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टीआरएन एनर्जी जैसे अन्य उद्योग पार्क में स्थापित दर्जनों उद्योग फ्लाई एस को बेख़ौफ़ खुले में फेंक रहे…। उद्योगों से फेंके गए उड़ने वाली राखड़ से लोग बुरी तरह से परेशान…।।

By Khabar Khule Aam Desk

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20200901 140459

राज्य के औद्योगिक जिले में उद्योग स्थापना के बाद यहां स्थानीय लोगों के आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव हुआ हो या न हुआ हो। परन्तु औद्योगिक क्षेत्र के रहवासियों सहित शहर के आमजनों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान हुआ है।आज जिस तरह के औद्योगिक प्रदूषण की भीषण मार जिले के आम नागरिकों को झेलना पड़ रहा है। उसे देखकर कोई भी व्यक्ति कह सकता है कि पर्यावरण या उससे जुड़ी समश्याओं को लेकर न केवल जिला प्रशासन अपितु स्थानीय जनप्रतिनिधि भी गम्भीर नही है। वैसे तो जिले औद्योगिक प्रदूषण का दौर पूरे साल चलता रहता है। लेकिन गर्मी के मौसम में यह समश्या सबसे ज्यादा गम्भीर हो जाती है। इस मौसम में उद्योगों के अपशिष्ट अर्थात फलया एस से का उचित निपटान न किए जाने की वजह मौसम के अनुसार चलने वाली गर्म हवाओं वाली लू भरी आंधी से राखड़ उड़-उड़ कर दूर दराज तक चले जाते है। वही आसपास के गांवों के खेत-खलिहान,घर-बाड़ी के अलावा नदी-तालाबों का पानी भी राखड़ भरी धूल से पट जाते है। यही नही गांवों से होकर गुजरने वाली सड़को पर लोगों का चलना दूभर हो जाता है।

जिले में स्थापित अधिकतर पावर प्लांट है,जो कोल बेस्ड है। जिन से भारी तादाद में राख निकलती है और गर्मियों के मौसम में हवा के रास्ते लोगों के घरों और शरीर में प्रवेश कर जाती है। इससे हालात दिन ब दिन बदत्तर होते जा रहे है।बीते दो तीन दिनों से कोल ब्लॉक तमनार में स्थित जिंदल पावर लिमिटेड तमनार के फ्लाई एस डेम से उड रही राखड़ युक्त धुल से स्थानीय ग्रामीण काफी परेशान हैं। यहाँ जैसे ही गर्मी के दिन आने लगते हैं वैसे ही फ्लाई एस उड़ने लगती हैं। अधिनस्थ गांव कुंजेमुरा, पाता, रेगांव, बांधापाली के ग्रामीण परेशान है ही, साथ ही मुख्य मार्ग तमनार हुंकराडीपा,के राहगीर सहित डोलेसारा, रोड़ापाली, मुड़ागांव, सराईटोला के ग्रामीण भी फ्लाई एस युक्त धुल से परेशान है। स्थानीय लोग बताते है कि उनके लिए यह परेशानी नई नही है,बल्कि वे लोग बीते पांच-सात सालों से हर साल इस तरह की स्थिति का सामना करते आ रहे हैं। 
यह हाल जिले के घरघोड़ा तहसील में स्थित टी आर एन उद्योग के आसपास कटंगडीह , खोखोरोआमा , भेंगारी , टेण्डा जैसे गांवों का है। इसे लेकर पर्यावरण विद राजेश त्रिपाठी का कहना है कि सिर्फ जिंदल ही नही बल्कि अब तक जिले की सबसे विवादित कम्पनी टी आर एन भी अपने संयंत्र से निकलने वाले फ्लाई एश उचित निस्तारण नही करता है इस वजह से न केवल गर्मियों से स्थानीय लोगों को राखड़ युक्त धूल भरी आंधी के अलावा बारिश में ग्रामीणों के खेतों में भी फ्लाई एश भ कर आ जाती है जिससे किसानों की खड़ी फसल खराब हो जाती है। बीते वर्ष सितंबर-अक्टूबर की घटना आपको ध्यान होगी।

जिले में स्थापित अधिकांश उद्योग न तो एस एस पी मशीन का उपयोग करते हैं न ही पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी दूसरे आवश्यक नियमों का पालन करते हैं। जिले में लगातार बिगड़ते पर्यावरणीय परिस्थितियों का अध्यन करने एनजीटी की पांच सदस्यी टीम जिला भ्रमण पर आई थी। उन्होंने सभी मामलों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। जल्दी ही एनजीटी के द्वारा लिया गया निर्णय हम सबके सामने आएगा।

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Khabar Khule Aam Desk

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