डॉक्टर एवं नर्स की लापरवाही से मां के पेट में शिशु की मौत , प्रसूता दर्द से तड़पती रही …. 6 घंटे तक नहीं पहुंचे डॉक्टर एवं नर्स – परिजनों ने लगाया गंभीर आरोप

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जिला व्यूरो दीपक गुप्ता की रिपोर्ट

रिफर के लिए गिड़गिड़ाने पर भी नहीं पसीजा डॉक्टर और नर्स का दिल

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पसान में प्रसव में लापरवाही का मामला प्रकाश में आया

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आदिवासी अंचल का पसान तहसील आज भी मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं से जूझ रहा है। स्थिति यह है कि तहसील मुख्यालय पसान स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में साधारण प्रसव की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है जिसके कारण यहां के लोगों को गौरेला पेंड्रा मरवाही स्थित जिला चिकित्सालय आना पड़ता है। कई बार गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला चिकित्सालय आते आते जच्चा बच्चा की जान खतरे में पड़ जाती है तथा जच्चा बच्चा मौत के मुंह में तक समा जाते हैं।

पसान तहसील मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव सुविधा नहीं मिलने एवं नस तथा डॉक्टर की लापरवाही से जच्चा बच्चा की जान खतरे में आने का ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें अंततः डॉक्टर एवं नर्स की लापरवाही से बच्चे की जान मां के पेट में ही चली गई। इस बीच प्रसव पीड़ा झेल रही महिला का पति डॉक्टर एवं नर्स के सामने अपनी पत्नी को रिफर करने के लिए गिड़गिड़ा आता रहा परंतु डॉक्टर और नर्स ने 9 घंटे तक उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रहने दिया जब बाद में स्थिति बिगड़ गई तब 9 घंटे बाद प्रसूता को जिला चिकित्सालय गौरेला पेंड्रा मरवाही के लिए रिफर किया गया। स्थिति इतनी खराब हुई की प्रसूता को उसके परिजनों ने ने मार्ग में पड़ने वाले ग्राम कुदरीके स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया जहां के डॉक्टर एवं नर्स ने पीड़ित महिला का प्रसव कराया परंतु तब तक बच्चे की जान जा चुकी थी। अब पीड़ित प्रसूता के पति ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पसान के डॉक्टर एवं नर्स के खिलाफ लिखित में शिकायत की है।

इस संबंध में जिला कोरबा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को की गई शिकायत में पीड़ित महिला के पति राकेश कुमार मरकाम पिता कलम सिंह मरकाम निवासी ने की गई शिकायत में बताया कि 21/03/2023 को रात्रि 3बजे मेरी धर्म पत्नी आनंद कुंवर जो कि गर्भवती थी उसे लगभग 2.30बजे दर्द उठा तो हम लोग फोन लगाये 112 की मदद से हास्पिटल पहुंचे। पसान प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में रात्रि कालिन उबजे वहां कोई भी उपस्थित नहीं था। मेरी पत्नी के तबियत को बिगड़ते देख मैं आसपास सिस्टर डाक्टरों के रूम तरफ बुलाने गया ।लगभग 1 घण्टे तक कोई भी नहीं मिला। उसके पश्चात सुभदा पोर्ते सिस्टर के द्वारा मात्र 10 मिनट वहां रूक कर अपने रूम चली गयी ।उसके बाद बार बार हम लोग प्रयास करते रहे पत्नी की तबियत बिगड़ती रही। वहां पर कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। सुबह 9 बजे ये लोग जब वहां उपस्थित हुए तब तक स्थिति पूरी बिगड़ चुकी थी। सुभद्रा पोर्ते और डाक्टर पैकरा के द्वारा मेरी पत्नी के पेट को दबाने लगे बोले बच्चा दानी नहीं खुला है, इसलिए दबा रहे दिने के 9बजे से दिन के 12बजे तक ये लोग दबाते रहे ।जब हम लोगों के द्वारा देखा गया कि गलत तरीके से दबा रहे तो ये लोग बोले तुम लोग हम लोगों को डाक्टरी सिखाओगे ?? बार बार सुभदा पोर्ते के द्वारा भी हमको डांटा जा रहा था। हमारे बार बार मना करने के पश्चात भी इन लोगों के द्वारा बार बार बच्चे को दबाया गया जब ये लोग बच्चे को मार डाले तब इनके द्वारा घटना को छिपाने के लिए हम लोगों को दबाने के लिए रिफर पर्ची बनाया गया। दोपहर 12:00 बजे रिफर पर्ची मिलने के बाद फिर हम लोग गौरेला पेंड्रा मरवाही के जिला चिकित्सालय जाने के लिए निकले । रास्ते में जब बहुत ज्यादा स्थिति गम्भीर हो गई तो हम कुदरी के हास्पिटल में प्रसूता को दिखाये तो वहां सरलता से बच्चा हुआ एवं डाक्टर के द्वारा बताया गया कि बच्चा पहले से ही मरा हुआ था। प्रसूता के पति राकेश कुमार मरकाम द्वारा शिकायत की गई है कि प्रसूता की जांच के दौरान भी सुभद्रा पोर्ते का व्यवहार सहीं नहीं था ।सोनोग्राफी रिपोर्ट दिखाने पर भी बोला गया कि वहीं ले जाओ यहां क्यों लाए हो ।रात्रि कालीन उबजे से सुबह के 9 बजे तक वहां कोई भी उपस्थित नहीं था। सुभद्रा पोर्ते एवं डाक्टर पैकरा के द्वारा घोर लापरवाही की गई है। तथा उनकी लापरवाही से मेरे बच्चे की जान गई । उन पर कठोर कार्यवाही किया जाए ताकि उस प्रकार से किसी और के साथ ऐसी लापरवाही वह ना कर सके। पीड़िता के पति ने मामले की शिकायत छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री सहित कलेक्टर जिला कोरबा को ही है।

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