

डेस्क खबर खुलेआम
गणेश भोय जिला ब्यूरो जशपुर
तमता।पौराणिक एवं धार्मिक आस्था का अनुपम प्रतीक केशला पाठ पहाड़ मेला इस वर्ष भी पूरे श्रद्धा, उल्लास एवं अनुशासन के साथ आयोजित होने जा रहा है। पौष पूर्णिमा के दूसरे दिन प्रारंभ होने वाले इस ऐतिहासिक मेले का शुभारंभ 4 जनवरी 2026 से होगा, जो 6 जनवरी 2026 तक चलेगा। मेला आयोजन को लेकर ग्राम तमता सहित आसपास के अंचलों में तैयारियाँ जोरों पर हैं। प्रकृति की गोद में बसा ग्राम तमता अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए क्षेत्रभर में जाना जाता है।
जिला मुख्यालय जशपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित केशला पाठ पहाड़ धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ ग्रामदेवता की पूजा परंपरागत रूप से बैगा द्वारा विधि-विधान से कराई जाती है, जो आदिवासी आस्था और परंपरा की जीवंत मिसाल है।केशला पाठ देवता के दर्शन हेतु श्रद्धालुओं को पहाड़ की चोटी तक पहुँचने के लिए 365 सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं। मान्यता है कि ऊपर स्थित आकाश गंगा जलकुंड में स्नान कर पवित्र होने के पश्चात देवता की सच्चे मन से की गई पूजा-अर्चना से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएँ वर्ष भर के भीतर पूर्ण होती हैं। इसी गहरी आस्था के चलते हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
इस मेले में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के अलावा ओडिशा, झारखंड, बिहार एवं उत्तर प्रदेश से भी दुकानदारों और दर्शनार्थियों की बड़ी भागीदारी रहती है, जिससे यह मेला क्षेत्रीय एकता और सांस्कृतिक समरसता का जीवंत केंद्र बन जाता है।मेला आयोजन को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष सुरक्षा व्यवस्था को विशेष रूप से सुदृढ़ किया गया है। पुलिस प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के उद्देश्य से मुख्य मार्ग के किनारे दुकानों के संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में मेला संचालन समिति को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या दुर्घटना से बचा जा सके।मेला संचालन समिति एवं प्रशासन ने जनसमुदाय, दुकानदारों और श्रद्धालुओं से सहयोग एवं अनुशासन बनाए रखने की अपील की है, जिससे यह धार्मिक आयोजन शांतिपूर्ण, सुरक्षित और सफलतापूर्वक संपन्न हो सके।
केशला पाठ पहाड़ मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक एकजुटता का भी प्रतीक है। तैयारियाँ अब अपने अंतिम चरण में हैं और पूरे क्षेत्र में मेले को लेकर उत्साह और भक्तिभाव का माहौल बना हुआ है।













