

खबर खुलेआम
रायगढ़/तमनार।समाजसेवा जब निःस्वार्थ भाव, निरंतरता और ज़मीनी जुड़ाव के साथ की जाती है, तो उसकी गूंज केवल जरूरतमंदों तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि समाज और प्रशासन—दोनों की दृष्टि में एक मिसाल बन जाती है। रायगढ़ जिले में हाल ही में ऐसे ही समर्पित सेवा कार्यों को दो अलग-अलग स्तरों पर मिली मान्यता ने यह साबित कर दिया है कि ईमानदार प्रयास और निःस्वार्थ कर्म कभी अनदेखे नहीं रहते।एक ओर रायगढ़ में विजयलक्ष्मी समाज कल्याण समिति ने सामाजिक सरोकारों में सक्रिय वालंटियर्स को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया, वहीं दूसरी ओर तमनार जनपद पंचायत में प्रशासनिक स्तर पर आदिशक्ति कर्मयोगी संगठन से जुड़े वालंटियर्स को उनके उत्कृष्ट सेवा कार्यों के लिए सराहना पत्र सौंपे गए। यह केवल सम्मान समारोह नहीं, बल्कि उस सेवा परंपरा की स्वीकृति है, जो बिना किसी प्रचार के समाज की नींव को मजबूत करती आ रही है।वर्ष 2009 से पंजीकृत विजयलक्ष्मी समाज कल्याण समिति (पंजीयन क्रमांक CG10907) द्वारा जारी प्रशस्ति पत्रों में वालंटियर्स के योगदान की खुले शब्दों में सराहना की गई। समिति ने माना कि इन कर्मठ कार्यकर्ताओं ने सामाजिक और ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा जनजागरूकता जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

विशेष रूप से “आदि कर्मयोगी अभियान” के अंतर्गत किए गए सेवा कार्यों को उपलब्धि के रूप में रेखांकित किया गया, जिसके माध्यम से समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्ग तक सहायता और संबल पहुंचाया गया।इसी क्रम में तमनार जनपद पंचायत कार्यालय में आयोजित सादे लेकिन गरिमामय कार्यक्रम में मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री संजय चंद्रा ने आदिशक्ति कर्मयोगी संगठन के वालंटियर्स को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। दोपहर 1 बजे आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ऐसे स्वयंसेवी प्रयास प्रशासन की योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर मजबूती देते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी लगातार सक्रिय रहकर सेवा करना केवल सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि गहरी मानवीय संवेदना का परिचायक है। जिन वालंटियर्स को सामाजिक एवं प्रशासनिक स्तर पर सम्मान प्राप्त हुआ, उनमें लीलावती चौहान, गोमती राठिया, कुंती साव, ज्योति चौहान, जमुना भगत, रुकमणी साव, देवमती बंजारा, नंदिनी राठिया तथा अमरदीप चौहान के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।

सीईओ श्री संजय चंद्रा ने अपने संबोधन में यह भी रेखांकित किया कि प्रशासन और समाज के बीच सेतु का कार्य करने वाले ऐसे वालंटियर्स लोकतांत्रिक व्यवस्था की असली ताकत होते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आदिशक्ति कर्मयोगी संगठन से जुड़े सभी कार्यकर्ता आगे भी इसी ईमानदारी, ऊर्जा और समर्पण के साथ समाजसेवा के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाते रहेंगे।सम्मान प्राप्त करने वाले वालंटियर्स ने इस दोहरी मान्यता को पूरे संगठन और क्षेत्र की जनता के विश्वास का प्रतीक बताया। उनका कहना था कि यह सम्मान उनके लिए उपलब्धि से अधिक जिम्मेदारी है, जो उन्हें भविष्य में और अधिक समर्पण के साथ कार्य करने की प्रेरणा देता है।
रायगढ़ से तमनार तक सेवा कार्यों को मिली यह सामाजिक और प्रशासनिक स्वीकृति यह संदेश देती है कि जब प्रयास सच्चे हों, तो पहचान स्वयं रास्ता खोज लेती है। स्थानीय सामाजिक हलकों में इसे सेवा, समर्पण और संवेदना की सच्ची जीत के रूप में देखा जा रहा है—एक ऐसी मिसाल, जो आने वाली पीढ़ी के युवाओं को समाजसेवा की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।












