वनांचल क्षेत्र के इस उप स्वास्थ्य केंद्र पर ताला , मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ… झोलाछाप के भरोसे छोड़ा मरीजों को ?

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झोलाछाप के भरोसे मरीज – डेस्क खबर खुलेआम

गांव में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र ताे खोले गए हैं। लेकिन इन स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लोगों को इलाज के लिए ब्लाक स्तर पर या फिर प्राईवेट अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। इससे गांव के लोग काफी परेशान हैं।

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हम बात कर रहे हैं धरमजयगढ़ विकासखण्ड क्षेत्र के ग्राम पंचायत कुमा में बने उपस्वास्थ्य केंद्र का जहां पर बनने को तो बड़ी इमारत उप स्वास्थ्य केंद्र बनाई गई है, और उसका अधिकारीयों द्वारा उद्घाटन कर भवन को चमकाया गया है लेकिन विडंबना तो यह है कि वहां पर कोई कर्मचारी नहीं रहते हैं,जबकि उप स्वास्थ्य केंद्रों पर कहने को तो यहां 24 घंटे एएनएम और इलाज की सुविधा मिलना है, लेकिन ताला नहीं खुलने से कुमा इंचपारा नकनापारा पटेलपानी के ग्रामीणों को धरमजयगढ और कापू तक इलाज कराने के लिए जाना पड़ रहा है या फिर झोलाछाप डॉक्टरों की शरण लेनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है, कि उपस्वास्थ्य केंद्र पर कोई कर्मचारी पदस्थ नहीं है, कर्मचारी की मांग ग्रामीणों से लेकर गांव के मितानिनों द्वारा भी अधिकारियों को गुहार लगाई जा चुकी है। आगे मितानिनों ने बताया, कि प्रभार में कोई हैं,जो केवल टीकाकरण अभियान में ही कभी कभार आते हैं। जिससे गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण कराने में समस्या आती है। तो वहीं ग्रामीणों को दवा तक उपलब्ध नहीं हो पाती है। सिर्फ और सिर्फ मितानिनों द्वारा देखभाल की जा रही है।

ग्रामीण का आरोप – टीकाकरण के दिनों में ही आती हैं कार्यकर्ता

ग्रामीणों के मुताबिक यहां एएनएम कार्यकर्ता टीकाकरण दिनों में पहुंचते हैं। जिससे प्रसुताओं और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण ही हो पा रहा है और न ही बच्चों का समय पर टीकाकरण हो रहा है। वहीं ग्रामीणों वायरल बीमारियों का न तो इलाज मिल पा रहा है और न ही दवाएं। ऐसे मे ग्रामीणों को इलाज कराने के लिए धरमजयगढ व कापू के क्षेत्रों में जाना पड़ रहा है। ऐसे में उन पर गरीब मरीज के परिजनों पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है। ये कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को कुछ ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे छोड़ दिया है । बहरहाल देखना होगा कि खबर प्रकाशन के बाद स्वास्थ्य विभाग नींद से जागकर अपना कर्म निभाते है या फिर ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है

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