



खबर खुलेआम
धरमजयगढ़ से राजू यादव सहयोग संलग्न कर्ता
धरमजयगढ़। विजयादशमी की रात जब पूरा क्षेत्र रावण दहन और उत्सव की खुशी में डूबा था, तभी खम्हार और मिरिगुड़ा मार्ग पर हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया।खम्हार गाँव के दो युवक आशीष राठिया और सरोज सवरा दशहरा देखने घर से निकले थे, परंतु मिरिगुड़ा के पास खड़ी एक वाहन से उनकी मोटरसाइकिल टकरा गई और दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।घटना स्थल पर पहुँची 108 संजीवनी एक्सप्रेस में दोनों शवों के साथ मृतकों का साथी नरेश कुमार राठिया अटेंडर के रूप में बैठा। किंतु जब वाहन अस्पताल पहुँचा, तो उसमें केवल दो शव थे। नरेश का कोई पता नहीं था।
आश्चर्यजनक रूप से करीब बीस मिनट बाद नरेश कुमार घायल अवस्था में 112 की टीम द्वारा अस्पताल लाया गया, जहाँ उपचार के दौरान उसकी भी मौत हो गई। ग्रामीणों का सवाल है कि एक जीवित और स्वस्थ युवक 108 वाहन में बैठकर अस्पताल के लिए रवाना होता है और रास्ते में गंभीर रूप से घायल मिल जाता है आखिर इसका जिम्मेदार कौन है ?
108 वाहन चालक का बयान है कि नरेश को वाहन में बैठाया गया था, पर वह कब और कैसे उतरा, यह हमें नहीं पता।
वहीं 112 टीम के ए.एस.आई. एस.के. वर्मा का कहना है कि नरेश उन्हें भंवरखोल के पास सड़क किनारे घायल अवस्था में मिला।इन विरोधाभासी बयानों ने ग्रामीणों में गहरी नाराज़गी और अविश्वास पैदा कर दिया है।
सैकड़ों की संख्या में लोग धरमजयगढ़ मुख्यालय पहुँचकर निष्पक्ष जांच और न्याय की माँग कर रहे हैं।दशहरा की रात का यह हादसा अब सड़क दुर्घटना से आगे बढ़कर रहस्य और प्रशासनिक जवाबदेही पर बड़ा सवाल बन गया है।
अपडेट – सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार गुस्साए ग्रामीणों ने मृतकों को न्याय दिलाने उचित जाँच कि मांग को लेकर शव को सड़क पर रख कर नारे बाजी कर रहे


