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लोगों में चर्चा के अलावा पूर्व के विरुद्ध भी होनी चाहिए थी कार्यवाही
रायगढ़..कोयला खदानों और उद्योगों के लिए पहचाने जाने वाला रायगढ़ जिला जमीनों की बेशुमार खरीद_बिक्री के अलावा हेराफेरी के लिए भी जाना जाता रहा है। खासकर रायगढ़ शहर में के जमीनों की उलट फेर का खेल विगत दो दशकों से काफी तेज हो चुका है। शहर में रिहाइसी कालोनियों की बाढ़ आ गई है। कालोनाइजिंग के इस खेल में कई लोगों ने अपने वारे न्यारे किए है। जमीन की खरीद बिक्री के इस खेल में सरकारी कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों यहां तक कि जिला कलेक्टरों ने भी अकूत पैसे कमाएं है। ऐसे तमाम अधिकारियों में तत्कालीन एसडीएम अग्रवाल ,घरघोडा के पूर्व एसडीएम मार्बल से लेकर और हाल के कलेक्टर सिंह का नाम भी लोगों के जुबान पर चढ़ा हुआ है। कुछ इसी तरह का स्थानीय लोगों की माने तो बीते दो सालों में आदिवासी जमीनों की खरीद बिक्री में सैकड़ों एकड़ जमीन की आश्चर्य जनक ढंग अनुमति से लेकर कालोनी निर्माण क्षेत्र में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे और निर्माण के दर्जनों मामले समाने आए थे। जिसमे संबंधित जमीन कारोबारियों को लाभ पहुंचाने हेतु बड़े राजस्व अधिकारी और कुछ मामलों में कलेक्टर रायगढ़ की भूमिका संदिग्ध रही है। इसी तरह मिट्ठूमुड़ा में निर्माणधीन पाश कालोनी के सावित्री नगर और सर्कस मैदान के आसपास की करीब 14 एकड़ बेशकीमती भूमि की बेनामी खरीद बिक्री में करोड़ो रुपयों के अवैध लेन देन का मामला सामने आया था। भूमि की सरकारी कीमत 12 से 14 लाख रु प्रति एकड़ बताई जाकर उक्त भूमि के संबंध संदर्भ में करीब दो से तीन करोड़ रु प्रति एकड़ का लेन देन किया गया था। बताया जा रहा है कि संज्ञान में आने के बाद तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह ममाले में कुछ कर पाते इससे पहले उनका स्थानांतरण हो गया। हालाकि यह विषय और इससे जुड़े लोगों का नाम तब दबा नही था। मगर अब यह जांच का बन गया है कि उक्त बेनामी लेन_ देन के गंभीर वर्तमान कलेक्टर ने क्या किया है?? लोगो के बीच यह चर्चा आम है कि जमीन के इस बेनामी लेन देन मामले को दबाने के लिए चंद्रपुर निवासी मुख्य मास्टर माइंड ने कथित तौर पर दो करोड़ रुपए की रकम राजधानी दिल्ली के किसी चिन्हांकित व्यक्ति को हवाला करवाया था।