

खबर खुलेआम
रायगढ़। स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ को राज्य सरकार द्वारा आगामी 3 वर्षों के लिए औपचारिक मान्यता प्रदान की गई है। इसकी जानकारी प्रांताध्यक्ष टार्जन गुप्ता ने दी। मान्यता मिलने के बाद अब प्रदेश के सभी संभाग अध्यक्ष व जिला अध्यक्ष परामर्शदात्री बैठकों में भाग लेकर अपना पक्ष रखने तथा आवश्यक पत्राचार करने के लिए अधिकृत हो गए हैं।प्रांताध्यक्ष गुप्ता ने बताया कि ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक अत्यंत कठिन परिस्थितियों में बिना पर्याप्त सुविधाओं के ग्रामीण क्षेत्रों में रहकर कार्य करते हैं। वे कुल 26 राष्ट्रीय कार्यक्रमों व 14 प्रमुख योजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं, जिसके आधार पर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन, रिपोर्ट कार्ड तथा जिले व राज्य की स्वास्थ्य रेटिंग तय होती है।समान योग्यता, समान प्रशिक्षण और समान कार्य होने के बावजूद ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों को अब तक वेतन विसंगति का सामना करना पड़ रहा है। संगठन ने दोनों सरकारों के शासनकाल में ज्ञापन, धरना और आंदोलन के माध्यम से अपनी मांगें रखीं, लेकिन समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। संघ ने पुनः स्पष्ट किया है कि वेतन विसंगति दूर करने की उम्मीद अब भी शासन स्तर पर टिकी हुई है।इस अवसर पर रायगढ़ जिला अध्यक्ष रोहित कुमार डनसेना, संभाग कार्यकारिणी सह कोषाध्यक्ष रविशंकर स्वर्णकार, जिला सचिव आलोक बाबू जनार्दन, उपाध्यक्ष कृपालता टोप्पो, उपाध्यक्ष पवन सक्सेना, जिला महामंत्री श्रीराम भगत, प्रवक्ता तरुण कुमार थवाइत, प्रचार-प्रसार मंत्री लक्ष्मी प्रसाद सारथी, सहसचिव ओमप्रकाश गुप्ता, कार्यकारिणी सदस्य ज्योति सोना, सलाहकार पुष्पलता नायर, सारिका लकड़ा, शहरी अध्यक्ष पुष्पलता पाणिग्रही सहित जिले-भर के सभी ब्लॉक अध्यक्ष व संघ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।ब्लॉक अध्यक्षों में तमनार से हरगोविंद पटेल, हिमांशु निषाद; लैलूंगा से सियाराम पटेल, सहोद्रा साहू; घरघोड़ा से कुमार सिंह सिदार, सारिका लकड़ा; धरमजयगढ़ से संतोष घोष, प्रियंका गुप्ता; लोइंग से विकास खूंटे, आशा साहू; पुसौर से अनिल साहू, श्रीमती सुमन तिग्गा तथा खरसिया से रोशन घृतलहरे, श्रीमती रोहिणी चौबे शामिल रहे।संरक्षक जहांगीर खान सहित संगठन के सभी सम्मानित सदस्यों ने भी वेतन विसंगति को शीघ्र दूर करने की अपेक्षा शासन से व्यक्त की।संगठन ने स्पष्ट किया कि मान्यता मिलना महत्वपूर्ण उपलब्धि है, परंतु वेतन विसंगति का समाधान ही स्वास्थ्य संयोजकों का वास्तविक हक है, जिसकी पूर्ति का इंतजार अब भी जारी है।











