाद तिवारी मनोज कुर्रे इंद्रानी चक्रवर्ती बी बड़ा सुदर्शन चौधरी संतराम साहू विजय ने अपने विचार व्यक्त किए।1958 से 2022 तक का सफर इस विद्यालय में तय किया परंतु आज जब यह विद्यालय स्वामी आत्मानंद के नाम पर परिवर्तित हो चुका है शालेय परिवार सभी ने अपने अनुसार इस विद्यालय की सेवा की अब शासन के आदेशानुसार अलग-अलग स्कूलों में पदस्थ हो गए हैं एवं कार्यभार भी ग्रहण कर लिय है वहां पर उपस्थित अतिथि एवं विद्यालय परिवार के लोगों ने अपना अपना संस्मरण सुनाया एवं विद्यालय में बिताए सुखद पल को अपने जीवन का अमूल्य कल बताया और कहा की जीवन में परिवर्तन निश्चित है परंतु इस वर्ष कक्षा छठवीं से लेकर नवमी एवं 11वीं में इस विद्यालय में सैकड़ों प्रवेश होते थे उन बच्चों का क्या होगा वह किसी स्कूल में अध्ययन करने जाएंगे एवं जो छात्र बाहर से आकर छात्रावास में रहकर अध्यापन करते थे उनके लिए क्या योजना है अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है।