डेस्क खबर खुलेआम
रोजगार सहायक, सरपंच और तकनीकी सहायक पर गड़बड़ी का आरोप
जनपद पंचायत रायगढ़ के ग्राम पंचायत कुलबा का मामला
रायगढ़ – सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में अगर सेंध सरकार के ही नुमाइंदे लगाए तो कोई क्या कर सकता है। सरकार से मिलने वाली तनख्वाह से इनका घर नहीं चलता इसीलिए यह सरकार की योजना और विकास कार्यों में गड़बड़ी कर अपना घर चला रहे हैं। सरकार बदलने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आएगी मगर रायगढ़ जिले में हर रोज ही भ्रष्टाचार के नए मामले सामने आ रहे हैं। फिलहाल हम बात कर रहे हैं खरसिया विकासखंड के जनपद पंचायत रायगढ़ के ग्राम पंचायत कुलबा का जहां मनरेगा कार्य में लाखों रुपए का फर्जी तरीके से अफरा तफरी करने का आरोप ग्रामीण रोजगार सहायक गांव के सरपंच और तकनीकी सहायक के ऊपर लगा रहे हैं। दरअसल इसी साल मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत कुलबा के डीपापारा स्थित टार तालाब के गहरीकरण के लिए 4 लाख रुपए स्वीकृति हुई थी। स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय रोजगार , सरपंच और तकनीकी सहायक के मिलीभगत से तालाब के किनारे साफ सफाई करा कर 1 लाख 63 हजार रूपये का आहरण कर लिया गया।*ग्रामीण कर रहे हैं कार्रवाई की मांग*सैकड़ो लोगों के नाक के नीचे हुए इस भ्रष्टाचार को लेकर ग्रामीण जागरूक है। ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरीके से सरपंच सचिव और रोजगार सहायक तकनीकी सहायक ने मिलकर गांव के विकास के और तालाब गहरीकरण के लिए स्वीकृत राशि में गड़बड़ी की है उसके लिए उन्हें कड़ी सजा मिले। इस बात को लेकर 2 सितम्बर को ग्रामीणों ने जनपद पंचायत में शिकायत किया था।तब तत्कालीन जनपद सी ई ओ ने तीन लोगों की जांच टीम गठित किया गया 16 सितंबर को उनकी जांच टीम कुलबा पहुंची थी। उस वक्त रोजगार सहायक उपस्थित नहीं हुए। वहीं जांच टीम द्वारा जिन पर आरोप है। उन्हीं का पक्ष लिया जा रहा था। इससे ग्रामीण संतुष्ट नहीं थे। ग्रामीणों का आरोप है की जांच टीम भ्रष्टाचार करने वालों को संरक्षण दे रही है असंतुष्ट ग्रामीणों ने फिर सोमवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर इस मामले में जांच करने की मांग की जिसके बाद पुन: जांच दल गठित कर खरसिया विकासखंड के ग्राम पंचायत कुलबा भेजा गया।*अगले हफ्ते तक सौंपेंगे जांच रिपोर्ट*जिला मुख्यालय द्वारा गठित टीम द्वारा ग्राम पंचायत कुलबा में दिनांक 6/11/24 को जांच करने पहुंची। जहां उन्होंने ग्रामीणों और सरपंच सचिव रोजगार सहायक और तकनीकी सहायक का बयान दर्ज किया है। अपने बयान में उनके द्वारा मनरेगा के तहत स्वीकृत राशि के तहत तालाब का गहरीकरण कराए जाने की बात कही गई है मगर ग्रामीणों ने बयान दिया कि है कि जिसके द्वारा मजदूरी नहीं की गई है उसका नाम मास्टर रोल में जनरेट कर भुगतान कर दिया गया और तालाब में किसी भी प्रकार का गहरीकरण कार्य नहीं हुआ है। इस मामले में जांच दल के सदस्य सहायक अभियोजन अधिकारी राजेश शर्मा का कहना है कि ग्रामीणों की शिकायत के बाद जिला पंचायत सीईओ के आदेश अनुसार फिलहाल लोगों का बयान लिया गया है अभी पूरे मामले का एनालिसिस नहीं हो पाया है अगले हफ्ते तक जांच रिपोर्ट जिला पंचायत सीईओ को सौंप दी दी जाएगी इसके बाद दोषी पाए जाने वाले एजेंसी के विरुद्ध मनरेगा एक्ट के तहत रिकवरी की कार्रवाई की जाएगी।फंस जाती है छोटी मछलियांमनरेगा के तहत तालाब के गहरीकरण के लिए 4 लाख रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। मगर सरकार से आम जनता के रोजगार और विकास के लिए स्वीकृत राशि में गड़बड़ी का मास्टर प्लान भी तभी से तैयार हो गया। योजना बाद तरीके से इस गड़बड़ झाले को अंजाम दिया गया। तालाब का गहरीकरण ना करके साफ सफाई और सौंदर्य करण का दिखावा कर ग्रामीणों को बेवकूफ बनाया गया। इसके बाद फर्जी मास्टर रोल बनाकर सरकारी खजाने से राशी आहरण किया गया। हालांकि ग्रामीणों के जागरूकता के कारण तालाब के भ्रष्टाचार में छोटे मछली जाल में फंस गए हैं हालांकि इस खेल में कई बड़े मगरमच्छ भी शामिल हैं। जिनके संरक्षण में इस तरीके के भ्रष्टाचार को अंजाम जिले भर में दिया जा रहा है इसलिए ग्रामीणों की शिकायत के 3 महीने बीतने के बाद भी इस मामले में गंभीरता से जांच नहीं की गई और दोषियों को बचाने की कवायत जांच टीम द्वारा की जा रही है फिलहाल यह देखने में होगा कि 6 नवंबर को दूसरे जाट टीम द्वारा क्या प्रतिवेदन जिला पंचायत सीईओ को सौप जाता है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि मनरेगा के तहत स्वीकृत और भी कई विकास कार्यों में इस तरीके से फर्जीवाड़ा हुआ है मगर एक तालाब में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं कर सकते इसीलिए मुंह बंद रखते है। अक्सर ऐसे मामलों में छोटी मछलियां ही फंस जाती है और मगरमच्छ जाल से बाहर रहता है आखिर ऐसे बड़े मगरमच्छो पर कब करवाई होगी।