

खबर खुलेआम
संलग्नकर्ता – राजू यादव धरमजयगढ़ की खास रिपोर्ट
धरमजयगढ़। शासन की जनकल्याणकारी योजनाएँ तभी सार्थक होती हैं, जब उनका लाभ जरूरतमंदों तक समय पर और ईमानदारी से पहुँचे। परंतु कापू क्षेत्र के ग्राम पंचायत विजयनगर की हकीकत इससे बिल्कुल उल्टा है। यहां के गरीब, मजदूर, किसान और भूमिहीन परिवार दो महीनों से शासन द्वारा दिए जाने वाले निशुल्क चावल, नमक, शक्कर और चना से वंचित हैं। अभाव की मार झेल रहे इन परिवारों की रसोई धीरे-धीरे सूख रही है, और उनकी आर्थिक परिस्थिति बदहाली की ओर बढ़ रही है।
इस संबंध में विजयनगर के सुरपारा, कंड्रजा और कोमपारा मोहल्लों के ग्रामीणों ने बताया कि राशन विक्रेता लक्ष्मी कुर्रे, मिरीगुड़ा द्वारा उन्हें ई-पॉस मशीन में अंगूठा लगवाकर हर बार झांसा दे दिया जाता है। और अंगूठा लगवाने के बाद भी राशन न देना ग्रामीणों के लिए किसी धोखे से कम नहीं। उनकी बातों में वर्षों का धैर्य टूटा हुआ और भूख की जस्बाती पीड़ा साफ झलकती है।और आगे ग्रामीणों के अनुसार जब वे राशन मांगने जाते हैं, तो विक्रेता द्वारा लड़ाई-झगड़ा तक की नौबत ला दी जाती है,और उन्हें पल्ला झाड़कर वापस भेज दिया जाता है। कई वृद्ध, असहाय और गरीब परिवारों का कहना है कि वे महीनों से इस उम्मीद में दरवाजे खटखटा रहे हैं, कि शायद आज उनका हक मिल जाए। लेकिन वहीं हद तो तब हो गई, जब ग्रामीणों ने मजबूर होकर कहा कि अब वे इस अन्याय के विरुद्ध स्थानीय प्रशासन के समक्ष औपचारिक शिकायत दर्ज कराएंगे। उनकी आवाज़ में दर्द के साथ-साथ न्याय की उम्मीद भी झलक रही है।
स्थानीय प्रशासन पर भी गंभीर सवाल
ग्रामीणों ने यह भी खुलकर कहा कि राशन न मिलने की शिकायत कई गांवों के कई बार स्थानीय प्रशासन के पास कर चुके हैं, लेकिन न तो किसी ने जांच की, न कोई कार्रवाई हुई। तो फिर हमारे शिकायत करने से भी क्या होगा? वहीं उनका स्थानीय प्रशासन पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि एक दो राशन डीलर पर कार्यवाही करके अपना पल्ला झाड़ लिए, और अब तो बस आफिस की कुर्सी तोड़ रहे हैं। और अब कार्रवाई न होने से राशन विक्रेताओं का पूरा भय खत्म हो गया है। अब वे खुलेआम गरीबों के राशन में डाका डाल रहे हैं। स्थानीय विभाग सब जानते हुए भी अनजान बनने का ढोंग करते हुए मौन बैठा है।
बहरहाल विजयनगर की इस स्थिति ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या योजनाएं केवल कागज़ों में चल रही हैं, या वाकई जनता तक पहुंच रही हैं? जब गरीब का राशन ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए, तो शासन की नीतियों की आत्मा कहाँ जीवित रह जाती है?
अपडेट के लिए बने रहिए— वहीं सूत्रों के अनुसार, केवल विजयनगर ही नहीं, बल्कि विकासखंड की कई ग्राम पंचायतों में भी गरीबों का दो से तीन महीने का राशन विक्रेताओं द्वारा डकार लिए जाने की शिकायतें सामने आ रही हैं। आज तक इन परिवारों को उनका हक नहीं मिला है।
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