आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत का आश्रित ग्राम ढोलुआमा मूलभूत सुविधाओं की तलाश में ….. !!

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ऋषभ तिवारी की रिपोर्ट धरमजयगढ़ से –


रायगढ़ जिले के विकास खण्ड धरमजयगढ़ के ग्राम पंचायत बरतापाली के आश्रित ग्राम ढोलुआमा के ग्रामीण इन दिनों बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। आपको बता दें कि ढोलुआमा आदिवासी बाहुल्य गाँव है। जहाँ राष्ट्रपति के दक्तक पुत्र माने जाने वाले विशेष रुप से संरक्षित पण्डो जनजाति के लोग निवास करते हैं। यहाँ के ग्रामीणों बिजली, सड़क, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं। गांव में लगे एकमात्र हैंडपंप के खराब होने के कारण यहां के निवासी बरसात का पानी जो कि नाले में बह रही है, उसे पीकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं।  जबकि सरकारी आंकड़ों कि यदि हम बात करें तो लोग डिजिटल युग में जी रहे हैं। पर यहाँ की हकीकत कि बारे में आप तस्वीरों को देख कर स्वयं समझ सकते हैं। यहाँ के ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। यह पुरा मामला धरमजयगढ़ विकास खण्ड के ग्राम पंचायत बरतापाली के आश्रित ग्राम ढोलुआमा को पण्डो पारा का है। जो कि जनपद पंचायत मुख्यालय से लगभग 15 -20 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। ढोलुआमा के पण्डो पारा में बिजली, सड़क, और पानी के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं। यहां के निवासियों ने बताया कि का पीने के पानी के अभाव में ग्रामीण नाला का पानी पीने को मजबूर हैं। लकड़ी के खम्भे के सहारे कई किलोमीटर तार खींचकर विद्युत की व्यवस्था करनी पड़ी है। जबकि धरमजयगढ़ विकास खण्ड आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, और रायगढ़ जिले का सबसे पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है। जहाँ पर आदिवासियों कि उत्थान के लिए प्रति वर्ष शासन – प्रशासन के द्वारा करोड़ों रूपये खर्च कर  दिया जाता है। वहीं पण्डो जनजाति के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए दर – दर कि ठोकर खाने को मजबूर हैं। जबकि सरकार स्मार्ट सिटी और समृद्ध भारत बनाने कि बात की जाती है। जबकि जमीनी हकीकत पर हालात कुछ और ही नजर आते हैं। न पीने का स्वच्छ पानी, और ना ही आने जाने के लिए सड़क न बिजली, ना मोहल्ले में शौचालय बने हैं। आजादी के पछत्तर साल बाद भी ढोलुआमा गाँव के ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। ग्रामीण किसी तरह अपना गुजारा कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी। पर ढोलुआमा के इस मोहल्ले में न स्कूल है और न ही आंगनबाड़ी।  ऐसे कैसे चलेगी विकास की गाड़ी? 

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