

खबर खुलेआम
संलग्नकर्ता – राजू यादव धर्मजगढ़
धरमजयगढ़। जनपद पंचायत धरमजयगढ़ में सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया अब रस्म अदायगी और भ्रष्टाचार के कवच में तब्दील होती दिख रही है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि सड़ांध सूबे तक पहुंचने लगी है, फिर भी जिम्मेदार अधिकारी मानो आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हों। शासन की पारदर्शिता वाली मंशा को पीछे छोड़ते हुए सामाजिक अंकेक्षण कई जगह सिर्फ एक औपचारिक भ्रमजाल बन चुका है और इसका ताजा उदाहरण ग्राम पंचायत सागरपुर से सामने आया है।
बताया गया कि 28 अक्टूबर 2025 को आयोजित विशेष ग्राम सभा को पंचायत भवन छोड़कर बागडाही के प्राथमिक शाला भवन में चुपचाप निपटा दिया गया। न कारारोपण अधिकारी की उपस्थिति, न कोरम की पूर्ति—बस एक बंद कमरा, 25–30 लोगों की औपचारिक भीड़ और कागज़ी कार्यवाही। यह प्रक्रिया लोकतंत्र का पर्व कम और सच्चाई को दफनाने की एक सुनियोजित साजिश ज्यादा प्रतीत हुई। सचिव, सरपंच और सामाजिक अंकेक्षण प्रदाता की टीम मानो किसी लिखित पटकथा पर काम कर रही हो—जहां वे निर्देशक भी हैं और अभिनेता भी, और मंचन का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ वास्तविकताओं को पर्दे के पीछे छिपाना। लेकिन असली कलंक तब सामने आया जब पंचायत सचिव हीरासाय राठिया शराब के नशे में धुत्त ग्राम सभा में पहुंचा।

ग्रामीणों के मुताबिक सचिव अक्सर कार्यालय से नदारद रहता है, और यदि कभी आता भी है तो शराब के नशे में। ग्राम सभा के दौरान उसने स्वयं शराब सेवन स्वीकार किया और यहां तक कह डाला कि समाचार में मत छापना, मुझे पंचायत के कामकाज का ज्ञान ही नहीं है! यह बयान पंचायत व्यवस्था की रीढ़ को ही कटघरे में खड़ा कर देता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत भवन होते हुए भी सभा को दूरस्थ बागडाही में इसलिए रखा गया ताकि वास्तविक स्थिति छिपी रह सके। बिना सूचना, बिना समझाए, ग्राम सभा शुरू होने से पहले ही उपस्थिति पंजी पर हस्ताक्षर करवा लिए गए—जो साफ तौर पर प्रक्रिया के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। ग्रामीणों ने इसे जनता के साथ छल बताते हुए जिला स्तर पर शिकायत की तैयारी की बात भी कही है।
वहीं, जनपद पंचायत सीईओ मदनलाल साहू ने कहा— अब तक सचिव के विरुद्ध कोई शिकायत नहीं मिली थी, परंतु आपके माध्यम से मिली जानकारी पर जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
धरमजयगढ़ में सामाजिक अंकेक्षण अब एक दिखावटी पर्व बनकर रह गया है। एक ऐसा मंचित आयोजन, जिसे अंकेक्षण प्रदाता, सरपंच और सचिव आपसी तालमेल से तैयार करते नजर आते हैं, मानो भ्रष्टाचार को ढंकने का यह कोई वार्षिक उत्सव हो। कागज़ी कार्यवाहियों की धूल उड़ाकर वास्तविकता को पर्दों के पीछे छिपाने का यह तंत्र आखिर कब उजागर होगा?अब देखने वाली बात यह है कि उच्च अधिकारी कब जागेंगे और कब इन छल–प्रपंच की परतों को हटाकर सामाजिक अंकेक्षण की वास्तविक रोशनी गांवों तक पहुंचने देंगे।













