



खबर खुलेआम
रायगढ़। उद्योग नगरी रायगढ़ से एक बार फिर औद्योगिक जगत को हिला देने वाली बड़ी और सनसनीखेज़ खबर सामने आई है। बांके बिहारी पावर एंड स्टील लिमिटेड एवं बांके बिहारी इंफ्राकॉम प्राइवेट लिमिटेड के बीच चल रहा आंतरिक विवाद अब हिंसक रूप ले चुका है। कंपनी के डायरेक्टरों के बीच पूर्ण नियंत्रण को लेकर हुए मतभेद ने बोर्ड मीटिंग के दौरान मारपीट का रूप ले लिया, जिससे औद्योगिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

मिली जानकारी के अनुसार, कंपनी के डायरेक्टर हरविलास अग्रवाल, निवासी फ्रेंड्स कॉलोनी रायगढ़, ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि 17 अगस्त 2025 को रायपुर के तेलीबांधा स्थित सृष्टि गार्डन (मकान नंबर 11-12) में आयोजित बोर्ड मीटिंग के दौरान उन पर और उनके पुत्र आयुष अग्रवाल पर अन्य डायरेक्टरों ने जानलेवा हमला किया।

हरविलास अग्रवाल ने बताया कि कंपनी के डायरेक्टर सन्नी अग्रवाल द्वारा मेल के माध्यम से मीटिंग की सूचना दी गई थी, जिसका एजेंडा कंपनी का पूर्ण नियंत्रण अपने पक्ष में लेना था। मीटिंग में ममता अग्रवाल, आशा अग्रवाल और श्रीया अग्रवाल को नए डायरेक्टर के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया था।हरविलास के अनुसार, उन्होंने इस प्रस्ताव का ईमेल के जरिए विरोध किया था क्योंकि यह कंपनी के शेयरहोल्डर्स के अधिकारों के विरुद्ध था। इसके बावजूद बैठक आयोजित की गई।मीटिंग के दौरान जब वे पहुंचे, तो वहां मयंक अग्रवाल, प्रतीक अग्रवाल, पवन अग्रवाल, सन्नी अग्रवाल और भोला प्रसाद अग्रवाल मौजूद थे। हरविलास ने बताया कि जब उन्होंने पूछा कि “आप लोग तो डायरेक्टर नहीं हैं, फिर मीटिंग में कैसे?”, तो उन्हें जवाब मिला कि “हम भी डायरेक्टर हैं।” इसके बाद उनके पुत्र आयुष अग्रवाल को मीटिंग से बाहर निकाल दिया गया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया गया।हरविलास अग्रवाल का आरोप है कि मीटिंग में नए डायरेक्टरों के दस्तावेज़ मांगने पर उन्हें दिखाने से मना कर दिया गया और उनसे कोरे कागज पर जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाने की कोशिश की गई। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उपस्थित लोगों ने गाली-गलौज और मारपीट शुरू कर दी।

उन्होंने आरोप लगाया कि मयंक अग्रवाल, प्रतीक अग्रवाल, पवन अग्रवाल, सन्नी अग्रवाल और भोला प्रसाद अग्रवाल सहित अन्य लोगों ने मिलकर उन पर हमला किया, जिससे वे घायल हो गए।फिलहाल, मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई है। पुलिस ने घटना की जांच प्रारंभ कर दी है। वहीं, औद्योगिक जगत में इस घटना से चर्चाओं का दौर तेज हो गया है, क्योंकि यह विवाद अब केवल कानूनी नहीं बल्कि कंपनी नियंत्रण संघर्ष का गंभीर रूप ले चुका है।



