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ग्रामीण को हाथी ने उतारा मौत के घाट .. दो दिनों में तीन मौत .. वन विभाग पर गंभीर आरोप

By Khabar Khule Aam Desk

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डेस्क खबर खुलेआम

कोरबा जिले में मानव–हाथी संघर्ष लगातार गंभीर होता जा रहा है, लेकिन हालात पर काबू पाने में वन विभाग पूरी तरह असफल नजर आ रहा है। वन मंडल कोरबा अंतर्गत वन परिक्षेत्र बालको के ग्राम गौर बोरा, ग्राम पंचायत अजगरबहार में देर रात जंगली हाथी के हमले में एक ग्रामीण की दर्दनाक मौत हो गई। मृतक की पहचान महेंदा सिंह मंझवार के रूप में हुई है, जो रात में अपने घर के भीतर सो रहा था। बताया जा रहा है कि देर रात जंगल से भटका एक जंगली हाथी गांव में घुस आया। घर में जमकर तोड़फोड़ करने के बाद हाथी ने भीतर सो रहे महेंदा सिंह को कुचल दिया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई।घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है। सूचना मिलने पर वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचा और औपचारिक कार्रवाई की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते सतर्कता बरती जाती तो एक और निर्दोष जान बचाई जा सकती थी।

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गौरतलब है कि शासन द्वारा हाथियों से ग्रामीणों की जान बचाने के लिए वन विभाग को अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इनमें हाथी ट्रैकिंग सिस्टम, ड्रोन, वाहन, सर्च लाइट, सायरन, पटाखे, टॉर्च, वायरलेस संचार साधन और त्वरित प्रतिक्रिया दल जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इसके बावजूद जमीनी हकीकत यह है कि इन संसाधनों का प्रभावी उपयोग नहीं हो पा रहा है। परिणामस्वरूप हाथियों के हमलों में ग्रामीण लगातार जान गंवा रहे हैं। महज दो दिनों के भीतर हाथी के हमले में तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे वन मंडल कोरबा और कटघोरा क्षेत्र में वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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कटघोरा वन मंडल परिक्षेत्र अन्तर्गत बिंझरा चंदनपुर में आज दिनांक 18/12/2025 दिन गुरुवार सुबह का लगभग 5.30 बजे महिला हीना निर्मलकर उम्र लगभग 28 वर्ष अपने पति बबलू निर्मलकर के साथ दिशा मैदान के लिए नदी जा रहे थे, इस दरम्यान जंगली हांथी के द्वारा पति-पत्नी दोनों को दौड़ाया गया।और किसी तरह बब्लू निर्मलकर ने दौड़ कर अपनी जान तो बचा ली, परन्तु अपनी पत्नी हीना निर्मलकार को नहीं बचा पाया।और हांथी ने उसे दौड़ाकर कुचल दिया। जिससे महिला के मौत हो गई।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि न तो हाथियों की नियमित निगरानी हो रही है और न ही संवेदनशील गांवों में समय पर मुनादी और अलर्ट जारी किए जा रहे हैं। कई बार हाथी गांव की दहलीज तक पहुंच जाते हैं और विभाग को इसकी जानकारी बाद में मिलती है।ग्रामीणों में भारी आक्रोश और भय का माहौल है। उनका कहना है कि यदि शासन द्वारा दिए गए संसाधनों का सही तरीके से उपयोग किया जाता, गश्त बढ़ाई जाती और रात में विशेष सतर्कता बरती जाती, तो इन मौतों को रोका जा सकता था।ग्रामीणों ने प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल स्थायी निगरानी दल की तैनाती, मुनादी व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने, हाथियों की लोकेशन की जानकारी सार्वजनिक करने और पीड़ित परिवार को शीघ्र मुआवजा देने की मांग की है।

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Khabar Khule Aam Desk

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