बरमकेला टीआई द्वारा थाने बुलाकर मारपीट करने का गंभीर आरोप, पीड़ित परिवार ने पुलिस अधीक्षक से लगाई न्याय की गुहार …

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रायगढ़-कैलाश आचार्य:- बरमकेला थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कंचनपुर (ब) के पीड़ीत परिवार के बाप बेटे को डायल 112 के माध्यम से थाना बुलवाकर लात घुसों से स्वागत करते हुए अपने हमराह स्टाफ के साथ मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ लिखीत शिकायत लेकर पीड़ीत परिवार ने जिले के नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक से मिलकर अपनी आपबीती सुनाई।

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*आइए जानते हैं क्या है मामला………..*

पीड़ीत परिवार से प्राप्त जानकारी के अनुसार बरमकेला थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कंचनपुर (ब) का मामला है जिसमें पीड़ीत राजेंद्र चौहान ने कहा कि हमारे ग्राम में प्रेमसागर पटेल और हमारे परिवार के बीच जमीन विवाद का मामला है जो तहसील कार्यालय सरिया वृत बरमकेला में लंबित है लेकिन वर्तमान समय में प्रेमसागर द्वारा शासकीय जमीन पर कब्जा कर मकान निर्माण किया जा रहा है और उसी जमीन से जुड़ा हुआ हमारे पूर्वजों की निजी जमीन है जिसको कब्जा करने का कार्य किया गया है। उक्त मामले मे हम लोग पूर्व में भी बरमकेला थाना शिकायत करने हेतू गए थे लेकिन वहां थाने में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा हमारे निवेदन को नहीं सुना गया था। इसलिए मैंने अपने पिताजी के नाम से एक आवेदन लिखकर उसको पोस्ट ऑफिस में जाकर रजिस्ट्री कर बरमकेला थाना को भेजा जिसपर उक्त थाना के द्वारा हमारे ग्राम पंचायत के सरपंच पति के माध्यम से बुलाकर कहा कि आप अपने आवेदन को लेकर राजस्व विभाग में जाइए क्योंकि यह मामला जमीन का है और इतना कहकर फैना काट कर मुझे दिया गया। लेकिन कल जब प्रेमसागर पटेल द्वारा उक्त जमीन पर मकान निर्माण किया जा रहा था तो मैंने प्रेमसागर पटेल को निर्माण कार्य को रोकने के लिए कहा तो उन्होंने काम को बन्द कर दिया लेकिन उनके द्वारा गुस्से में मुझे देख लेने की धमकी दी गई, तत्पश्चात मै अपने घर आ गया और जैसे ही घर पहुंचा ठीक उसी समय प्रेमसागर पटेल डायल 112 की गाड़ी में पुलिस के साथ मेरे घर आ धमके तथा डायल 112 के पुलिस वाले ने मुझे बरमकेला थाना प्रभारी द्वारा थाना बुलाने की बात कहकर मुझे और मेरे पिताजी को डायल 112 की गाड़ी में बैठाकर थाना ले जाया गया जहां पर सीधा सीधा थाना प्रभारी द्वारा मुझे प्रेमसागर पटेल के मकान निर्माण कार्य को बन्द करवाने वाले तुम कौन होते हो बे कहा गया तथा उक्त जमीन के संबंध में तुम्हारे पास क्या कागजात है बताओ कहा गया तब मेरे द्वारा जमीन के कागजात दिखाने के दौरान ही बरमकेला थाना प्रभारी नेल्सन कुजूर द्वारा दस्तावेजों को बिना देखे व अवलोकन किये ही मुझे अभद्र व अश्लील गालियां देते हुए कालर पकड़कर मारपीट करना शुरू कर दिए जिसमें थाना के अन्य पुलिस कर्मी भी शामिल थे,जिससे मेरे माथे पर गहरी चोट लगी है। इस मारपीट के पूर्व मामले की सूचना पाकर मेरी पत्नी हमारे 14 माह की छोटे बच्चे को लेकर मेरे भतीजे की मोटरसाइकल से बरमकेला थाना पहुंच चुके थे तथा पुलिस कर्मियों द्वारा मारपीट करते देख मेरी पत्नी द्वारा बीच बचाव करने का प्रयास किया गया। जिस पर उपस्थित रहे एक अन्य पुलिस वाले के द्वारा मेरी पत्नी की बांह पकड़ कर धक्का दिया गया और उस समय वहां पर कोई भी महिला पुलिस उपस्थित नहीं थी और हमारे साथ मुजरिम जैसा व्यवहार किया गया जबकि मेरी पत्नि के एक हाथ में छोटी बच्ची थी इसी दौरान पुलिस वाले मारपीट कर रहे थे तो मैंने अपने भतीजे को वीडियो बनाने के लिए चिल्लाया तब वीडियो बनाने वाली बात सुनकर उपस्थित एक पुलिस वाला आग बबूला होते हुए मेरे कालर पकड़कर कहा बहुत वीडियो बनाने वाला होता है रे, व कालर को पकड़कर खींचते हुए रूम की तरफ ले जाकर धमकी दी गई और थाने के भीतर मुझे बैठा दिया गया तथा कुछ देर बाद मुझे छोड़ दिया गया।

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*दूध का दूध और पानी का पानी…..* गौरतलब हो कि पीड़ित परिवार ने एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी पर बहुत ही गंभीर आरोप लगाए हैं। थाना प्रभारी के ऊपर लगे आरोपों की जांच बारीकी से की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा क्योंकि मारपीट की घटना थाना परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे के सामने घटित हुई है। ऐसे में सीसीटीवी फुटेज देखने पर चंद मिनटों में ही शिकायत की सच्चाई सामने आ सकती है। तथा फुटेज में पूरे मामले का दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

*मामले में बरमकेला थाना प्रभारी का कथन*……….. पीड़ीत व्यक्ति जो है राजेंद्र चौहान थाना में आकर दादागिरी कर रहा था और उसने न्यायालय की आदेश की अवहेलना किया है क्योंकि उक्त मामले में राजस्व विभाग की जानकारी अनुसार उक्त मामले में राजेंद्र चौहान के पिताजी ने स्वयं पटवारी जॉच प्रतिवेदन में मौका स्थल पर खुद दस्तखत किए हैं और न्यायालय के आदेशानुसार प्रेमसागर पटेल स्वयं की जमीन पर मकान निर्माण कर रहे हैं और मैंने राजेंद्र चौहान को पिछ्ले तीन चार दिन पहले से ही समझा रहा था कि आप अपने शिकायत लेकर उच्च न्यायालय में अपील कर लीजिए लेकिन उन्होंने नहीं माना।                                                              *इस मामले की पूरी जानकारी अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा*….. चुंकि मामला उजागर हो चूका है इसलिए इस मामले में अभी राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों का किस तरह सुशोभित किया गया है और क्या सही क्या गलत है इसकी सभी पहलुओं को शासन प्रशासन से लेकर आप सभी पाठकों तक शीघ्र ही पहुंचाई जायेगी, जिसमें सारा मामला आप सभी के सामने जगजाहिर हो जायेगी।




बहरहाल पीड़ित परिवार की शिकायत को सुनकर पुलिस अधीक्षक के द्वारा उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है लेकिन क्या थाना प्रभारी को राजस्व विभाग के मामले में खुद न्याय करने की आजादी देश की संविधान ने दिया है? और यदि नहीं दिया है तो क्या थाना प्रभारी को किसी भी प्रकार के आवेदनकर्ता को समझाने के बजाय अपना गुस्सा उन आवेदनकर्ता पर हाथ साफ करने का अधिकार संविधान के किस अधिनियम में उल्लेखित है?अब यह देखना लाजिमी होगा कि पीड़ित की शिकायत पर मामले की जांच कर अपराध पंजीबद्ध किया जाता है या मामला विभागीय है इस वजह से ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। यह जानना दिलचस्प होगा।


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