
सोनू सिदार की कलम से
अत्यंत जर्जर भवन में लगाई जा रही क्लास

माध्यमिक शाला भवन हाल की वर्षों में बना हुआ इस कारण उस भवन की स्थिति लगभग सही नजर आती है, परन्तु जहां नौनिहाल बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं उस प्राथमिक शाला की दयनीय स्थिति के कारण पालकों का डरना जायज है, भवन काफी पुराना है जिसके कारण छत की परतें बुरी तरह से उखड़ रहे हैं, रह रह कर बड़े बड़े सीमेंट की परत गिर रहा है, गौरतलब है अभी तक किसी प्रकार का दुर्घटना नहीं हुआ है, पर आशंका बनी रहती है पत्रकार द्वारा जब उस स्कूल में जाना हुआ तो भवन की दयनीय स्थिति पर शिक्षकों से जानने का प्रयास किया क्यों इस स्थिति में बच्चों को पढ़ाया जा रहा जहां बच्चों के साथ शिक्षकों की भी जान माल का खतरा बना रहता है, आखिर प्रशासन को इसकी जानकारी है या नहीं ? इस सवाल पर शिक्षकों ने बताया कि एनटीपीसी आने के बाद स्कूल का विस्थापित किया जाना है, जिसके लिए प्रशासन स्तर पर जगह चयन किया जाना है इस वजह से स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भवन की ओर ध्यान नहीं होगा जर्जर स्थिति की जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंच चुकी है और मरम्मत कार्य के लिए राशि की मांग किया जा चुका है, अब जबतक प्रशासनिक आदेश नहीं मिलता किसी तरह की तब तक बच्चों को इसी भवन में पढ़ाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

ज्ञात हो एनटीपीसी का कोल माइंस तलाईपल्ली का जब से खदान खुला है राज्य शासन इस क्षेत्र की ओर अपनी जिम्मेदारी को भूल गया है, अब इस क्षेत्र की समस्याओं को एनटीपीसी के हवाले छोड़ राज्य सरकार अपना पलड़ा झाड़ते नजर आ रही है, एनटीपीसी भी उन्हीं कार्यो पर कार्य कर रही है जिसके लिए प्रशासन से स्वीकृत मिल रहा है, बिना राज्य सरकार के अनुमोदन के एनटीपीसी कोई कार्रवाई नहीं करती। एक ओर नियमों का पचड़ा दुसरी ओर एनटीपीसी खदान से युद्ध स्तर में कोयला निकाला चाहता है क्योंकि निर्धारित समय से काफि पीछे चल रहा है कंपनी, कोयला निकाल भी रही है परन्तु गांवों का विस्थापन अब तक नहीं हुआ है, जिसके कारण खदान में ब्लास्टिंग होने से स्कूल भवनों के साथ घरों में दरारें पड़ गई है, इस तरह की प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से किसी भी समय वीभत्स दुर्घटना घट सकती है।












