



डेस्क खबर खुलेआम
संलग्नकर्ता – निरंजन गुप्ता
लैलूंगा विकासखंड की ग्राम पंचायत गुनु में एक दुखद स्थिति ने गरीब परिवारों को भूख की आग में झोंक दिया है। फरवरी और मार्च 2025 में सरकारी राशन दुकान से राशन का वितरण पूरी तरह ठप होने से ग्रामीणों का जन जीवन पुरी तरह संकट में आ गया है। राशन दुकान संचालक की कथित लापरवाही और अनियमितता ने सैकड़ों परिवारों को भोजन के लिए तरसा दिया है, जिससे गांव में हाहाकार मचा हुआ है।ग्रामीणों का कहना है कि राशन दुकान महीनों से बंद पड़ी है और संचालक कोई जवाब देने को तैयार नहीं। राशन कार्ड होने के बावजूद अनाज न मिलने से गरीब परिवार निजी दुकानों से महंगे दामों पर अनाज खरीदने को मजबूर हैं। कई परिवारों के पास तो इतना पैसा भी नहीं कि वे बाजार से भोजन जुटा सकें। कुछ ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि संचालक राशन की कालाबाजारी कर रहा है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
गांव के रामू साहू ने रोते हुए कहा, “हमारे बच्चे भूखे सो रहे हैं। राशन कार्ड तो है, लेकिन दो महीने से एक दाना नहीं मिला। संचालक जवाब नहीं देता, और प्रशासन खामोश है। हम कहां जाएं?” महिलाएं भी इस त्रासदी से आहत हैं। एक महिला, लक्ष्मी बाई, ने बताया, “रसोई में चूल्हा नहीं जल रहा। बच्चों का भूख से बुरा हाल है। यह कैसा इंसाफ है?”राशन दुकान संचालक से संपर्क करने की कोशिश नाकाम रही, क्योंकि वे गांव में उपलब्ध नहीं थे। स्थानीय प्रशासन और खाद्य विभाग की ओर से भी इस दुखद स्थिति पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि संचालक के खिलाफ तत्काल कार्रवाई हो और राशन वितरण शुरू किया जाए, ताकि उनकी भूख की पीड़ा कम हो।यह दुखद स्थिति न केवल गुनु, बल्कि छत्तीसगढ़ के कई ग्रामीण क्षेत्रों में राशन वितरण की बदहाल व्यवस्था को उजागर करती है। प्रशासनिक उदासीनता और जर्जर व्यवस्था ने गरीबों के जीवन को और कठिन बना दिया है। यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो ग्रामीणों का गुस्सा और दर्द सड़कों पर उतर सकता है।


