



खबर खुलेआम
जिंदल के प्रस्तावित कोयला खदान के विरोध में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र बचाओ के नारे के साथ उमड़ा जन शैलाब
महिला पुरुष बुजुर्ग से लेकर बच्चों ने रायगढ़ जिला मुख्यालय में हजारों ग्रामीणों का प्रदर्शन
रायगढ़ / रायगढ़ जिला पहले से ही प्रदूषण की गंभीर मार झेल रहा है, ऐसे में तमनार क्षेत्र में प्रस्तावित एक और कोयला खदान के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। तमनार के धौराभांठा गांव में 14 अक्टूबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को रद्द कराने की मांग को लेकर प्रभावित 12 गांवों के हजारों कि संख्या मे ग्रामीण जिनमें महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे शामिल थे रायगढ़ जिला मुख्यालय पहुंचे।ग्रामीणों ने अपर शहर में भारी रैली निकालते हुए कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। प्रभावित किसानों का कहना है कि उन्हें अब और कोई कोयला खदान नहीं चाहिए, क्योंकि इससे सिर्फ विनाश और प्रदूषण ही बढ़ा है।

ग्रामीणों ने बताया कि खदानों से निकलने वाली धूल, कोयले का कचरा और जल प्रदूषण से उनके खेत पानी और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। कोयले से निकलने वाली जहरीली गैस कि वजह से क्षेत्र कि हवा भी पूरी तरह जहरीली हो गई है हवा और धूल से लोगों का का दम घुटने लगा है ।

जिला पंचायत सदस्य रमेश बेहरा ने कहा – कि प्रशासन ने 14 अक्टूबर को जनसुनवाई कराया जाने का नोटिफिकेशन जारी किया हमारी लड़ाई नोटिफिकेशन के दिन से जारी है और जनसुनवाई के खिलाफ लड़ाई आगे कि भी जारी रहेगी। जनसुनवाई नहीं होने देंगे हम जनसुनवाई का खुला विरोध करते है।

तमनार के जनपद अध्यक्ष जागेश सिदार ने कहा – कि आज क्षेत्र के हजारों कि संख्या लोग यहाँ कलेक्टर महोदय से मिलकर 14 अक्टूबर को होने जनसुनवाई के खिलाफ ज्ञापन सौपने आये है अगर जनसुनवाई निरस्त नहीं कि जाती है तो जनसुनवाई वाले दिन (14 अक्टूबर ) को वे धौराभांठा में पहले से भजन-कीर्तन और सत्संग के लिए टेंट लगाकर बैठेंगे, ताकि प्रशासन वहां जनसुनवाई का टेंट न लगा सके।

एस एल नागवंशी ने कहा – कि जल जंगल जमीन हमारी है हम और किसी भी कीमत पर प्रदूषण नहीं झेल सकते, हमें स्वच्छ हवा और जीवन चाहिए, न कि खदानों से मौत।
स्थानीय सामाजिक संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी ग्रामीणों के इस विरोध को समर्थन दिया है। जानकारों का मानना है आने वाले दिनों में तमनार क्षेत्र में किसान और ग्रामीणों का यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।


