रिषभ तिवारी की रिपोर्ट :
धरमजयगढ़ के पीपरमार चौक में सर्व आदिवासी समाज एवं अजजा शासकीय कर्मचारी संघ के नेतृत्व में बिरसा मुंडा की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर पीपरमार चौक पर प्रस्तावित बिरसा मुंडा चौक में समारोह का आयोजन धूमधाम से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पीपरमार चौक में प्रस्तावित बिरसा मुंडा चौक पर आदिवासी समाज के बैगाओं द्वारा विधि विधान से पूजा अर्चना कर की गई। ततपश्चात मणिपुर में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद बाइक रैली और पदयात्रा का आयोजन किया गया
पीपरमार चौक से आतिशबाजी करते हुए रैली नगर भ्रमण कर कार्यक्रम स्थल पहुँची। जहां बिरसा मुंडा एवं संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर के छायाचित्र पर माल्यापर्ण कर पूजा अर्चना की गई। जिसके बाद मंचासीन समस्त अतिथियों का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया। कार्यक्रम के दौरान आदिवासियों के पारंपरिक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। वहीं कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विद्वान वक्ताओं ने बताया कि बिरसा मुंडा को अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी समुदाय को लामबंद करने के लिए जाना जाता है और उन्होंने औपनिवेशिक अधिकारियों को आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा करने वाले कानूनों को पेश करने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने आगे बताया कि बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को हक़ दिलाने के लिए पूरे देश भर में आंदोलन चलाया।
राष्ट्रीय आंदोलन पर उनके प्रभाव को देखते हुए 2000 में उनकी जयंती पर झारखंड राज्य बनाया गया था। धरमजयगढ़ शासकीय महाविद्यालय प्राचार्य शशिभूषण लकड़ा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में लैलूंगा के पूर्व विधायक हृदयराम राठिया, जनपद पंचायत अध्यक्ष पुनीत राठिया, धरमजयगढ़ थाना प्रभारी विजय पैंकरा, हरिश्चंद्र राठिया, शौक़िलाल नेताम, जनकराम राठिया, कंदर्प सिदार, अजय सिंह नेताम, जी आर भगत, दुजेश्वर नाथ, मोहितराम राठिया, अभय एक्का, सहनी राम कलगा, दीपक उरांव, विनोद भगत, विजय पैंकरा,गोमती सिदार सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद रहे।