छ ग के किसानों,कर्मचारियों के बाद लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी पत्रकार भी छले गए… उमेश अग्रवाल जिला अध्यक्ष भाजपा

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रायगढ़.. जिला भाजपा अध्यक्ष उमेश अग्रवाल जो पार्टी के प्रखर वक्ता भी हैं उन्होंने छ ग की भूपेश सरकार के द्वारा पारित छत्तीसगढ़ मीडिया सुरक्षा विधेयक 2023 के प्रसंग में बड़ी गंभीर बाते कहीं हैं।

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अग्रवाल ने कहा विधान सभा के हालिया सत्र में भूपेश बघेल की सरकार ने जो विधेयक पास किया है उसके संबंध में राज्य के वरिष्ठ पत्रकारों की राय मैने ली है। उनका कहना है कि जो कानून पेश किया गया है वह जस्टिस आफताब आलम की कमिटी की रिपोर्ट से काफी भिन्न है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जस्टिस आलम के प्रारूप के अनुसार जिला स्तरीय समिति से लेकर राज्य समिति के अधिकारों को पूरी तरह से छीन लिया है। इतना ही नहीं सरकार ने ब्यूरोकेट्स की सुविधाओं और मंशा के अनुरूप स्वहित में बनाए गए विधेयक में सारे अधिकार समिति के मुख्य कर्ताधरता राज्य पुलिस के बड़े अधिकारी के हांथ में दे दिए हैं। निर्णय लेने का अधिकार पुलिस अधिकारी के पास होगा,और वो कैसा निर्णय लेगा इससे आप पत्रकार गण भली भांति परिचित हैं। रही समिति में शामिल होने वाले अन्य सम्मानीय सदस्य(पत्रकार गणों) को सिर्फ सलाह देने का ही अधिकार दिया गया है। आप खुद सोचिए क्या इन शर्तों के साथ प्रस्तुत विधेयक का वास्तव में प्रआंचलिक पत्रकारिता को कोई सुरक्षा मिल पाएगी?? शायद नहीं,, सरकार ने जो विधेयक पास किया है उसमे कई सुधार की जरूरत है। लेकिन श्री बघेल ने अपनी नियत के अनुसार सुधार का समय नहीं दिया है। जिसके बिना छ ग मीडिया सुरक्षा विधेयक लगभग उपयोग हीन रहेगा,इससे ग्राउंड रिपोर्टिंग करने वाले मीडिया कर्मियों के सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होगी। किसी तरह का अपराध दर्ज होने या प्रताड़ना मिलने पर ज्यादातर क्षेत्रीय पत्रकार राजधानी तक नही पहुंच पाएंगे।और पहुंच भी गए तो होगा वही जो पुलिस अधिकारी या सरकार चाहेगी।।

वही सदन में विधेयक पर परिचर्चा के विषय में प्रतिपक्ष से चूक की बात पर जिला अध्यक्ष उमेश अग्रवाल का कहना है कि ज्यादातर प्रतिपक्ष के नेताओं का मानना था कि प्रदेश के जनता को वायदे कर ठगने वाली कांग्रेस सरकार कम से कम पत्रकारों के हितों से जुड़े मामले में राजनीति नहीं करेगी। हमें थोड़ा भी अंदेशा नहीं था कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी इस तरह ठगा जाएगा। हालाकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सदन में विधेयक पर परिचर्चा करनी थी और यथोचित संशोधन भी करवाना था। मैं भारतीय जनता पार्टी का सच्चा कार्यकर्ता होने के नाते आप सभी को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि *सदन में परिचर्चा के दौरान भले ही पार्टी के वरिष्ठ नेता सोच विचार में लगे हों परंतु अब भी हमारे पास मौका है,हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता महामहिम राज्यपाल से मिलकर कानून में सुधार की बिंदुओं पर उनका ध्यानाकर्षण करेंगे,ताकि प्रदेश भर के पत्रकारों के साथ किसी तरह का छल करने में भूपेश सरकार सफल न हो पाएं। इसके अलावा आगामी विधान सभा चुनाव के बाद राज्य में अगर भाजपा की सरकार बनी तो वर्तमान विधेयक/कानून में वो सभी आवश्यक परिवर्तन किए जाएंगे जो पत्रकारों के हित में होगा। प्रदेश में हमारी सरकार बनती है तो हम पत्रकारों से खुली चर्चा के बाद उनकी मंशा, सहमति, हित और सुरक्षा को ध्यान में विधेयक में बड़े बदलाव लाएंगे। मेरी जानकारी के अनुसार जस्टिस आलम ने अपनी रिपोर्ट में सक्षम और अधिकार संपन्न जिला स्तरीय समिति से लेकर राज्य स्तरीय समिति के अधिकार और कर्तव्य का सपष्ट प्रारूप सरकार के समक्ष रखा था। जिसके अध्याय 6 के खंड 52,53,54 में उल्लेखित कंडिकाओ (1वर्ष के कारावास के प्रावधान)को नए विधेयक से हटा कर सिर्फ अर्थ दंड तक सीमित कर दिया गया है,जो कि पूरी तरह से गलत है। नए विधेयक में जिला स्तरीय समिति को हटा कर सिर्फ एक राज्य स्तरीय समिति बनाने की बात कही गई है जिससे आंचलिक पत्रकारों को इस विधेयक का कोई लाभ नहीं मिलेगा। सरकार के द्वारा प्रस्तुत विधेयक में राज्य स्तरीय समिति का कोई स्पष्ट प्रारूप उल्लेखित नही है।। प्रस्तुत विधेयक में सरकार ने अपने वायदे के अनुरूप पत्रकारों पर दर्ज मामले भी वापस नहीं लिए हैं,जबकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ बने प्रकरण अविलंब वापस ले लिये गए। इसी से आप कांग्रेस सरकार की नियत को समझ सकते है। इसके अलावा इसी सरकार के शासन काल में कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला , अंबिकापुर के पत्रकार जितेंद्र जायसवाल सहित आधा दर्जन पीड़ित पत्रकारों के लेकर भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपेक्षित बात नहीं कही है।

दरअसल में मुझे लगता है कि अपने चुनावी वायदों को पूरा न कर पाने और पार्टी के अंदर जारी आपसी खींचतान में उलझे भूपेश बघेल ने वर्ष 2023आगामी विधान सभा चुनाव में डैमेज कंट्रोल करने की नियत से या प्रदेश भर के पत्रकारो को मैनेज करने के लिए आनन_फानन में इस विधेयक को प्रस्तुत किया है। जिससे पत्रकारों का कोई हित नही होगा,परंतु सरकार अपने पक्ष में थोड़ा बहुत कुछ कर लेगी।

हालाकि आज जिस तरह प्रदेश भर के पत्रकार बिना डरे भूपेश बघेल सरकार की तानाशाह नीतियों और भ्रष्ट प्रशासन के खिलाफ अपनी कलम चला रहे है,उन्हे अपनी निष्पक्षता इसी तरह बनाए रखनी होगी। भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है।

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