



नितिन सिन्हा की ✒️ से
रायगढ़:- जिले में जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण के मामले वापस से बढ़ने लगे हैं। वही देश भर में ओमीक्रोन वायरस का खतरा भी मुंह बाए खड़ा है। देश के 11 राज्यों में हालात बिगड़ने लगे है।
केंद्र सरकार ने दुनिया और देश मे बढ़ते ओमीक्रोन मामलों के मद्दे नजर देश के सभी राज्यों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है। यहां तक कि उत्तरप्रदेश उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से प्रदेश के बहुप्रतीक्षित विधान सभा चुनाव को स्थगित करने को कहा है।
प्रदेश में भी हालात बुरे रोजाना आ रहे है 30 ममाले और अब तो मौतें भी होनी हो गई शुरू हालांकि बीते तीन चार दिनों से देश में हर घण्टे 5 ओमीक्रोन संक्रमित मरीज मिलने लगे है। परन्तु छत्तीसगढ़ राज्य में अभी तक ओमीक्रोन का मरीज नही मिला है। इसके बावजूद राज्य में 30 कोविड मरीज रोजाना मिलने लगे है। जबकि एक या दो मरीज की मौत भी रोजना होने लगी है। ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य ओमीक्रोंन के खतरे से आगे भी बचा रहेगा यह कहना जल्दीबाजी होगी।
वहीं ओमिक्रॉन को लेकर हाल ही में IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने अपनी रिसर्च में आशंका जताई थी कि इस नए वैरिएंट से देश में तीसरी लहर आने का खतरा है। उनकी मानें तो 3 री लहर जनवरी 2022 तक आ सकती है, तो वहीं डेढ़ लाख डेली कोविड केसेज के साथ तीसरी लहर का पीक देश में फरवरी महीने तक आने की आशंका है.इन परिस्थिततियों मे देश के लगभग सभी राज्यों में स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जाएंगीं।
परन्तु तीसरी लहर की संभावित खतरों से इतर रायगढ़ जिला प्रशासन राज्य में लगातार औद्योगिक जन जनसुनसईया सम्पन्न कराने में लगा है। बीते एक महीनो में 4 औद्योगिक जन सुनवाइयां सम्पन्न होने के बाद 5 जनवरी 2022 को एन आर इस्पात की एक और जन सुनवाई होना प्रस्तावित है। यही उद्योग समूह है जिसके प्रमुख संजय अग्रवाल ने हाल ही में छत्तीसगढ सरकार से प्रदेश के दूसरे सबसे बड़ा उद्योग स्थापना के लिए समझौता किया है। वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ की उपस्थिति में हुए 4700 करोड़ निवेश के समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया गया था। अब आगामी 5 जनवरी को इसी उद्योग की पर्यावरणीय जन सुनवाई प्रस्तावित है। जनचेतना के राजेश त्रिपाठी कहते है अगर यह अवैधानिक जन सुनवाई कराई जाती है तो यह न केवल जिले में कोविड की सम्भावित तीसरी लहर बल्कि पर्यावरण के भयानक बर्बादी का कारण बनेगी। उनके अनुसार एन आर इस्पात की प्रस्तावित जन सुनवाई ठीक वैसा ही तबाही का मंजर लेकर सामने आएगी। जैसा कोविड के पहले और दूसरे दौर के बीच तमाम नियम कायदों और कोविड गाइड लाइन की अनदेखी करने वाले जिला प्रशासन ने जिले में आधा दर्जन उद्योगों और खनन कम्पनियों की जनसुनवाइयाँ सम्पन्न कराई थी। परिणाम स्वरूप जनसुनवाईयों के बाद अचानक कोविड की दूसरी भयावह लहर का जिले में आना और उसी दौर में असमय हजारों इंसानी जानों का जाना हुआ था।
ठीक उसी तरह की लापरवाही अब भी जिला प्रशासन करने जा रहा है। जिले में आगामी दो से तीन महीनों में 4 अन्य उद्योगों की जन सुनवाई होना प्रस्तावित है। चुकि इस जन सुनवाई से क्षेत्र के दर्जनो गांव प्रभावित होंगे, अतः जनसुनवाई में हजारों की भीड़ जमा होनी तय है।
ऊपर से गौरमुड़ी के सागौन के जंगलों के बीच स्थापित उद्योग एन आर इस्पात एंड पावर लिमिटेड जिसकी लोक सुनवाई 5 जनवरी को रखी गई है। इसके इंडक्शन फर्नेश की वर्तमान क्षमता 48 हजार टन प्रतिवर्ष है जिसे बढाकर 7 लाख 8 हजार टन प्रतिवर्ष करने का कंपनी करने जा रही है। ऐसा ही पावर प्लांट सेगमेंट में है जहां कंपनी वर्तमान में डब्ल्यूएचआरबी और एफबीसी मिलाकर 8 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती है जो अब 90 मेगावाट के लिए विस्तार कर रही है। जहां कंपनी की स्थापना और विस्तार होना है उसके आसपास गौरमुड़ी, देलारी, लाखा,गदगांव, सराईपाली, तराईमाल,तुमीडीह, गेरवानी,भुईकुर्री, सामारूमा व अन्य वन ग्राम स्थित है यहां पर्यावरण और वन सम्पदा के अलावा आम जन जीवन तो बुरी तरह से प्रभावित होंगे। वैसे भी स्थानीय ग्रामीणों की माने तो क्षेत्र में सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में एन आर इस्पात का नाम प्रमुखता से आता है। वही जमीन विवादों से लेकर पर्यावरणीय नियमों के उलंघन में भी एन आर
इस्पात हमेशा सुर्खियों में रहा है।
विवादित भूमि पर कम्पनी का विस्तार होगा
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विस्तार हेतु शिवपुरी गांव की जिस जमीन 200 एकड़ से ज्यादा जमीन है। यह जमीन तारकेश्वर नायक पिता हरि नायक की रही है। इनकी कुल 1300 एकड जमीन थी जिनमे से 805 एकड सिलिग में निकल गई थी। 1996 में सिलिग में निकली इस जमीन से 72 किसानों को 5-5 एकड़ जमीन मानवाधिकार आयोग में सुनवाई के बाद बंटी थी। जिनमे 65 परिवार शिवपुरी के थे।
श्री त्रिपाठी बताते है कि कालांतर में इस भूमि को हरि भूमि के मालिक *(जो साहेब सिंह वर्मा तत्कालीन मुख्यमंत्री दिल्ली के दामाद हैं)* ने सिंधु फार्म हाउस के नाम से खरीदा था। उसी जमीन को सिंधु फार्म हाउस ने एन आर इस्पात को बेच दिया। उक्त भूमि में हजारों की संख्या में सागौन और सरई के इमारती पेड़ है। वही प्रस्तावित विस्तार का क्षेत्र हाथी प्रभावित इलाके में भी आता है। हर बार की तरह इस बार भी इसका उल्लेख उद्योग प्रबन्धन के ई आई ए रिपोर्ट में नही है। शासन के नियमा नुसार सीलिंग एक्ट के तहत भूमिहीनों को बांटी गई जमीनों में उद्योग की स्थापना नही की जा सकती है। इसके बावजूद उद्योग प्रबन्धन ने उंक्त भूमि को खरीद कर विस्तार का प्रस्ताव शासन-प्रशासन के समक्ष रखा है। आश्चर्य की बात यह है कि कोरोना के तीसरे लहर की सम्भावनों और क्षेत्र के पर्यावरण में होने वाली भयंकर बर्बादी को लेकर जहां एक ओर जिला प्रशासन अंधा बहरा बना हुआ है वही जिले कर के तमाम जन प्रतिनिधियों ने भी ग़जब की चुप्पी साध रखी है।

