पीएम आवास – खबर प्रकाशन के बाद त्वरित कार्यवाही … नगरीय निकाय संयुक्त संचालक ने सीएलटीसी को थमाया नोटिस

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खबर का असर

रायगढ जिले के अखबारों के सुर्खियों में रहने वाला घरघोड़ा नगर पंचायत में केंद्र शासन की जनकल्याणकारी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है । अधिकारी ने नियम कानून को दरकिनार कर दिया गया रसूखदारों को पात्र बताकर उन्हें मकान आवंटन व राशि भुगतान कर दिया गया और वास्तविक को योजना से वंचित कर दिया गया ऐसे में अब नगरीय निकाय संयुक्त संचालक ने सीएलटीसी पुष्पेंद्र चंद्रा को कारण बताओ नोटिस थमाकर जवाब मांगा है। दरअसल घरघोड़ा सीएलटीसी पुष्पेन्द्र चन्द्र के ऊपर घरघोड़ा के तत्कालीन सीएमओ सुमित कुमार मेहता का वरदहस्त प्राप्त था जिसकी वजह से यहां पीएम आवास जैसे जनकल्याण कारी योजना में बंदरबांट कर पलीता लगाते हुए राशि का दुरुपयोग किया गया। जिसका परिणाम यह रहा कि पात्र हितग्राहियों के बजाय ऐसे अपात्र हितग्राहियों को जिनके पक्के के बहुमंजिला इमारत शासकीय कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को आवास का आवंटन कर दिया गया है जबकि पूर्व में भी प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत हुई थी। जिस पर वार्ड नं 9 के दो अपात्र हितग्राहि का भुगतान रोक दिया गया था परंतु रिकवरी या फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमा करने जैसे कोई कार्यवाही नही हुई। वर्तमान में नए नगर पंचायत अध्यक्ष के कार्यभार संभालने के बाद तत्कालीन सीएमओ द्वारा जाते जाते दोनों अपात्रों को भुगतना करने की जानकारी विभाग के सूत्रों कर से मिल रही है।

वहीं अब यह भ्रस्टाचार का मुद्दा प्रदेश स्तर में गूंज रहा है। सरकार से लेकर प्रशासन पहले से ही भ्र्ष्टाचार को लेकर ईडी व अन्य उपक्रमों के रेडार में है। ऐसे में नगरीय निकाय संचालक बिलासपुर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़े सीएलटीसी को तत्काल कारण बताओ नोटिस जांरी किया है।

भौतिक सत्यापन से करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का खुलेगा पिटारा

स्थानीय जनप्रतिनिधियों की माने तो पीएम आवास योजना में अधिकारियों के संरक्षण में करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई हैं। बताया यह भी जा रहा है कि इसमें भी कमीशन का खेल खेला गया है इसके चलते पात्र के बजाए अपात्रों को मकान निर्माण की अनुमति से लेकर फौरी तौर पर रकम आवंटन कर दिया गया। कुछ हितग्राहियों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज है। इस तरह देखा जाए तो अगर भौतिक सत्यापन इस मसले में केंद्र शासन कराती है। तो करोड़ो रूपये के न्यारे व्यारे का पिटारा खुलेगा और अधिकारियों की कारस्तानी भी उजागर होगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार कुछ पुराने पक्के मकानों को नया कर भुगतान जांरी करने की जानकारी मिल रही है ।

भ्रष्टाचार के मसले पर जूझ रही सरकार के लिए अब यह नई चुनौती

प्रदेश सरकार के ऊपर भ्र्ष्टाचार के कई तरह के आरोप लगें है।जिसमे गत साल कोयला, खनिज , फिर चावल वर्तमान में शराब घोटाला शामिल है। इनमें कोयला कांड के चक्कर मे बड़े अधिकारी तथा रायगढ़ जिले के तत्कालीन कलेक्टर पर भी ईडी ने शिकंजा कसा हैं। इधर इस साल शराब के भ्रष्टाचार पर ईडी की पड़ताल चल रही है। भाजपा इसे मुद्दा बनाकर भुना रही है। अब प्रधानमंत्री आवास के राशि के भ्रष्टाचार पर सरकार के लिए नई चुनौती बनकर सामने खड़े होने की स्थिति नजर आ रहा है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश ने आवास योजना में नंबर 1 बनकर पुरुस्कार ग्रहण किया है ।

नियम को ताक में रख अपात्रो को भुगतना और पात्र लगा रहे है चक्कर

बताया जा रहा है कि किसी भी हितग्राही को राशि आवंटन करने के लिए उप अभियंता द्वारा हस्ताक्षर आवश्यक है परंतु नियमो को दरकिनार कर भुगतान किया गया। सूत्रों के मुताबिक बिना उपअभियंता के हस्ताक्षर के बिना इस विभाग से जुड़े अधिकारी ने खुद हस्ताक्षर कर लगभग 150 से अधिक हितग्राहियों का भुगतान कर दिया गया है। यह भुगतान तत्कालीन सीएमओ के ट्रांसफर होने से कुछ दिन पहले हुआ है। ऐसे ब्यक्तियो को आवास का भुगतान हुए है जिनके खुद के पक्के आवास है जिन की शिकायत पूर्व में दर्ज कराई गई है परंतु आपत्ति के पश्चात भी भुगतान होना नगर पंचायत अधिकारी व पीएम आवास के कर्मचारियों की सांठगांठ कर गरीबों के हक पर डाका डालने की मंशा को स्पष्ट करता है

वर्जन

प्रकरण पर कारण बताओ नोटिस जारी कर 3 दिन के भीतर सीएलटीसी से जवाब मांगा गया।जवाब और रिपोर्ट में गड़बड़ी आती है तो इसके बाद जांच की जाएगी।

विनय मिश्रा
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग बिलासपुर

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